ईंटें मनके तथा अस्थियाँ-Value Based Questions

                                                            CBSE कक्षा 12 इतिहास

मूल्य आधारित प्रश्न सभी पाठ के लिये


पाठ-1
ईंटे
मनके तथा अस्थियाँ

प्र.1 पुरातत्वविद उत्पादन केन्द्रों की पहचान किस आधार पर करते हैंउन हड़प्पाकालीन केन्द्रो के विषय में बताएँजहाँ से उत्पादन केन्द्रों में माल आता था?
उत्तर-

  • उत्पादन केन्द्रो से प्रस्तर पिण्ड, पूरे शंख तथा ताँबा अयस्क जैसा कच्चा माल मिलना।
  • अपूर्ण वस्तुएँ, त्याग दिया गया माल तथा कूड़ा करकट मिलना।
  • कूड़ा-करकट शिल्प कार्य के सबसे अच्छे संकेत को मे से एक- नागेश्वर और बालाकोट से शंख - शोर्तुघई से कीमती पत्थर- खेतड़ी से ताँबा - दक्षिण भारत से सोना।

प्र.2 पुरातत्वविद पुरावस्तओं का वर्गीकरण किस आधार पर करते हैं?
उत्तर-

  • पहले वर्ग में रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली उपयोगी वस्तुएँ शामिल, इन वस्तुओ का बस्तियों में सामान्य रूप से पाया जाना - मिट्टी पत्थर जैसे सामान्य पदार्थो से बना होना - उदाहरण: चक्कियाँ, मृदभाण्ड, सूईयाँ
  • दूसरे वर्ग में विलास की वस्तुएँ - दुर्लभ तथा महंगी जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं - बनाने की तकनीक जटिल - उदाहरण: फयॉन्स के बर्तन

प्र.3 हड़प्पा कालीन जल निकासी प्रणाली एक विकसित सभ्यता का प्रतीक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • ग्रिड पद्दति के अनुसार बनी
  • नालियाँ मकान की दीवारों से सटी हुई
  • घरों की पानी की नालियो को मुख्य नाले से जोड़ना
  • नालियों का सड़को के साथ-साथ चलना

प्र.4 पुरातत्वविद् हड़पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता किस प्रकार लगाते हैंवे कौन सी भिन्नताओं पर ध्यान देते हैं?
उत्तर-

  • सावधानों का अध्ययन: कब्रों के पास मिट्टी के बर्तन, आभूषण कीमती पत्थर मनकें
  • विलासिता की वस्तुओं की खोज उपयोगी वस्तुएँ, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ व मिट्टी से बनी वस्तुएँ जैसे चक्कियाँ, भट्भांड आदि
  • विभिन्न लोगो द्वारा किये जाने वाले भिन्न भिन्न व्यवसाय
  • विभिन्न यातायात के साधन
  • क्षेत्रीय आधार पर सामाजिक विभिन्नताएँ जैसे खानपान, मनोरंजन के साधनों की विभिन्नता, मकानों का आकार और बनावट की भिन्नता।

पाठ -2
राजा
किसान और नगर

प्र.1 शासकों द्वारा भूमिदान क्यों किया जात थाक्या प्राचीनकाल में महिलाओं को ये अधिकार प्राप्त था?
उत्तर- इतिहासकारो में मतभेद

  1. शासको द्वारा नये कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए
  2. दुर्बल शासक, जिनका अपने सामंतो पर प्रभाव कम होने लगा, भूमिदान के माध्यम से अपने समर्थक जुटाना चाहते थे।
  3. भूमिदान करके शासक अपने आपको एक उत्कृष्ट मानव के रूप में दिखाना चाहते थे।
  • धर्मशास्त्र के अनुसार महिलाओं का भू-संपत्ति पर ही अधिकार नहीं, भूमिदान की तो बात ही नहीं
  • प्रभावती गुप्त का उदाहरण मिलता है, शायद यह उदाहरण विरला हो।

प्र.2 मौर्यकालीन इतिहास के पुनर्निमाण में साहित्यिक रचनाएँ कैसे मूल्यवान सिद्ध हो सकती हैं?
उत्तर-

  • युनानी राजदूत मेगस्थनीज की इण्डिका-मौर्यकालीन सैन्य व्यवस्था पर प्रकाश
  • कौटिल्य की रचना अर्थशास्त्र उस काल की राजनीति पर प्रकाश
  • अन्य ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रंथ: समाज और राजनीति पर प्रकाश

प्र.3 छठी शताब्दी ई.पू. को भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल क्यों माना जाता है?
उत्तर-

  • नये नगर राज्यों का उदय
  • लोहे का बढ़ता प्रयोग
  • कृषि का विस्तार तथा विकास
  • सिक्कों का बढ़ता प्रयोग, व्यापार का विकास
  • बौद्ध तथा जैन मत का आविर्भाव

