वसंत जहाँ पहिया है - Worksheets

CBSE Worksheet 01
जहाँ पहिया है

  1. वर्ष 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन क्या हुआ?
  2. 'नवसाक्षर' इस शब्द का अर्थ वसंत जहाँ पहिया है पाठ के आधार पर बताइए।
  3. साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को 'आज़ादी' का अनुभव क्यों होता होगा? जहाँ पहिया है पथ के आधार पर बताइए।
  4. पुडुकोट्टई जिले में किन-किन वर्गों की महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखकर लाभ उठाया है?
  5. जमीला बीवी किस पृष्ठभूमि से संबंधित है? उसने लोगों की फ़ब्तियों की परवाह क्यों नहीं की?
  6. साइकिल चलाने से संबंधित कैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया? (वसंत जहाँ पहिया है)
  7. पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं के लिए साइकिल चलाना शौक के साथ-साथ उपलब्धि कैसे बन गया?
  8. निम्न गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह ज़िला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। हैंडल पर झंडियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई में तूफ़ान ला दिया। महिलाओं की साइकिल चलाने की इस तैयारी ने यहाँ रहनेवालों को हक्का-बक्का कर दिया।
    1. 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' कब मनाया गया?
    2. इस दिन के बाद पुडुकोट्टई की महिलाओं में क्या परिवर्तन आया?
    3. महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने का प्रदर्शन कैसा था?
    4. लोग हक्के-बक्के क्यों थे? 
    5. 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' पहली बार कब मनाया गया?
CBSE Worksheet 01
जहाँ पहिया है

Solution
  1. वर्ष 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लगभग 1500 महिलाओं ने अपनी साइकिल की हैंडल पर झंडियाँ लगाईं। घंटी बजाते हुए साइकिल पर सवार होकर पुडुकोट्टई में तूफान ला दिया।
  2. नवसाक्षर का अर्थ है-नया सीखने वाला, इस पाठ में नवसाक्षर शब्द का प्रयोग नई-नई साइकिल चलाना सीखने वाली महिलाओं के लिए प्रयुक्त हुआ है।
  3. फातिमा के गाँव में पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ थीं। वहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। इन रुढियों के बंधनों को तोड़कर स्वयं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को 'आज़ादी' का अनुभव होता होगा।
  4. पुडुकोट्टई जिले में बहुत-सी महिलाएँ साइकिल की प्रशंसक हैं। इनमें खेतिहर मज़दूर, पत्थर खदानों में काम करने-वाली महिलाएँ तथा गाँवों में काम करनेवाली नर्से हैं। इनके अलावा बालवाड़ी और आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, पत्थरों को तराशनेवाली महिलाएँ, स्कूल की अध्यापिकाएँ, ग्राम सेविकाएँ तथा दोपहर का भोजन पहुँचानेवाली महिलाएँ एवं नवसाक्षर महिलाएँ शामिल हैं।
  5. जमीला पुडुकोट्टई इलाके की अत्यंत रुढ़िवादी पृष्ठभूमि से संबंध रखनेवाली मुस्लिम महिला है, जिसने जल्दी ही साइकिल चलाना सीख लिया था। उसके मन में साइकिल सीखने के लिए उमंग तथा लालसा थी। वह दृढ़ निश्चयी थी, इस कारण उसने लोगों की फ़ब्तियों की परवाह नहीं की।
  6. साइकिल चलाने से संबंधित 'प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता' आदि सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रदर्शन में महिलाएँ साइकिल चलाने के विभिन्न प्रकार के कौशल दिखाती हैं व प्रतियोगिता में हर महिला साइकिल चालक सबसे आगे निकल जाना चाहती है। इससे महिलाओं में साइकिल चलाने के प्रति रुचि व उत्साह बढ़ा।
  7. पुडुकोट्टई की महिलाएँ पिछड़ेपन की शिकार थीं। यहाँ महिलाओं को किसी प्रकार की स्वतंत्रता न थी। अचानक साइकिल चलाने का आंदोलन हो जाने पर यहाँ की महिलाओं में ऐसा परिवर्तन आया कि उनकी जिंदगी ही बदल गई। शुरू-शुरू में तो साइकिल चलाना उन्हें आत्मसम्मान लगा लेकिन धीरे-धीरे वे साइकिल द्वारा आत्मनिर्भर बन गईं। कहीं भी आना-जाना, घर के बाहरी काम करने, यहाँ तक कि साइकिल पर सवार होकर कृषि उत्पादनों को आस-पास के गाँवों में बेचना; आस-पास के गाँवों से महिलाओं के मैत्री संबंधों का बढ़ना भी साइकिल द्वारा हो सका। खेतिहर मजदूर, पत्थर तराशने वाली महिलाएँ; नसें, अध्यापिकाएँ आदि सभी साइकिल का प्रयोग करने लगीं। वे बच्चों को भी अपने साथ साइकिल पर बिठाकर सभी कार्य कर लेती थीं। इससे उनकी पुरुषों पर निर्भरता समाप्त हो गई इसलिए यह कहना पूर्णतया सही है कि पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं के लिए साइकिल चलाना शौक के साथ-साथ उपलब्धि बन गया।
    1. सन् 1992 में 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया गया।
    2. इस दिन के बाद पुडुकोट्टई की महिलाओं ने साइकिल चलाने की ओर कदम बढ़ाए और अपने बंद दायरे की जंजीरों को तोड़ डाला।
    3. लगभग 1500 महिलाओं ने साइकिल के हैंडलों पर झंडियाँ लगाकर, घंटियाँ बजा-बजाकर साइकिल चलाने का प्रदर्शन किया।
    4. महिलाओं की जागृति देखकर।
    5. सन् 1992 में