अपठित काव्यांश - Worksheets

CBSE Worksheet 01
अपठित काव्यांश

  1. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-पहले से कुछ लिखा भाग्य में
    मनुज नहीं लाया है,
    अपना सुख उसने अपने
    भुजबल से ही पाया है।
    प्रकृति नहीं डर कर झुकती है
    कभी भाग्य के बल से,
    सदा हारती वह मनुष्य के
    उद्यम से, श्रमजल से।
    ब्रह्मा का अभिलेख
    पढ़ा करते निरुद्यमी प्राणी
    धोते वीर कु-अंक भाल का
    बहा ध्रुवों से पानी।
    भाग्यवाद आवरण पाप का
    और शस्त्र शोषण का
    जिससे रखता दबा एक जन
    भाग दूसरे जन का।
    पूछो किसी भाग्यवादी से
    यदि विधि-अंक प्रबल है
    पद पर क्यों देती न स्वयं
    वसुधा निज रतन उगल है?
    1. मनुष्य सुख कैसे प्राप्त करता है?
    2. प्रकृति किसके समक्ष नहीं झुकती?
    3. ब्रह्मा का अभिलेख कौन पढ़ा करते हैं?
    4. शस्त्र किसका प्रतीक है?
    5. धरती से भी अनाज कैसे प्राप्त किया जाता है?
  2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    देखकर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।
    रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
    काम कितना ही कठिन हो किंतु उकताते नहीं।
    भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।।
    हो गए एक आन में उनके बुरे दिन भी भले।
    सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।।
    आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।
    सोचते-कहते हैं जो कुछ, कर दिखाते हैं वही।।
    मानते जी की हैं, सुनते हैं सदा सबकी कही।
    जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही।।
    भूलकर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं।
    कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।
    1. कवि ने इस पद्यांश में किनकी प्रशंसा की है?
    2. भाग्य के भरोसे रहने वालों को पछताना क्यों पड़ता है?
    3. कैसे लोग सब जगह और सभी कालों में फलते-फूलते हैं?
    4. कर्मवीर सबकी सुनकर भी केवल अपने जी की क्यों मानते हैं?
    5. पद्यांश हेतु उचित शीर्षक दीजिए।
CBSE Worksheet 01
अपठित काव्यांश

Solution


    1. भुजबल से
    2.  
    3. भाग्य के
    4. निरुद्यमी
    5. शोषण का
    6. किसान को परिश्रम करना पड़ता है।
    1. इस पद्यांश में कवि ने कर्मवीरों की प्रशंसा की है।
    2. भाग्य के भरोसे रहने वाले को पछताना पड़ता है क्योंकि वह कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता।
    3. जो लोग अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु केवल कर्म करते हैं। कभी किसी कार्य का दिखावा नहीं करते।
    4. कर्मवीर सबकी सुनकर भी केवल अपने जी को मानते हैं क्योंकि वे किसी को नाराज भी नहीं करते और अपने बल-पौरुष से अपना लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
    5. कर्मवीर।