प्र.4 मौर्यकालीन कृषि प्रविधियों पर प्रकाश डाले।
उत्तर-

  • इस काल में नये नगरों का उदय, बड़ी सेनाए, जिसके लिए शासकों द्वारा करो की माँग बढ़ाना, उपज बढ़ाने के तरीके ढूढ़ना तथा कृषि क्षेत्र में नये परिवर्तन
  • लोहे के फाल वाले हल का प्रयोग
  • खेती में धान का ज्यादा उगाया जाना।
  • कुदाल का प्रयोग, भूमि की जरूरत के अनुसार
  • सिंचाई के लिए अधिक संख्या में कुंओं, तालाबों तथा नहरों का प्रयोग
  • कृषि का विस्तार करने के लिए जंगलो की सफाई

पाठ-3
बन्धुत्व
जाति तथा वर्ग

प्र.1 महाभारत में वर्णित हस्तिनापुर और बी.बी. लाल द्वारा उत्खनित हस्तिनापुर में क्या विरोधभास है? हड़प्पाकालीन नगरों से इस उत्खनित नगर की तुलना करें।
उत्तर-

  • महाभारत में वर्णित हस्तिनापुर एक विशान नगर, जिसमें सैकड़ो बड़े-बड़े महल, प्रवेशद्वार और सुन्दर ऊँचे भवनों का उल्लेख
  • उत्खनित हस्तिनापुर में ऐसी किसी बड़ी इमारत के साक्ष नहीं, गृहो की कोई निश्चित परियोजना नहीं, घरों की दीवारे मिट्टी से, कच्ची ईंटों से या सरकंडो पर मिट्टी लेपकर बनाई हुई
  • हड़प्पा कालीन नगर नियोजित, हस्तिनापुर अनियोजित
  • जल निकासी प्रणाली सुव्यवस्थित, सुव्यस्थित नहीं
  • गृह निर्माण में पक्र्की ईंटों का प्रयोग, मिट्टी व कच्ची ईंटों का प्रयोग

प्र.2 प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था किन मूल्यों पर आधारित थी?
उत्तर-

  • जन्म के अनुसार
  • कर्म व व्यवसाय के अनुसार
  • पुरूषसूक्त में वर्णित दैविय व्यवस्था के अनुसार

प्र.3 उन साक्ष्यो की चर्चा कीजिए जो यह दर्शाते हैं कि बन्धुत्व और विवाह संबंधी ब्राह्यणीय नियमों का सर्वत्र अनुसरण नहीं किया जाता था।
उत्तर-

  1. विवाह के नियम, भीम और हिडिम्बा का विवाह
  2. स्त्री का गोत्र सातवाहन शासको द्वारा माता का गौत्र
  3. पितृवंशिक व्यवस्था
  4. आजीविका दूसरे वर्णो द्वारा जीविका अपनाना जैसे ब्राह्मणो द्वारा शासन
  5. औरतों का सम्पत्ति पर अधिकार
  6. पारिवारिक जीवन में भिन्नता

प्र.4 लगभग 1000 ई.पू. के बाद एक ब्राह्यणीय पद्धति का विकास हुआ। गोत्र के संबध में दो मुख्य नियम बताइए।
उत्तर-

  • विवाह के पश्चात स्त्रियों को पिता के स्थान पर पति के गौत्र का माना जाता था
  • एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह संबंध नहीं रख सकते थे।

पाठ-4
विचारक
विश्वास और इमारतें

प्र.1 छठी शताब्दी ई.पू. में बौद्ध धर्म का उदय उस काल की आवश्यकता थी। इसी लिये बौद्ध धर्म का प्रसार तेजी से हुआ। सिद्ध करें।
उत्तर- छठी शताब्दी ई पू. में ब्रह्मणीय नियमों का कठोर होना

  • जाति व्यवस्था, झूठे कर्मकाण्ड, सामाजिक भेदभाव से लोगो का असंतुष्ट होना
  • जन्म से श्रेष्ठता के सिद्धान्त के स्थान पर बौद्ध धर्म का अच्छे, आचरण और मूल्यों पर जोर देना।
  • क्षत्रिय वर्ग, जिसे ब्राह्माणवादी परंपरा में दूसरा स्थान प्राप्त था, बौद्ध धर्म को संरक्षण देना
  • बौद्ध धर्म के सिद्धान्तो का आसान व व्यवहारिक होना, जिसमें समाज के सभी वर्गो तथा महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा मिलना।

प्र.2 स्तूप बौद्ध धर्म का प्रतीक क्यों माना गया?
उत्तर-

  • बौद्ध धर्म से जुड़े पवित्र टीले
  • बुद्ध से जुड़े कुछ अवशेष (अस्थियों) का गाड़ देना

प्र.3 छठी शताब्दी के दौरान बौद्ध धर्म की पारदर्शिता किस प्रकार परिलक्षित होती है?
उत्तर-

  1. विवेक और तर्क के आधार पर समझाने का प्रयास
  2. आलौकिक शक्तियों का वर्णन
  3. दयावान और आचारवान होना
  4. अच्छे आचरण और मूल्यों का महत्व
  5. जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति
  6. आत्म-ज्ञान, निर्वाण और सम्यक कार्य पर जोर

प्र.4 जैन दर्शन की सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा की व्याख्या किजिए तथा बताइए भारतीय विचारधारा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- अवधारणा संपूर्ण विश्व प्राणवान हैं पत्थर, चट्टान और जल में भी जीवन है - जीवों के प्रति अंहिसा। खासकार, इन्सानों, जानवरों, पेड़-पौधो और कीड़े मकोड़ो को न मारना जैन दर्शन का केंन्द्र बिंदु है।
प्रभाव-

