वसंत भगवान के डाकिये - Worksheets

CBSE Worksheet 01
भगवान के डाकिये

  1. भगवान के डाकिए कौन है?
  2. पक्षियों व बादलों में क्या समानता होती है? भगवान के डाकिये  पाठ के आधार पर बताए।
  3. पक्षी और बादल डाकिए  क्यों कहलाते हैं?
  4. कविता में प्रकृति के विभिन्न अंगों द्वारा क्या-क्या मानवीय क्रिया-कलाप करते हुए दिखाया गया है?
  5. प्रकृति भगवान का संदेश जान जाती है-इसके माध्यम से कवि का क्या तात्पर्य है? (भगवान के डाकिये)
  6. पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं। ये डाकिये परंपरागत डाकियों से किस प्रकार भिन्न है?
  7. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए। (भगवान के डाकिये)
  8. निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें।
    पक्षी और बादल,
    ये भगवान के डाकिए हैं,
    जो एक महादेश से
    दूसरे महादेश को जाते हैं।
    हम तो समझ नहीं पाते हैं
    मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
    पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
    बाँचते हैं।
    1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
    2. भगवान के डाकिए किन्हें कहा गया है?
    3. ये डाकिए कहाँ से कहाँ तक जाते हैं?
    4. इन डाकियों की लाई चिट्ठियों को कौन पढ़ता है?
    5. इनकी लाई चिट्ठियों में क्या संदेश होगा?
CBSE Worksheet 01
भगवान के डाकिये

Answers
  1. भगवान के डाकिए पक्षी एवं बादल हैं।
  2. पक्षियों तथा बादलों में स्वतंत्रता की समानता होती है। पक्षियों के पंखों द्वारा एक देश के फूलों की सुगंध तथा बादलों के द्वारा एक देश का पानी दूसरे देश में चला जाता है।
  3. पक्षी और बादल ईश्वर का सन्देश लाते हैं इसलिए डाकिए कहलाते हैं।
  4. कविता में प्रकृति के विभिन्न अंग पक्षी और बादल भगवान की चिट्ठियाँ लाते हैं। पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ इन चिट्ठियों को पढ़ते हैं। इसके अलावा धरती एक देश की सुगंध को दूसरे देश भेजने का काम करती है|
  5. प्रकृति अर्थात् पेड़, पौधे, नदियाँ पहाड़ आदि भगवान का संदेश अर्थात् एक दूसरे के प्रति प्रेमभाव रखना चाहिए इसके माध्यम से कवि का तात्पर्य है कि हमें देश की सीमाओं में बंधकर नहीं रहना चाहिए। ईश्वर ने सभी धरतीवासियों को समान सुविधाएँ प्रदान की हैं लेकिन सीमाओं की रेखाएँ मनुष्य ने खींची हैं।
  6. भगवान के डाकिये पक्षी और बादल, परंपरागत डाकियों से अनेक रूपों में भिन्न हैं। पक्षी और बादल अनपढ़ डाकिये हैं, जबकि परंपरागत डाकिये पढ़े-लिखे होते हैं। भगवान के डाकिये किसी व्यक्ति-विशेष के लिए संदेश नहीं लाते जबकि परंपरागत डाकिये व्यक्ति-विशेष के लिए लाते हैं। पक्षी और बादल द्वारा लाई  गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे पढ़ते हैं जबकि शिक्षित मनुष्य उन्हें नहीं पढ़ पाता, वहीँ परंपरागत डाकियों द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे नहीं बल्कि मनुष्य पढ़ते हैं।
  7. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। इससे व्यक्ति जब चाहे, जहाँ चाहे, घर बैठे-बैठे बात कर सकता है। अपने विचार लिखकर भेज सकता है और साथ ही दूसरे का उत्तर भी पा सकता है। दूसरी ओर बादल व पक्षियों की चिट्ठियाँ शांत हैं। वे चुपचाप बहकर अपना ईश्वरीय संदेश दूर-दराज के देशों तक पहुंचा कर विश्व-बंधुत्व की भावना फैलाना चाहते हैं। ये पूर्णतया मौन रहते हैं। इनके अंतर्मन की आवाज व ईश्वर के संदेश को प्रकृति अर्थात् पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ समझ लेते हैं लेकिन मनुष्य उनका संदेश समझने में असमर्थ रहता है।
    1. कवि का नाम - रामधारी सिंह दिनकर
      कविता का नाम - भगवान के डाकिए।
    2. पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहा गया है।
    3. ये डाकिए एक महादेश से दूसरे महादेश तक जाते हैं।
    4. इन डाकियों द्वारा लाई चिट्ठियों को पेड़ पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ते हैं।
    5. इनकी लाई चिट्ठियों में प्रेम, समानता, एकता का संदेश होगा।