भारत की खोज अंतिम दौर एक - Worksheets

CBSE Worksheet 01
अंतिम दौर एक

  1. रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी के विचारों में क्या समानता थी?
  2. अबुल कलाम आज़ाद ने क्या विशेष कार्य किया?
  3. सन् 1912 में अबुल कलाम आज़ाद किस पद पर थे? उन्होंने कौन-सा समाचार पत्र निकाला? (अंतिम दौर एक)
  4. सन् 1857 के गदर के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में क्यों थे? इसका परिणाम क्या हुआ?
  5. शिक्षा के प्रचार को नापसंद करने वाले अंग्रेज़ों को भारत में शिक्षा का प्रचार क्यों करना पड़ा ?
  6. सर सैयद अहमद खाँ कौन थे, वे अंग्रेज़ों के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखते थे ?
  7. रवीन्द्रनाथ ठाकुर के विषय में आप क्या जानते हैं? लिखिए। अंतिम दौर-एक पाठ के आधार पर बताइये।
  8. अंग्रेजों के भारतीयों की चेतना जाग्रत करने का श्रेय क्यों दिया जाता है? अंतिम दौर एक पाठ के आधार पर बताइये।
CBSE Worksheet 01
अंतिम दौर एक

Solution
  1. रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी दोनों ही मानवतावादी विचारधारा पर बल देने वाले थे।
  2. अबुल कलाम आजाद ने मुस्लिम बुद्धिजीवी समुदाय में सनसनी पैदा कर दी और युवा पीढ़ी के दिमाग में राष्ट्रीयता की भावना जगाने हेतु उत्तेजना भरी।
  3. अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के वर्तमान सभापति थे उन्होंने उर्दू में 'अल-हिलाल' निकाला जो लोगों में चेतना जागृत करने वाला था।
  4. सन् 1857 के विद्रोह के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में थे क्योंकि वे यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वे ब्रिटिश सरकार का साथ दें या हिंदुओं का।
    इसका परिणाम यह हुआ कि एक नए वर्ग का जन्म हुआ 'बुर्जुआ वर्ग।'
  5. अंग्रेज़ शिक्षा के प्रचार को नापसंद करते थे, फिर भी भारत में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना उनकी विवशता थी। वे भारत में पाश्चात्य संस्कृति तथाआचार-विचार को फैलाना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें अपने कार्यों के लिए क्लर्क भी तैयार करने थे।
  6. सर सैयद अहमद खाँ उत्साही मुस्लिम सुधारक थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे अंग्रेज़ी शिक्षा और उनकी नीतियों के समर्थक थे। वे मुसलमानों को अंग्रेज़ों का हितैषी सिद्ध करना चाहते थे।
  7. रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानन्द के समकालीन थे। वे उस समय के कलाकार तथा श्रेष्ठ लेखक थे। उन्होंने सुधारवादी और स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। जलियाँवाला बाग कांड का विरोध करते हुए, उन्होंने 'सर' की उपाधि लौटा दी थी। घोर व्यक्तिवादी होने के बावजूद भी वे रूसी क्रांतियों की उपलब्धियों के प्रशंसक थे। वे सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीयतावादी थे तथा भारत के सबसे बड़े मानवतावादी थे।
  8. अंग्रेजों को भारतीयों की  चेतना जाग्रत करने का श्रेय इसलिए दिया जाता है क्योंकि उन्हें अपना काम करवाने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी जिस वे कम वेतन पर अपने काम के लिए पढ़े-लिखे क्लर्क तैयार कर सकें। इसके लिए उन्होंने उन्हें शिक्षित करना बेहतर समझा। इसके अतिरिक्त वे भारतीयों को पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में ढालना चाहते थे ताकि वे अंग्रेज़ सरकार के भक्त बने रहे और उन्हें शासन चलने में कोई कठिनाई नहीं आए। यही कारण था कि  शिक्षित होने के पश्चात भी भारतीयों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के विषय में सोचा।