  • जाति प्रथा के बंधन शिथिल होने लगें
  • यज्ञों तथा कर्मकांडो से छुटकारा मिला
  • भ्रातत्व का विकास
  • निम्न वर्ग को सम्मानित जीवन जीने का अवसर
  • जनसामान्य को शांतिप्रिय बनाया
  • प्राकृत भाषा से मराठी और कन्नड़ भाषा का विकास

पाठ-5
यात्रियों के नज़रिए

प्र.1 अल बिरूनी ने जाति संबंधी ब्राह्यणवादी व्याख्या को क्यों अस्वीकार कर दिया?
उत्तर- अलबिरूनी के अनुसार जाति व्यवस्था प्रकृति के नियमों के विरूद्ध थी। उसके अनुसार हर वस्तु जो अपवित्र हो जाती है, पुनः स्वच्छ होने का प्रयास करती है। जन्म से अपवित्रता की बात को उसने नकार दिया।

प्र.2 बर्नियर के विचारो ने 18वी. 19वी. सदी के पश्चिमी विचारकों को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर-

  • बहुत से पश्चिमी विद्वान जो भारत नहीं आए उन्होंने भारत में निजि भूसंपत्ति पर बर्नियर के वृतांत पढ़कर अपनी विचार धारा विकसित की।
  • मान्टेस्क्यू का ‘प्राच्य निरकुंशवाद’ का सिद्धान्त और मार्क्स का ‘एशियाई उत्पादन शैली’ का सिद्वान्त इससे विकसित है।

प्र.3 बर्नियर की लेखन शैली की महत्वपूर्ण विशेषता क्या थीं?
उत्तर-

  1. पूर्व और पश्चिम का तुलनात्मक अध्ययन
  2. विशेष रूप से उन बातों को लिखना जिसमें भारत, यूरोप के मुकाबले पिछड़ा प्रतीत हो।

प्र.4 इब्ने बतूता के अनुसार राजा ने व्यापारियों को प्रोत्साहित करने के लिये क्या कदम उठाये?
उत्तर-

  • मार्गो में सराय तथा विश्रामग्रह स्थापित
  • सुरक्षा की व्यवस्था
  • डाक-व्यवस्था सुव्यवस्थित थी जो व्यापारियो के अनुकूल थी।

प्र.5 भारत में निजी भुस्वामित्व के अभाव के कारण कृषि का पतन हुआ। बर्नियर के इस कथन का बर्नियर द्वारा लिखी दूसरी बातों से किस प्रकार विरोधाभास हैं?
उत्तर-

  • एक तरफ बर्नियर लिखता है कि निजी भूस्वामित्व के अभाव में बेहतर भूधारक का उदय नहीं हुआ।
  • कृषि की हालत खराब, किसान उत्पीड़न का शिकार -अर्थवयवस्था का विनाश
  • वहीं दूसरी तरफ बर्नियर ये भी लिखता है कि पूरे विश्व से बड़ी मात्रा में बहुमूल्य धातुएँ भारत में आती है।
  • वह विदेशी व्यापार में लगे समृद्ध व्यापारिक समुदाय का भी जिक्र करता है।

पाठ-6
भक्ति-सूफी परंपराएँ

प्र.1 लिंगायत किस प्रकार ब्राह्यणीय अवधारणा के लिए एक चुनौती थे?
उत्तर-

  • जाति प्रथा का विरोध किया
  • पुनर्जन्म के सिद्धान्त पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया
  • श्राद्ध संस्कार का पालन नहीं किया
  • मृतकों को विधिपूर्वक दफनाते थे
  • व्यस्क विवाह और विधवा पुनर्विवाह को मान्यता
  • प्रचार के लिए कन्नड़ भाषा का प्रयोग

प्र.2 सूफियों के राज्य से कैसे संबध थेमध्यकाल मे शासक वर्ग सूफी संतो से सपर्क क्यो रखना चाहते थे?
उत्तर-

  • बहुत से सूफी सिलसिले
  • राज्य के साथ संबंधो में बदलाव आता रहता था।
  • सुहरावर्दी और नक्शबंदी सिलसिले के सूफी राज्य से जुड़े, कभी-कभार उन्होंने दरबारी पद भी स्वीकार किये
  • चिश्ति सूफियों ने सत्ता से दूर रहने पर बल दिया, वे राज्य से पूर्ण अलगाव भी नहीं रखते थे, राज्य से मिलने वाला धन व सामान दान के रूप में स्वीकार करते थे, जिसे गरीब लोगो पर खर्च कर दिया जाता था।
  • भारत में परिस्थितयाँ: अधिकांश आबादी गैर मुस्लिम
  • उलमा का दबाब, शरियत के हिसाब से शासन चलाने के लिए, जो व्यवहारिक नहीं था।
  • ऐसे में शासकों को उलमा से कहीं उदार, जनता में लोकप्रिय व मजबूत पकड़ वाले, धर्म के मामलों में उदार सूफी ज्यादा अनुकूल प्रतीत।
  • सूफियों से नजदीकी होना, राज्य को वैद्यता मिलने जैसा।

