निबंध लेखन - Worksheets

CBSE Worksheet 01
निबंध लेखन

  1. कॉमनवेल्थ गेम्स विषय पर निबंध लिखिए।
  2. नैतिकता विषय पर निबंध लिखिए।
  3. पराधीन को सुख कहाँ विषय पर निबंध लिखिए।
  4. राष्ट्रीय एकता विषय पर निबंध लिखिए।
CBSE Worksheet 01
निबंध लेखन

Solution
  1. कॉमनवेल्थ गेम्स
    सभी देशों की खेलों की स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन करने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स 1930 में पहली बार हेमिल्टन (कनाडा) में आयोजित किए गए थे। प्रथम कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्यारह देशों के चार सौ खिलाड़ियों ने भाग लिया। तब से अब तक हर चार वर्ष में इनका आयोजन किया जाता है। 1930 से 1950 तक इन खेलों को ब्रिटिश साम्राज्य खेल के नाम से जाना जाता था। सन् 1962 तक इसे ब्रिटिश साम्राज्य तथा कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से जाना गया। सन् 1966 से 1974 तक इन्हें ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स का नाम दिया गया तथा 1978 के बाद से ये कॉमनवेल्थ गेम्स कहलाए। इन खेलों में तैराकी, भारोत्तोलन, तीरंदाजी, बास्केटबाल, दौड़, मुक्केबाजी, हॉकी आदि विभिन्न खेल होते हैं।
  2. नैतिकता
    नैतिक मूल्य वे नियम हैं जिन्हें तोड़ने पर कोई दंडित तो नहीं करता लेकिन व्यक्ति के अंतर्मन की ध्वनि ही उसे कचोटती है कि उसने जो किया है वह गलत है अर्थात् नैतिकता का भाव किसी पर थोपा नहीं जाता यह स्वयं ही व्यक्ति के मनोभावों से जागृत होता है। लाल बत्ती पर चलते वाहन को रोकना कानूनी नियम है जिसे तोड़ने पर दंड भुगतना पड़ेगा लेकिन किसी अंधे को सड़क पार करवाना मन से उठने वाला नैतिक भाव है क्योंकि यदि उसे सड़क न भी पार करवाई जाए तो वह किसी से कुछ कहेगा नहीं बल्कि स्वयं ही रास्ता टटोलता रहेगा। आज के सामाजिक वातावरण में नैतिकता का स्तर गिरता जा रहा है। लोग मानवीय भावनाओं को भूलते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि भ्रष्टाचार, रिश्वत, बेईमानी बढ़ती जा रही है। माता-पिता की सेवा का भाव समाप्त हो रहा है। माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय ही नहीं कि अपनी सभ्यता व संस्कृति से उन्हें सिखा सके। इसी कारण आपसी प्रेम, दया, करुणा, परोपकार का भाव समाज से समाप्त होता जा रहा है। मनुष्य अत्यधिक स्वार्थी होता जा रहा है। सड़क पर दुर्घटना हो जाए तो लोग अनदेखा कर आगे निकल जाते हैं।
  3. पराधीन को सुख कहाँ
    पराधीनता अर्थात् पर के आधीन। दूसरे के आधीन रहकर पराधीन व्यक्ति की कोई इच्छा ही नहीं रह जाती। वह सदैव अपने आप को जकड़ा हुआ महसूस करता है। उसके कार्यों, विचारों व सोच तक भी बंधन में प्रतीत होते है। तभी तो यह उकित सही है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल सकता। ये पंक्तियाँ इस ओर संकेत करती है कि स्वतंत्रता अत्यावश्यक है, इसका उदाहरण हम अपने भारत से ही ले सकते हैं। अंग्रेजों की गुलामी सहते-सहते भारतीय अपने ही देश में पराए हो गए, दासों की भांति जीवन व्यतीत करने हेतु मजबूर हो गए। पक्षी जिन्हें स्वच्छंदता ही पसंद है यदि उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाए तो वे सलाखों से टकरा-टकराकर अपने प्राण दे देते हैं। नदियों का बहता जल पीना, पेड़ों के मीठे फल खाना ही उन्हें भाता है। पिंजरे में पड़े विभिन्न पदार्थ उन्हें कभी आकर्षित नहीं करते।संसार के सभी वैभव, ऐश्वर्य स्वतंत्रता की तुलना में तुच्छ है। पराधीन को अपना जीवन उपेक्षित, अपमानित तथा दुखी प्रतीत होता है।उसका मन हार जाता है।
  4. राष्ट्रीय एकता
    भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यहाँ पर भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है। राष्ट्रीय एकता से हमारा अभिप्राय धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक समानता है, पर राष्ट्रीयता को खतरा तब उत्पन्न हो जाता है जब कुछ लोग अपने कुछ राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए लोगों को धर्म, जाति, भाषा के नाम पर आपस में लड़वाते हैं। कुछ धार्मिक कट्टरवादी केवल अपने जाति और धर्म को श्रेष्ठ मानकर अन्य धर्मों और जातियों के विरुद्ध घृणा कर प्रचार-प्रसार करते हैं। इकबाल ने कहा-'मज़हब नहीं सिखाता, आपस में वैर रखना'। सच्चा धर्म मानव को मानव से जोड़ने का पाठ पढ़ाता है। हमारे देश की राष्ट्रीय एकता को हानि पहुँचाने वाले तत्वों से हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। सरकार का भी कर्त्तव्य है कि देश की एकता को हानि पहुँचाने वाले के विरुद्ध कठोर कदम उठाए। यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। यदि देश है तो हम हैं। हमें अपनी राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाना चाहिए।