वसंत पानी की कहानी - Worksheets

CBSE Worksheet 01
पानी की कहानी

  1. बूंद को किसका इंतजार था? और क्यों? (पानी की कहानी)
  2. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली? पानी की कहानी पाठ के आधार पर बताइए।
  3. बूँद लेखक की कलाई से हाथ पर क्यों सरक गई? (पानी की कहानी)
  4. बूँद ने समुद्र की गहराई में क्या-क्या देखा? विचित्र जीवन की क्या विशेषता थी?
  5. बूँद द्वारा गर्मधारा के साथ जो व्यवहार किया गया उससे क्या शिक्षा मिलती हैं?
  6. बूँद को समुद्र के बारे में क्या-क्या नया ज्ञान प्राप्त हुआ?
  7. पानी की कहानी के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। 
  8. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
    हम लोग अब एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था। एक बड़े ज़ोर का धड़ाका हुआ। हम बड़ी तेज़ी से बाहर फेंक दिए गए। हम ऊँचे आकाश में उड़ चले। इस दुर्घटना से हम चौक पड़े थ। पीछे देखने से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी फट गई है और उसमें धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकल रही हैं। यह दृश्य बड़ा ही शानदार था और इसे देखने की हमें बार-बार इच्छा होने लगी।
    1. पृथ्वी का गर्भ क्यों हिल रहा था?
    2. बड़ी ज़ोर से हुए धड़ाके को क्या कहा जाता है?
    3. बूंद को यह दृश्य कैसा लगा?
    4. पृथ्वी के भीतर क्या-क्या निकला?
    5. 'हम लोग' शब्द किनके लिए प्रयुक्त है?
CBSE Worksheet 01
पानी की कहानी

Solution
  1. बूँद को सूर्य का इंतजार था क्योंकि सूर्य के ताप से भाप बनकर वह ऊपर की ओर उड़ना चाहती थी।
  2. लेखक प्रात: काल बेर की झाड़ी के नीचे से गुज़र रहा था कि बूँद अचानक उसकी कलाई पर गिरी और सरक कर उसकी हथेली पर चली आई।
  3. बूँद लेखक की कलाई से हाथ पर रक्षा पाने हेतु सरकी।
  4. बूँद समुद्र की गहराई में समाती जा रही थी। वहाँ उसने देखा कि पानी के नीचे सूर्य का प्रकाश बहुत कम है। उसे बल लगाकर देखना पड़ रहा है, इस कारण उसे पीड़ा हो रही है। वहाँ उसने रंगीन मछली, छोटे-छोटे पेड़, पहाड़ियाँ और घाटियाँ तथा अनेक प्रकार के विचित्र जीव-जंतु देखे। उनमें एक रंगीन मछली भी थी, जिससे चमक निकल रही थी। इस चमक के कारण जो भी छोटी मछली उसके निकट आती थी वह उसे खा जाती थी।
  5. जब बूँद की गर्मधारा से भेंट हुई तो उसने धारा के जलते अस्तित्व को ठंडक पहुँचाने की कोशिश की और उसकी गर्मी सोखने की कोशिश की। उसके इस व्यवहार से हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी  बूँद की तरह परोपकार करना चाहिए।
  6. बूँद सोचती थी कि समुद्र में केवल पानी-ही-पानी है परंतु वहाँ पहुँचकर बूँद ने जाना कि समुद्र में बहुत-से अन्य जीव-जंतु हैं। वहाँ उनकी अपनी दुनिया है। इसके अलावा समुद्र के पानी में नमक ही नमक भरा हुआ है।
  7. पानी का जन्म हाइड्रोजन(ह्द्रजन) व ऑक्सीजन (ओषजन) के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। ब्रह्माण्ड में जब पृथ्वी और उसके साथी ग्रहों का उद्भव भी नही हुआ था तब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, ये दोनों गैस सौरमंडल में लपटों के रूप में थी। कोई उल्कापिंड सूर्य से टकराया और सूर्य टुकड़ों में विभक्त हो गया। इन टुकड़ों में से ही एक टुकडा पृथ्वी के रूप में उत्पन्न हुआ। इस पृथ्वी नामक ग्रह पर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में रासायनिक क्रिया हुई और पानी का जन्म हुआ।
    पृथ्वी के वातावरण में इर्द -गिर्द बूँद भाप के रूप में घूमती रहती है और इसके बाद वह  ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है। समुद्र से आने वाली  गर्म-धारा से मिलकर बूंद अपने ठोस रूप को त्यागकर जल का रूप धारण कर लेती है।
    1. पृथ्वी का गर्भ गरमी के कारण हिल रहा था क्योंकि ज्वालामुखी फटने वाला था।
    2. बड़ी ज़ोर के धड़ाके को ज्वालामुखी का फटना कहा जाता है जिसमें तेज गरमी के कारण धरती फट जाती है व उसके भीतर की मिट्टी, रेत, खनिज पदार्थ व धातुएँ सब बाहर आ जाती है।
    3. बूंद को यह दृश्य बड़ा शानदार लगा। बूंद की इच्छा हो रही थी कि वह इस दृश्य को बार-बार देखे।
    4. धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ व लपटें। 
    5. ' हम लोग' बूँद व उसके भाई बाँधवों के लिए प्रयुक्त किया है।