प्र.3 भक्ति परंपरा को किन दो मुख्य वर्गां में बाँटा गया था?
उत्तर-

  1. सगुण (विशेषण सहित) शिव, विष्णु उनके अवतार भूत रूप में पूजा की जाती।
  2. निर्गुण (विशेषण सहित) अमूर्त, निरंकार ईश्वर की उपासना की जाती थी।

प्र.4 कबीर और गुरूनानक के धार्मिक विचार वर्तमान 21वी. शताब्दी मे कहाँ तक सार्थक है। उनकी शिक्षाओं के संदर्भ में विवेचना कीजिए।
उत्तर-

  • कबीर और गुरू नानक दोनों ने निराकार ब्रह्म का उपासना और बहुदेववाद का खंडन, संबंधी विचार वर्तमान में धर्म के क्षेत्र में बाहृा आडम्बर को रोकने और धार्मिक संकीर्णता रोकने में सहायक
  • जातिवाद का खंडन संप्रदायिक एकता के सहायक
  • निरंतर नाम-जाप के स्मरण से चित्त को एकाग्र करने में सहायक
  • जन भाषा में प्रचार से क्षेत्रिय भाषाओं का विकास
  • नैतिक भावना का प्रसार

पाठ-7
एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर

प्र.1 हम कैसे कह सकते हैं कि कृष्ण देव राय विजनगर का महानतम शासक था?
उत्तर-

  • कृष्ण देव राय ने साम्राज्य का विस्तार ही नहीं दृढ़ीकरण भी कियारायचुर दोआब को जीता, उड़ीसा के शासको का दमन किया तथा बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया।
  • उसका काल शांति एवं समृद्धिं का काल था, बहुत से विदेशी यात्री इस दौरान विजयनगर आए, जिन्होंने प्रशंसा की।
  • साहित्य एव कला का संरक्षक था, खुद भी लेखक एवं कवि था, अमुक्तमल्यद की रचना की
  • उसने नगलपुरम नामक उपनगर बसाया तथा
  • हजारा राम मन्दिर, विट्ठल मन्दिर एवं वीरूपाक्ष मन्दिर जैसे कला के उत्कृष्ट उदाहरण बनवाए।

प्र.2 विरूपाक्ष मंदिर के सभागारों का प्रयोग किन रूपों में किया जाता थाकिन्हीं दो रूपो का उल्लेख कीजिए?
उत्तर-

  • देवी देवताओं को झूला झुलाने
  • देवी देवताओं के विवाह समारोहों का आयोजन
  • संगीत और नृत्य के विशेष कार्यक्रम

प्र.3 अमर शब्द का अविर्भाव कैसे हुआअमरनायक प्रणाली की प्रमुख विशेषताओ पर प्रकाश डालिए?
उत्तर- अमर शब्द का आर्विभवि संस्कृत शब्द अमर है जिसका अर्थ लड़ाई या युद्ध। फारसी में अमीर से भी मिलता है जिसका अर्थ ऊँचे पद का कुलीन व्यक्ति
विशेषताऐं:-

  1. विजयनगर साम्राज्य की राजनीतिक खोज
  2. भूराजस्व वसूलने वाले सैनिक कमाण्डर राजस्व घोड़ो व हाथियों के रख-रखाव के अतिरिक्त सिंचाई व मंदिरों पर खर्च
  3. सैनिक शक्ति प्रदान करना दरबार में राजा के प्रति स्वामी भक्ति के लिए उपहार भेंट
  4. कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात अपने को स्वतन्त्र करना

प्र.4 गोपुरम किस उदेश्य से बनाए जाते थे?
उत्तर-

  • राजकीय सत्ता के प्रतीक
  • शासकों की शक्ति के प्रतीक

पाठ-8
किसान जमीदार और राज्य

प्र.1 क्या मध्यकालीन भारतीय गाँवों को एक ‘छोटा गणराज्य’ कहना सही हैं?
उत्तर-

  • 19वीं सदी के कुछ अंग्रेज, अधिकारियो ने गाँवो ‘छोटा-गणराज्य’ कहा-उनके अनुसार गाँवों में लोग भाईचारे के साथ रहते थे तथा संसाधनो और श्रम का बटवारा करते थे।
  • लेकिन सही मायने में ‘छोटा गणराज्य’ कहना गलत है क्योंकि गांवो में सामाजिक बराबरी का अभाव तथा जाति और जेंडर के नाम पर गहरी विषमताएँ थी ताकतवर लोगों का संसाधनो पर कब्जा तथा कमजोर लोगों का शोषण
  • नकद के प्रचलन के बाद गाँव और शहर का जुड़ना भी छोटे गणराज्य कहने में बाधक।

प्र.2 मुगल शासकों के लिये एक व्यवस्थित तथा सटीक भू-राजस्व प्रणाली क्यों आवश्यक थी?
उत्तर-

