वसंत टोपी - Worksheets
CBSE Worksheet 01
टोपी
टोपी
- गवरइया ने क्या ठान लिया? टोपी पाठ के आधार पर बताइए।
- यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते, तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता? टोपी पाठ के आधार पर बताइए।
- टोपी पहनते ही गवरइया के मन में क्या इच्छा जागी?
- कपड़े पहनने के पक्ष में गवरइया ने क्या तर्क दिए?
- गवरइया की टोपी देखकर राजा ने कैसा महसूस किया? उसने अपने सिपाहियों को क्या आदेश दिया?
- राजा की परेशानी के क्या-क्या कारण थे? क्या उसके प्रयासों से उसकी परेशानियाँ कम हो रही थीं ?
- गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है,तर्क सहित लिखिए। टोपी पाठ के आधार पर बताइए।
- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
बुनकर इन्हें अगबग होकर देखने लगा, "हटते हो कि नहीं यहाँ से! देखते नहीं, अभी मुझे राजा जी के लिए बागा बुनना है। अभी थोड़ी देर बाद ही राजा जी के कारिंदे हाजिर हो जाएँगे। साव करे भाव तो चबाव करे चाकर।" इतना कहकर बुनकर अपने काम में मशगूल हो गया।- गवरा और गवरइया बुनकर के पास क्यों गए?
- बुनकर क्या कार्य कर रहा था?
- 'साव करे भाव तो चबाव करे चाकर' इस पंक्ति/लोकोक्ति का क्या अर्थ है?
- राजा के कारिंदों को उसके पास क्यों आना था?
- 'कारिंदे' शब्द का क्या अर्थ है?
CBSE Worksheet 01
टोपी
टोपी
Solution
- गवरइया ने ठान ही लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह टोपी अवश्य पहनेगी।
- यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते, तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार सामान्य होता और सर्वप्रथम वे राजा का काम करते क्योंकि उनका काम ज्यादा था।
- टोपी पहनते ही उसके मन में इच्छा जागी कि वह एक बार देश के राजा का जायजा लेकर आए। जिसके लिए सभी इतने काम करते हैं।
- कपड़े पहनने के बारे में गवरइया ने कहा कि इससे आदमी की खूबसूरती बढ़ती है तथा आदमी मौसम की मार से भी बचता है। इस प्रकार कपड़े पहनने से दोहरा लाभ है।
- गवरइया की टोपी देखकर राजा आश्चर्य में पड़ गया। उसकी टोपी बहुत सुंदर थी,जिस पर पाँच फुँदने जड़े थे। राजा को अपनी टोपी उससे कमतर लगी। उसे बेइज्ज़ती महसूस हुई। उसने सिपाहियों से गवरइया की टोपी छीनने का आदेश दिया।
- राजा की परेशानी के अनेक कारण थे। जैसे-उसी के राज्य के कारीगरों ने उसके कार्य को न करके गवरइया का काम पहले किया। इसके अलावा, गवरइया की टोपी राजा की टोपी से अधिक खूबसूरत थी। इससे राजा की बेइज्जती हो रही थी। उसकी परेशानी का तीसरा एवं प्रमुख कारण था-खज़ाने का घटता धन। राजा के एशोआराम, सेना और यात्रा के खर्च को खज़ाना सहन नहीं पा रहा था। खज़ाने को पूरा करने के लिए उसने बेगार करवाना शुरू किया और सख्ती से लगान वसूलना शुरू किया। उसके प्रयास से उसकी कोई परेशानी कम नहीं हो रही थी।
- किसी भी कार्य की सफलता के लिए उत्साह का होना आवश्यक है | जब व्यक्ति का मन उत्साहित होता है तभी वह अपने कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है | यदि हम किसी भी कार्य को बेमनी से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में पूर्णतया सफलता नहीं मिलेगी। गवरइया भी फाहा मिलने के बाद उत्साह से भर उठी । धुनिए , कोरी और बुनकर से काम करवाने के बाद वह दर्जी से अपनी टोपी बनवाने में कामयाब रही।
- गवरा और गवरइया बुनकर के पास कपड़ा बुनवाने गए।
- वह राजा के लिए बागा बुन रहा था।
- 'साव करे भाव तो चबाव करे चाकर' लोकोक्ति का अर्थ है कि अधिकारी तो आदेश देता है काम तो सेवकों को करना ही पड़ता है।
- राजा के कारिंदों को बागा लेने आना था।
- सेवक।