वसंत सूर के पद - Worksheets

CBSE Worksheet 01
सूर के पद

  1. 'तैं ही पूत अनोखी जायौ'- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं? (सूर के पद)
  2. कृष्ण छींके की हांडी से माखन कैसे चुराते थे? (सूर के पद)
  3. गोपी किसकी शिकायत लेकर माता यशोदा के पास आती हैं ? (सूर के पद)
  4. चोटी न बढ़ने पर बालक कृष्ण माता यशोदा से क्या शिकायत करते हैं?
  5. कृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने को तैयार हुए थे? उन्हें क्या पसंद था?
  6. बालक कृष्ण माता यशोदा से क्या पूछ रहे हैं?
  7. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पर अधिक अच्छा लगा और क्यों?
  8. निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
    मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी?
    कितनी बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
    तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी-मोटी।
    काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिन सी भुइँ लोटी।
    काचौ दूध पियावति पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।
    सूर चिरजीवी दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।
    1. कवि और कविता का नाम लिखिए?
    2. इस पद में कौन, किससे क्या पूछ रहा है?
    3. माता यशोदा ने कृष्ण को क्या बताया था?
    4. माता यशोदा कृष्ण को क्या देती थी और बालक क्या चाहता था?
    5. किस-किसकी जोड़ी की दीर्घायु होने की कामना की गई है?
CBSE Worksheet 01
सूर के पद

Solution
  1. 'तैं ही पूत अनोखौ जायौ' अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है।
  2. छोटे होने के कारण कृष्ण का हाथ तो छीकें तक नहीं पहुंचता इसलिए वे ऊपर चढ़कर छींके की हांडी से माखन खाते और अपने साथियों को भी खिलाते थे।
  3. गोपी श्रीकृष्ण की शिकायत लेकर माता यशोदा के पास आती हैं।
  4. चोटी न बढ़ने पर बालक कृष्ण माता यशोदा से यह शिकायत करते हैं कि “माँ तू तो कहा करती थी कि मेरी चोटी बलराम भैया की चोटी की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी तथा बार-बार काढ़ते-गूँथते रहने से यह बड़ी होकर नागिन की तरह जमीन पर लोटने लगेगी पर ऐसा तो कुछ नहीं हुआ। मेरी चोटी अभी भी छोटी की छोटी ही बनी हुई है।”
  5. कृष्ण अपने सिर की चोटी लंबी एवं मोटी होने के लोभ में दूध पीने को तैयार हुए थे। उन्हें दूध पीना पसंद नहीं था। उन्हें तो माखन-रोटी खाना पसंद था।
  6. बालक कृष्ण माता यशोदा से पूछ रहे हैं कि उनकी चोटी कब बड़ी होगी? वे भी अपनी चोटी को लंबी और मोटी देखना चाहते हैं।
  7. दोनों पदों में से मुझे पहला पद अधिक अच्छा लगा क्योंकि पहले पद में बालक श्रीकृष्ण की स्वाभाविक मनोवृति का परिचय मिलता है। बाल-मनोविज्ञान की दृष्टि से यह पद अत्यंत स्वाभाविक एवं नाहज है, जिसमें बालक श्रीकृष्ण अपनी छोटी नहीं बढ़ने की शिकायत अपनी माँ यशोदा से करते हैं। साथ ही, एक बालक के मन में छिपी ईर्ष्या भाव का दर्शन भी इस पद में होता है। वे अपने बालों को बलराम की तरह बड़ा देखना चाहते हैं। बाल सुलभ सहजता एवं जिज्ञासा का परिचय भी इसमें मिलता है। वे माता यशोदा के बहलाने के कारण माखन-रोटी खाने की अपेक्षा कच्चा दूध पी लेते हैं। इस तरह, इस पद में बाल-मनोविज्ञान का अर्यंत सटीक एवं स्वाभाविक चित्रण हुआ है।
    1. कवि - सूरदास
      कविता - सूरदास के पद 
    2. इस पद में बालक कृष्ण अपनी माँ यशोदा से यह पूछ रहा है कि मेरी चोटी कब बढ़ेगी।
    3. माता यशोदा ने बालक कृष्ण को यह बताया था कि दूध पीने से तेरी चोटी बलराम की तरह लंबी-मोटी हो जाएगी। यह काढ़ते, गूंथते समय नागिन के समान दिखाई देगी।
    4. माता यशोदा बालक को पीने के लिए कच्चा दूध देती थी, जबकि बालक कृष्ण माखन-रोटी खाना चाहता था।
    5. कृष्ण-बलराम की जोड़ी की दीर्घायु होने की कामना की गई है।