  • जमीन से मिलने वाला भू-राजस्व तथा मुगल़ साम्राज्य की आर्थिक बुनियाद
  • बड़ी सेना, साम्राज्य विस्तार, निर्माण के लिए भू-राजस्व की आवश्यकता।
  • सुव्यवस्थित राजस्व प्रणाली
  • दीवान का कार्यालय इसकी देखरेख के लिए, राजस्व वसूलने के लिए स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति
  • इसके लिए भूमि की पैमाइश, जमीन का वर्गीकरण व राजस्व वसूली की नई विधियाँ अपनाई।

प्र.3 सत्रहवीं सदी के स्रोत दो किस्म के किसानों की चर्चा करते हैंउनके नाम बताएँ?
उत्तर-

  • खुदकाश्त - गाँव में ही रहने वाले, अपनी जमीन के मालिक
  • पाहिकाश्त - खेतिहार दूसरे गाँवो से ठेके पर खेती करने आते थे, अपनी मर्जी से भी पाहि काश्त बनते थे।

प्र.4 16वीं से 17वीं सदी के दौरान कृषि उत्पादन में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालिए?
उत्तर-

  • पुरूष खेत जोतते, हल चलाते थे जबकि महिलाएँ बुआई, निराई तथा कटाई के साथ-साथ दाना निकालने का कार्य करती थी।
  • सूत कातना, बर्तन बनाने के लिए मिट्टी को साफ करना तथा कपड़ो पर कढ़ाई जैसे दस्तकारी के कार्य महिलाओं के द्वारा किया जाना।
  • जमींदारो के घरों व बाजार में भी कार्य करना (आवश्वक पड़ने पर)
  • घर के पशुओ की देखभाल करना भी महिलाओं का कार्य था
  • प्रसव के समय महिलाओं की मृत्यु हो जाने से मृत्युदर अधिक थी। इस कारण कई ग्रामीण समुदायों में शादी के लिए दुल्हन का मूल्य चुकाना पड़ता था।

पाठ-9
शासक और इतिवृत: मुगल दरबार

प्र.1 फारसी भाषा का भारतीयकरण कैसे हुआहिन्दी कें साथ इस भाषा के सम्पर्क से किस नई भाषा का विकास हुआ?
उत्तर-

  • फारसी में स्थानीय मुहावरों के शामिल हो जाने से फारसी भाषा का भारतीयकरण हो गया।
  • फारसी के हिन्दवी के साथ सम्पर्क से उर्दू नामक एक नई भाषा का विकास हुआ

प्र.2 मुगल पांडुलिपियों में चित्रों की भूमिका पर प्रकाश डालिए। मुसलमान रूढ़िवादी वर्ग (उलमा) का चित्रकारी के सम्बन्ध में क्या नज़रिया था?
उत्तर-

  • किसी बादशाह की घटनाओं (शासन की) का विवरण देने वाले इतिहास में लिखित पाठ के साथ-2 घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाना।
  • चित्रों से पुस्तक के सौन्दर्य के वृद्धि।
  • राजा की शक्ति के विषय में जो बात शब्दों से न कही जा सकी हो उसे चित्रों द्वारा व्यक्त करना।
  • इतिहासकार अबुल फज्ल द्वारा चित्रकारी को ‘जादुई कला’ की उपमा देना।
    मुसलमान रूढ़िवादी वर्ग का चित्रकला के प्रति नजरिया -
  • उसके दरबार और उसमें हिस्सा लेने वाले लोगो की चित्रों की रचना को लेकर शासक और रूढ़िवादी वर्ग के बीच तनाव
  • कुरान व हदीथ में दिए गए पैगम्बर मुहम्मद के जीवन के प्रसंग के आधार पर इस्लाम धर्म का मानव रूपों के चित्रण की अनमुति न देना।

प्र.3 सुलहकुल से क्या तार्त्यय हैंअकबर ने इस क्षेत्र में क्या उदारवादी कदम उठाए?
उत्तर- मुगल साम्राज्य में विभिन्न धर्मो को मानने वाली प्रजा तथा अभिजात वर्ग

  • किसी विशेष धर्म के नियमों से बंधे बिना साम्राज्य में शांति एवं स्थामित्व बनाए रखने न्याय पूर्वक शासन करने की नीति थी सुलह-ए-कुल जिसका अर्थ था महत्वपूर्ण शांति, जिसमें सभी धर्मो और मतों को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता थी।
  • राजपूत रानियों से विवाह, राजपूतों को अभिजात वर्ग का हिस्सा बनाना, तीर्थ यात्रा कर एवं जजिया कर को समाप्त करना। दूसरे धर्म के मतावलबियों के उपासना स्थलों के निर्माण तथा मरम्मत के लिए अनुदान, सुलहएकुल की नीति का ही हिस्सा है।

प्र.4 हम कैसे कह सकते है कि अकबर ने सूझ बूझ के साथ अभिजात वर्ग में शक्ति संतुलन बनाए रखा?
उत्तर-

  • अकबर से पहले मुगल अभिजात वर्ग तुरानी, ईरानी। 1560 के अकबर द्वारा भारतीय मूल के दो शासकीय समूह राजपूत तथा शेखजादा (भारतीय मूसलमान) शामिल कर पुराने अभिजात को नियंत्रित किया।
  • अकबर ने किसी वर्ग के प्रभाव को बढ़ने नहीं दिया कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके।
  • राजपूत जो अकबर से पहले मुस्लिम सत्ता के लिये चुनौती रहते थे अब मुगल अभिजात वर्ग का हिस्सा बनें, साम्राज्य के स्थाइत्व की आधारशिला बन गया, राजपूतों की वजह से संतुलन भी बना गया, राजपूतों की वजह से संतुलन भी बना रहा क्योंकि वह पूरी तह से अकबर द्वारा शामिल किया गया था।

