वसंत अकबरी लोटा - Worksheets

CBSE Worksheet 01
अकबरी लोटा

  1. लाला झाऊलाल की पत्नी ने कोनसी माँग रखी, जिससे वे विचलित हो गए ? (अकबरी लोटा)
  2. खाने-पीने की कमी न होने पर भी लाला के पास ढाई सौ रुपए क्यों नहीं थे? (अकबरी लोटा)
  3. लोटा किसने और कितने में ख़रीदा? (अकबरी लोटा)
  4. हफ़्ते के आखिरी दिन लाला झाऊलाल के मन में क्या-क्या विचार आ रहे थे?
  5. झाऊलाल मन-ही-मन बिलवासी जी से क्यों नाराज़ हो रहे थे?
  6. झाऊलाल की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
  7. बिलवासी मिश्र जी ने अंग्रेज की सहानुभूति एवं विश्वास कैसे प्राप्त किया? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए। अकबरी लोटा पाठ के आधार पर बताइये।
  8. निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:-
    पं. बिलवासी मिश्र भीड़ को चीरते हुए आँगन में आते दिखाई पड़े। उन्होंने आते ही पहला काम यह किया कि उस अंग्रेज़ को छोड़कर और जितने आदमी आँगन में घुस आए थे, सबको बाहर निकाल दिया। फिर आँगन में कुर्सी रखकर उन्होंने साहब से कहा-"आपके पैर में शायद कुछ चोट आ गई है। अब आप आराम से कुर्सी पर बैठ जाइए।"
    1. इसी समय कौन अचानक आया और क्यों?
    2. आते ही उन्होंने क्या किया?
    3. झगड़ते हुए अंग्रेज़ का विरोध करने की बजाय वे उसका साथ क्यों दे रहे थे?
    4. पंडित बिलवासी जी क्यों आए थे?
    5. पंडित बिलवासी जी का अंग्रेज के प्रति व्यवहार कैसा था?
CBSE Worksheet 01
अकबरी लोटा

Solution


  1. लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक साथ 250 रुपयों की माँग रखी, जिससे लाला विचलित हो उठे और उनका जी बैठ गया।
  2.  
  3. खाने-पीने की कमी न होने पर भी लाला के पास ढाई सौ रुपए नहीं थे क्योंकि उनकी बचत का कोई जरिया न था।
  4. लोटा उस अंग्रेज़ व्यक्ति ने 500 रुपए में ख़रीदा, जिसे उसी लोटे से चोट लगी थी।
  5. हफ़्ते के आखिरी दिन तक रुपयों का इंतजाम न होने से लाला झाऊलाल परेशान थे। वे सोच रहे थे कि यदि आज बिलवासी मिश्र नहीं आए और कल तक ढाई सौ रुपये न मिल पाए तो पत्नी के सामने उनकी साड़ी हेकड़ी धरी रह जाएगी |
  6. झाऊलाल अपने मित्र पंडित बिलवासी मिश्र पर मन-ही-मन इसलिए नाराज़ हो रहे थे क्योंकि वे अंग्रेज़ को  लालाजी के विरुद्ध भड़का रहे थे। एक अच्छे मित्र होने के नाते पंडित जी से लालाजी को यह आशा थी कि वे उनकी इस बढ़ते विवाद में अनुकूल व सार्थक सहायता करेंगे लेकिन पंडित जी तो अंग्रेज़ का ही साथ देने लगे थे।
  7. उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न थी काशी के ठठेरी बाज़ार में रहते थे। नीचे की दुकानों से सौ रुपए किराया मिल जाता था। दोनों पति-पत्नी इसी के सहारे अच्छा पहनते व खाते पीते थे। उनकी कोई बचत न होती थी।
  8. लाला झाऊलाल के सच्चे मित्र थे होने के कारण पंडित बिलवासी मिश्र को लाला जी की समस्या अपनी समस्या लगने लगी। उन्होंने उस समस्या का समाधान निकालने की हर संभव कोशिश की और जब इसी प्रक्रिया में उन्होंने लाला जी के घर में भीड़ तथा चोटिल अंग्रेज को देखा, तो उनके दिमाग में एक उपाय आया उन्होंने उस लोटे को ऐतिहासिक लोटा बनाकर अंग्रेज का विश्वास जीत लिया। अपने इस उपाय को सफल बनाने के लिए और अंग्रेज की सहानुभूति एवं विश्वास प्राप्त करने के लिए उन्होंने लाला जी को खूब भला-बुरा कहा और उनसे अपने संबंध को खारिज कर दिया। उन्होंने लाला जी की शिकायत पुलिस में करने की भी सलाह दी। इससे अंग्रेज को लगा कि  बिलवासी जी का लाला के साथ कोई संबंध नहीं है और बिलवासी जी उस अंग्रेज का भला ही चाहते हैं।
    1. जब अंग्रेज़ लालाजी से लड़ने पहुंचा तो अचानक बिलवासी मिश्र जी आ गए। वे लाला जी को ढाई सौ रुपए देने आए थे।
    2. आते ही उन्होंने अंग्रेज़ को छोड़कर बाकी एकत्रित भीड़ को बाहर भेज दिया।
    3. झगड़ते हुए अंग्रेज़ का विरोध करने की बजाय लाला जी ने उसका साथ दिया क्योंकि एक तो वे उसे शांत करके मामला सुलझाना चाहते थे दूसरी ओर उनके मन में यह बात भी आ गई कि लोटे का ही कुछ कमाल दिखाया जाए।
    4. झाऊलाल को ढाई सौ रुपए देने
    5. विनम्र