वसंत बस की यात्रा - Worksheets

CBSE Worksheet 01
बस की यात्रा

  1. बस के विषय में डाक्टर ने क्या कहा?
  2. 'बस की यात्रा' पाठ में किसे देखकर लोगों की श्रद्धा उमड़ पड़ी?
  3. बस की यात्रा पाठ में लेखक व उसके मित्र कहाँ जा रहे थे?
  4. बस की यात्रा पाठ में लेखक एवं उसके मित्र निश्चितता से बस में कब बैठे?
  5. बस की यात्रा पाठ में लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार के लिए ऐसा क्यों कहा कि इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए?
  6. बस की यात्रा पाठ के अनुसार "गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।" लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
  7. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? वसंत बस की यात्रा के आधार पर लिखिए।
  8. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। कहते-"वह महान आदमी आ रहा है जिसने एक टायर के लिए प्राण दे दिए। मर गया, पर टायर नहीं बदला।"
    1. लेखक व पाठ का नाम लिखिए।
    2. पुलिया पर पहुंचते ही क्या हुआ?
    3. लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार की ओर श्रद्धाभाव से क्यों देखा?
    4. 'उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है' ऐसा लेखक ने क्यों कहा?
    5. बस के हिस्सेदार को क्रांतिकारी का नाम लेखक क्यों देना चाहता था?
CBSE Worksheet 01
बस की यात्रा

Answers
  1. डाक्टर ने कहा- "बस अनुभवी है। नयी-नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है। हमें बेटों की तरह प्यार से गोद में लेकर चलेगी।"
  2. 'बस की यात्रा' पाठ मेंवयोवृद्ध बस को देखकर लोगों की श्रद्धा उमड़ पड़ी।
  3. लेखक व उसके मित्रों को जबलपुर जाना था। वे पन्ना किसी काम से आए थे।
  4. बस के पंचर होने पर जब उसमें दूसरा घिसा टायर लगाया गया तो बस फिर से चल दी। अब लेखक व उसके मित्रों ने अपने गंतव्य पर जल्दी पहुँचने की चाह छोड़ दी और सब कुछ भाग्य पर डाल दिया। ऐसा करने से उनकी बेचैनी समाप्त हो गई और वे निश्चितता से बस में बैठ गए।
  5. लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार के लिए यह कहा कि इसे तो किसी क्रांतिकारी आदोलन का नेता होना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार क्रांतिकारी अपनी कार्यवाही व इरादे पर पक्के रहते हैं उसी प्रकार यह भी मानने को कतई तैयार न था कि बस की अवस्था जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है।
  6. जब लेखक ने बस को जर्जर व क्षीण अवस्था में देखा तो उसे यह विश्वास नहीं था कि वह सफ़र तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कंपनी के हिस्सेदार से यह पूछा कि यह बस चलती भी है तो उन्होंने उत्तर दिया कि यह अपने आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था।
  7. 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' 1930 में सरकारी आदेशों का पालन न करने के लिए किया था। इसमें अंग्रेज़ी सरकार के साथ सहयोग न करने की भावना थी। लेखक ने 'सविनय अवज्ञा' का उपयोग बस के सन्दर्भ में किया है। वह इस प्रतीकात्मक भाषा के माध्यम से यह बताना चाह रहा है कि बस विनयपूर्वक अपने मालिक व यात्रियों से उसे स्वतंत्र करने का अनुरोध कर रही है। जिस तरह अंग्रेजों की दमनपूर्वक नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही , उसी तरह यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी।
    1. लेखक का नाम - हरिशंकर परसाई
      पाठ का नाम - बस की यात्रा
    2. पुलिया पर पहुँचते ही बस का टायर पंचर हो गया।
    3. लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार को श्रद्धाभाव से इसलिए देखा क्योंकि यह जानते हुए भी कि बस के पहिए खराब हैं, लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है, वे निरंतर अपने लोभ-लालच के कारण बस को सड़क पर भगा रहे थे।
    4. 'उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है' ये शब्द बस के हिस्सेदार के लिए प्रयुक्त हुए। कंपनी के हिस्सेदारों का बस के प्रति ऐसा लगाव व उसे न छोड़ने का मोह बहुत ही कठिनाई से देखने को मिलता है। इस पाठ में भी कंपनी के हिस्सेदार बस की जर्जर अवस्था होने के बावजूद भी उसे छोड़ने को तैयार न थे।
    5. जिस प्रकार क्रांतिकारी एक उद्देश्य से बढ़ते हैं वैसे ही बस का हिस्सेदार भी किसी की परवाह किए बिना केवल बस को चलाने व लाभ कमाने के उद्देश्य से प्रेरित था।