प्र.5 इतिवृत्तों की रचना के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर-

  • साम्राज्य की एक प्रबुद्ध छवि प्रस्तुत करना।
  • भावी पीढ़ियों को शासन का विवरण उपलब्ध करवाना।

पाठ-10
उपनिवेशवाद और देहात

प्र.1 राजमहल की पहाड़ियों में सथालों के बसने का पहाड़ियों लोगों के जीवन तथा अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ाये भी बताएँ कि इससे संथालों के जीवन और अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आए?
उत्तर-

  • पहाड़िया लोग राजमहल की पहाड़ियो के इर्द गिर्द रहते थे
  • गुजर-बसर के लिए जंगल से उपज व अन्य खाद्य सामग्री प्राप्त करते थे, झूम खेती करते थे, जिसके लिए उनके पास पर्याप्त जगह थी।
  • राजमहल की पहाड़ियों को तलहटी में संभालो के बसने से, उनके द्वारा जंगलो का सफाया करने से, पहाड़िया लोगों को मजबूरन पहाड़ियों के भीतर के कम उपजाऊ क्षेत्र में जाना पड़ा।
  • निचली उपजाऊ पहाड़ियाँ धाटियाँ अब संधालो के पास, पहाड़िया लोग बंजर तथा शुष्क इलाको तक सीमित
  • इसका पहाड़िया लोगों के रहन-सहन तथा जीवन पर बुरा प्रभाव, आगे चलकर वे गरीब हो गए। झूम खेती के लिए उनके पास जमीन नहीं रही।
  • संथालो द्वारा जंगलो के सफाए से पहाड़िया शिकारियों का जीवन भी अस्त व्यस्त हो गया।
  • संथाल लोगों ने पहले वाली खानाबदोश जिन्दगी छोड़ दी
  • एक जगह बसकर खेती करने लगे

प्र.2 बंगाल के बाद जो क्षेत्र जीते गये वहाँ कंपनी ने इस्तमरारी बन्दोबस्त लागू क्यों नहीं किया?
उत्तर-

  • कंपनी के सामने बंगाल का उदाहरण था जहाँ 1793 में इस्तमरारी बन्दोबस्त लागू किया गया।
  • इसके तहत लगान (राजस्व) की दरें हमेशा के लिए निर्धारित होती थी, बढ़ाई नहीं जा सकती थी।
  • 1810 के बाद फसलो की कीमत बढ़ने से बंगाल के जमीदारों की आमदनी बहुत बढ़ गई लेकिन कंपनी अब इस बढ़ी हुई आय में दावा नहीं कर सकती थी।
  • कंपनी अपनी आय बढ़ाना चाहती थी और एक ऐसी राजस्व व्यवस्था चाहती थी जिसमें राजस्व हमेशा के लिए निर्धारित ना हों।

प्र.3 जोतदार कौन थेवे जमीदारों का विरोध क्यो करते थे?
उत्तर-

  • जोतदार-धनी किसानों के उस समूह को जोतदार कहा जाता था जो 18 वीं शताब्दी के अन्त में जमींदारो की बढ़ी हुई मुसीबतों का लाभ उठाकर अपनी शक्ति बढ़ाने में लगे हुए थे।
  • जोतदार गाँव में अपना प्रभाव और नियन्त्रण बढ़ाने के उद्देश्य से जमीदारों का विरोध करते थे।

प्र.4 राजस्व सम्बन्धी सूर्यास्त कानून क्या था?
उत्तर-
 इस्तमरारी बन्दोबस्त के अनुसार जमींदारों के लिए ठीक समय पर राजस्व का भुगतान करना जरूरी था। सूर्यास्त के अनुसार यदि निश्चित तिथि को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं आता था तो जमींदार की जमींदारी को नीलाम किया जा सकता था।

प्र.5 औपनिवेशिक जमीदारों कि असफलता के क्या कारण थे?
उत्तर-

  • 1793 ई0 में लार्ड कार्नवालिस द्वारा इस्तमरारी बन्दोबस्त बंगाल व बिहार में लागू किया गया।
    असफलता का कारण:-
    • भू-राजस्व की दर बहुत ऊँची होना
    • प्रारम्भ में जमींदारो द्वारा भूमि सुधारने पर अत्याधिक धनराशि खर्च
    • भू-राजस्व लागू करने के समय किमतें नीची
    • भू-राजस्व असमान होना
    • सूर्यास्त विधि (कानून)जमींदारो की शक्ति पर नियन्त्रण।

प्र.6 बम्बई दक्कन में कपास उत्पादन में वृद्धि का भारतीय किसानों (रैयतों) पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-

