वसंत सुदामा चरित - Worksheets

CBSE Worksheet 01
सुदामा चरित

  1. श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर किससे धोये? (सुदामा चरित)
  2. द्वारिका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा स्वयं से किसे और क्या समझाने की बात करते हैं? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।
  3. कृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे किया?
  4. सुदामा को द्वारिका किसने भेजा था और क्यों? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।
  5. द्वारिका जाने के दौरान सुदामा ने कैसे वस्त्र पहने थे? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।
  6. पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
  7. निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण सुदामा चरित कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
  8. नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
    ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
    हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।।
    देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
    पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।।
    1. प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
    2. सुदामा की दशा देखकर कृष्णा की क्या प्रतिक्रिया हुई?
    3. कृष्णा ने सुदामा के चरण कैसे धोए?
    4. कृष्ण ने सुदामा से क्या कहा?
    5. इस पद्यांश में श्रीकृष्ण को किसकी संज्ञा दी गई है।
CBSE Worksheet 01
सुदामा चरित

Solution
  1. श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर अपने अश्रु-जल से धोये।
  2. द्वारिका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा स्वयं से अपनी पत्नी को व्यंग्यवश यह समझाने की बात करते हैं कि अब वह कृष्ण के द्वारा दिए गए अपार धन को सँभाल कर रखे।
  3. कृष्ण ने सुदामा को आसन पर बिठाया। उनके चरण धोने के लिए जल मँगवाया लेकिन वे इतने द्रवित हुए कि उन्होंने अपनी आँसुओं के जल से ही उनके चरण धो डाले व उनका राजसी स्वागत किया।
  4. सुदामा को द्वारिका उनकी पत्नी ने भेजा था क्योंकि उन्हें विश्वास था कि द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण अपने बाल-सखा अर्थात् सुदामा की गरीबी अवश्य दूर करेंगे।
  5. द्वारिका जाने के दौरान गरीब सुदामा के तन पर वस्त्र के नाम पर सिर्फ एक फटी-सी धोती और एक गमछा था।
  6. जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुंचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एडियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।
  7. सुदामा अपनी आर्थिक परेशानियों से तंग आकर कृष्ण के पास सहायता हेतु गया था। कृष्ण ने जब प्रत्यक्ष रूप से उसे कुछ न दिया तो वह मन ही मन निराश था। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचता है तो पाता है कि सब कुछ बदल गया। कृष्ण ने उसे सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया। उसकी टूटी झोंपड़ी के स्थान पर सोने का महल बन जाता है। पहले पाँवों में पहनने हेतु जूते तक नहीं थे और अब महावत हाथी लिए दरवाज़े पर खड़े थे। कभी रातें सख्त ज़मीन पर कटती थीं लेकिन अब रेशमी सेज है। कभी उसे खाने को मोटा अनाज भी नहीं मिलता था अब तो ईश्वर की कृपा से अंगूर भी अच्छे नहीं लगते अर्थात् कृष्ण की कृपा से सब कुछ परिवर्तित हो गया था।
    1. श्रीकृष्ण ने जब सुदामा को देखा तो वे भाव विह्वल हो उठे क्योंकि उनकी एड़ियाँ फटी हुईं अर्थात् पैदल चल कर बुरे हाल में थीं। पैरों में काँटे चुभे हुए थे वे उन्हें बार-बार देखते हैं। कृष्ण कहते हैं कि हे सखा! तुमने बहुत दुख पाए हैं। इतने दिन क्यों व्यर्थ किए, पहले मेरे पास क्यों न आए। अपने प्रिय मित्र सुदामा की दीन अवस्था को देखकर सब पर करुणा करने वाले श्रीकृष्ण स्वयं रोने लगे। सुदामा के पाँव धोने हेतु परात में लाया हुआ जल उन्होंने छुआ तक नहीं और अपने आँसुओं से ही सुदामा के पाँव धो डाले।
    2. सुदामा की फटी एड़ियाँ व पैरों में चुभे काँटे देखकर कृष्ण ने सुदामा से कहा कि हे मित्र इतना दुख तुमने पाया, तुम पहले यहाँ क्यों नहीं आए? सब पर करुणा करने वाले कृष्ण सुदामा की दशा देखकर रो पड़े। 
    3. सुदामा के पैर धोने हेतु सेवक द्वारा परात में लाए जल को कृष्ण ने छुआ तक नहीं, अपने आँसुओं के जल से ही उन्होंने सुदामा के पाँव धो डाले।
    4. सुदामा की दीन-हीन दशा देखकर कृष्ण रो पड़े।
    5. हे मित्र! तुम पहले यहाँ क्यों नहीं आए।