भारत की खोज दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी - Worksheets

CBSE Worksheet 01
दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी

  1. वर्ष 1942 में किसने महत्वपूर्ण कार्य किया? दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए।
  2. अकाल के दौरान कलकत्ता की हालत कैसी थी? दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइए।
  3. वर्ष 1942 का विद्रोह असफल क्यों रहा?
  4. कलकत्ता में अकाल के समय कैसी स्थिति थी?
  5. 1943 ई० में भारत को किस भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, इसका प्रभाव कहाँ-कहाँ तक था ?
  6. वर्ष 1942 में नेताओं की गिरफ्तारी का आम जनता पर किस तरह का प्रभाव पड़ा? दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइये।
  7. अकाल के समय कलकत्ता की स्थिति का अवलोकन करिए। दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी पाठ के आधार पर बताइये।
  8. नेहरू जी ने अपने लेखन 'भारत की खोज' में किन-किन विचारों को स्थान देकर, भारतीयों को कैसे प्रेरित किया है?
CBSE Worksheet 01
दो पृष्ठभूमियाँ भारतीय और अंग्रेज़ी

Solution
  1. वर्ष 1942 में युवा वर्ग तथा विशेषकर विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण कार्य किया।
  2. अकाल के दौरान कलकत्ता की हालत चिंताजनक थी।
  3. वर्ष 1942 का विद्रोह योजनाबद्ध तरीके से अंजाम नहीं दिए जाने के कारण असफल रहा।
  4. अकाल ने कलकत्ता की आम जनता को अधिक प्रभावित किया, सड़कों पर लोगों की लाशें मिली थी और दूसरी ओर अभिजात्य वर्ग था, जिस पर अकाल या लोगों के दुख-दर्द का कोई असर ही न था वह अपनी ही विलासिता में मस्त था।
  5. 1943 ई० में भारत को भीषण अकाल का सामना करना पड़ा था। इस अकाल का प्रभाव बंगाल और पूर्वी तथा दक्षिण भारत की बहुसंख्यक जनता पर पड़ा।
  6. वर्ष 1942 में नेताओं की गिरफ्तारी तथा गोली-बारी की बात सुनकर आम जनता भड़क उठी। जनता ने सहज तथा हिंसक प्रदर्शन किए। जनता इतनी उत्तेजित हो गई कि चुप नहीं बैठ सकी तथा तोड़-फोड़ करने से भी नहीं चूकी।
  7. अकाल के समय कलकत्ता की आम जनता अधिक प्रभावित हुई, सड़कों पर चारों ओर लोगों की लाशें बिछ गईं तथा दूसरी तरफ अभिजात्य वर्ग था, जिसके सामाजिक जीवन पर कोई परिवर्तन नहीं आया था। उस पर न तो अकाल का कोई प्रभाव हुआ और न ही लोगों के दुःख-दर्द का कोई असर था। यह वर्ग अपनी ही विलासिता तें मग्न था। उसका जीवन उल्लास से भरा था।
  8. नेहरू जी ने भारत की खोज' लेखन में निम्न विचारों को स्थान देकर भारतीयों को प्रेरित करने का प्रयास किया है।
    1. भारत एक भौगोलिक व आर्थिक सत्ता है, उसकी विभिन्नता में सांस्कृतिक एकता है।
    2. भारत पर विदेशी जातियों के कितने ही आक्रमण हुए लेकिन उसकी आत्मा अर्थात् अस्तित्व को कोई जीत न सका, भले ही शासन सत्ता बदलती रही।
    3. भारत का अतीत सदा भारतीयों के साथ जुड़ा रहेगा।
    4. यदि हम विदेशों के साथ मिलकर नहीं चलेंगे तो पिछड़ापन हमें घेर लेगा।
    5. अंतरराष्ट्रीयतावाद की ओर कदम बढ़ाने होंगे।
    6. वर्तमान में सच्ची स्वतंत्रता, समानता और सच्ची अंतरराष्ट्रीयता ही उन्नति का आधार है।
    7. हमें अपने देश, देशवासियों, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना चाहिए।
    8. अपनी कमजोरियों व असफलताओं को न भुलाकर उनमें सुधार लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
    9. दुनिया की रफ़्तार के साथ चलते हुए दूसरी संस्कृतियों के साथ मेलजोल करके आगे बढ़ना चाहिए।
    10. सामूहिक कार्यों में सबका सहयोग देना भारतीयों का धर्म हो।
    11. दूसरों की कृपा और सहारे का प्रार्थी भारतीयों को नहीं बनना।
    12. भारतीयों को सच्चे भारतीय और एशियाई बन अंतरराष्ट्रीयता को अपनाते हुए विश्व नागरिक बनना है अर्थात् विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करना है।