  • अमेरिकी गृह युद्ध (1861-65) के कारण ब्रिटेन को अधिक मात्रा में कपास की जरूरत पड़ी
  • बम्बई में कपास सौदागरो द्वारा कपास की खेती को अधिकाधिक प्रोत्साहन देना।
  • शहरी साहुकारों द्वारा ग्रामीण ऋणदाताओं (साहुकारों) को प्रोत्साहित करना ताकि वे अधिकाधिक धनराशि उधार दें।
  • दक्कन के गाँव के किसानो को असीमित ऋण (कर्ज) की प्राप्ति। (दीर्घावधिक ऋण)
  • कुछ धनी किसानों को लाभ प्राप्त होना।
  • अधिकतर किसानों का कर्ज के बोझ तले दब जाना।

पाठ-11
विद्रोही और राज

प्र.1 1857 के विद्रोह में साहुकार तथा धनी लोग विद्रोहियों के क्रोध का शिकार क्यों बनें?
उत्तर-

  • विद्रोही लोगों द्वारा साहुकारो तथा धनी लोगो को अंग्रेजो का पिट्ठु कहा जाना।
  • साहूकारों तथा धनी लोगों को किसानो का उत्पीड़क मानना।
  • अधिक ब्याज पर ऋण देना और कठोरता से वसूलना।
  • भारतीयों के विरूद्ध अंग्रेजो के सैनिक व आर्थिक सहायता देना।

प्र.2 "अफवाहें तभी फेलती है जब वे लोगों में संदेह तथा गहरा भय उत्पन्न करें।” 1857 के विद्रोह के संदर्भ में यह कथन कहाँ तक सत्य था?
उत्तर- ब्रिटिश नीतियों ने भी लोगों में गहरे डर को जगाया। इन अफवाहों के पीछे नीचे दी
गई नीतियों का हाथ था:-

  • लॉर्ड विलियम बैंटि द्वारा पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचारों और पश्चिमी संस्थानो द्वारा समाज सुधारने की नीतिया लागू किया जाना।
  • अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की स्थापना
  • सती प्रथा को समाप्त करना (1829), हिन्दू विधवा विवाह को वैद्यता प्रदान करना
  • रूढ़िवादी लोगों द्वारा इनका विरोध किया जाना
  • ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार
  • दत्तक पुत्र को अस्वीकार करना।
  • गाय व सुअर की चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग

प्र.3 “ये गिलास फल (चेरी) एक दिन हमारे ही मुँह मे आकर गिरेगा।” इस वक्तव्य का आशय स्पष्ट कीजिए?
उत्तर-

  • 1851 में गर्वनर जनरल लॉॅड डलहौजी द्वारा अवध रियासत के बारे में कहा जाना
  • अवध पर कब्जे में अंग्रेजो की दिलचस्पी बढ़ना
  • नील व कपास की खेती के लिए उपयुक्त जमीन।
  • अवध को उत्तरी भारत के एक बड़े बाजार के रूप में देखना।
  • 1856 में अवध का अधिग्रहण किया जाना।

पाठ-12
औपनिवेशिक शहर

प्र.1 अठारहवीं शताब्दी में औपनिवेशिक परिवर्तन से भारतीय जन-जीवन कैसे प्रभावित हुआ ?
उत्तर-

  • मुगल राजधानियों का प्रभुत्व समाप्त और क्षेत्रीय राज्यों की राजधानियों का महत्व बढ़ा
  • , प्रशासक, शिल्पकार का काम एवं संरक्षण हेतु आगमन
  • कस्बे एवं गंज का विकास
  • जल आधारित यूरोपीय साम्राज्यों का विकास यूरोपीय साम्राज्यों का विकास (ब्रिटिश, फ्रांसीसी, पुर्तगाली) डच।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्यवाण तथा पूंजीवाद का उदय।
  • , कलकत्ता और बम्बई औपनिवेशिक प्रशासन और आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र के रूप में विकास

प्र.2 भारत में जनगणना कब प्रारम्भ हुईजनगणना का भारत के चहुँमुखी विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-

  • लार्ड रिपन द्वारा 1872, दशकीय जनगणना 1881
  • शहरीकरण का अध्ययन में सहायक
  • ऐतिहासिक परिवर्तन मापने में सहायक
  • समाज का आयु, जाति, लिंग एवं व्यवसाय के आधार पर वर्गीकरण में सहायक
  • , आर्थिक विकास तथा शैक्षिक योजनाऐं बनाने में सहायक

प्र.3 श्रमिक वर्ग के लोगो का बड़े शहरों की ओर आने मे दो कारण बताओ।
उत्तर-

  • कुछ लोग रोजगार के नए अवसरो की खोज में
  • कुछ लोग भिन्न जीवन शैली के आकर्षण से प्रभावित होकर

प्र.4 तीनों औपनिवेशिक शहरों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-

  • कम्पनी ने तीनो बस्तियों में व्यापारिक और प्रशासनिक कार्यालय खोले
  • बंदरगाह विकसित करना।
  • तीनों ही प्रेजीडेंसी घोषित किए गए। (बम्बई, कलकत्ता एवं मद्रास)

प्र.5 औपनिवेशिक भारत में प्रयुक्त स्थापत्य की शैलियों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर- तीन शैलियाँ प्रमुख:

  1. नवशास्त्रीय या नियोकलासिकल शैली
    • बड़े-बड़े स्तभों के पीछे रेखागणितय संरचना तोरण पथ जिससे दुकानदार व पैदल चलने वाले तेज धूप से बच सकते थे, यह शैली उष्णकटिबंधीय मौसम के अनुकूल
    • उदाहरण: बम्बई का टाउन हॉल
  2. नव गाथिक शैली
    • ऊँची उठी हुई छतें, नोकदार मेहराबें, बारीक साज-सज्जा, जिनका यूरोपीय चर्चो में प्रयोग होता था उदाहरण: विक्टौरिया टर्मिनल, बंबई सचिवालय
  3. इंडो-सारासेनिक शैली
    • भारतीय एवं यूरोपीय मिश्रित शैली जिसमें गुम्बद, छतरियों, जालियों, मेहराबों का प्रयोग उदाहरण: गेटवे ऑफ इण्डिया, ताजमहल होटल

पाठ-13
महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन

प्र.1 गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को खिलाफत आंदोलन के साथ क्यों जोड़ दिया?
उत्तर- हिन्दू मुस्लिम एकता के माध्यम से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत करने के लिए।

प्र.2 गाँधी जी एक राजनेता के साथ-साथ समाज-सुधारक भी थे। “इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर-

  • गाँधी जी का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान के अतिरिक्त समाज की कुरूतियों को समाप्त करने और भारतीयों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भी योगदान है।
  • छुआ-छूत और बाल-विवाह को समाप्त करने में योगदान
  • हिन्दू-मुसलमानों के बीच सौहार्द पर बल होगा
  • आर्थिक स्तर पर चरखे से वस्त्र बुनकर स्वावलंबी बनाना।
  • बेसिक शिक्षा पद्वति का विकास

प्र.3 गाँधी जी ने आपने आंदोलन के लिए नमक को क्यों चुना?
उत्तर- ब्रिटिश भारत के सवाधिक घृणित कानूनों में से एक था- नमक के उत्पादन और विक्रय पर राज्य का एकाधिकार

  • प्रत्येक भारतीय घर में नमक का प्रयोग अपरिहार्य था।
  • ब्रिटिश सरकार ने उन्हें घरेलू प्रयोग के लिए नमक बनाने से रोका।
  • भारतीयों को दुकानों से ऊँचे दाम पर नमक खरीदने के लिए बाध्य किया।
  • नमक कानून को तोड़ने के लिए 12 मार्च 1930 को दाण्डी यात्रा प्रारम्भ।

प्र.4 गाँधी जी की छवि बनाने में उनके पत्र व्यवहार और अन्य सरकारी रिपोर्ट कहाँ तक सहायक हैं?
उत्तर-

  • भाषाण सार्वजनिक विचार
  • लेखन निजी विचार
  • गाँधी जी के पत्रों का संकलन (ए बंच ऑफ़ ओल्ड लेटर्स) के उदाहरण के संदर्भ में व्याख्या

प्र.5 क्या ये कथन सही है कि “दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधी जी को महात्मा बनायाभारत में वापसी पर गाँधी जी के प्रारंभिक आन्दोलन किस वर्ग से जुडे़ थे?
उत्तर-
 कथन सहीं

  • गाँधी जी ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही अहिंसात्मक विरोध की अपनी विशिष्ट तकनीक ‘सत्याग्रह’ का प्रयोग किया, विभिन्न धर्मो के बीच सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया। उच्च वर्गो को चेताया कि वे जाति आधारित भेदभाव व महिलाओं पर अत्याचार ना करें।
  • आरंभिक आन्दोलन खेती करने वाले किसानो तथा मिल मजदूरों के लिए किए

प्र.6 1915 में जब महात्मा गाँधी भारत आए तो उन्होनें कुछ परिवर्तन देखेकिन्हीं दो का उल्लेख करें?
उत्तर-

  • राजनीतिक दृष्टि से भारत अधिक सक्रिय हो गया था
  • नगरों और कस्बों में अब राष्ट्रीय कांग्रेस की शाखाएँ थी।
  • 1905-07 के स्वदेशी आंदोलन से मध्य वर्ग का विस्तार
  • नए नेताओं का जन्म गंगाधर तिलक, विपिन चंद पाल, लाला लाजपतराय

प्र.7 भारतीय इतिहास में लाहौर अधिवेशन का ऐतिहासिक महत्व बताइए?
उत्तर-

  • जवाहर लाल नेहरू का अध्यक्ष पद पर चुनाव
  • पूर्ण स्वराज अथवा पूर्ण स्वतंत्रता की उद्घोषणा
  • 26 जनवरी सन् 1930 को विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर व देशभक्ति के
  • गीत गाकर स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाना

प्र.8 बहुत सारे विद्वानों ने स्वतंत्रता बाद के महीनों को गाँधी जी के जीवन का “श्रेष्ठतम क्षण” कहा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • बंगाल में शांति स्थापित की
  • सभाओं में कुरान की आयते पढ़ी जाती थी
  • भाईचारा का संदेश फैलाया
  • दोनो देश एक दूसरे का सम्मान करें
  • भारत के लोग सभी वर्गो और धर्मो की समानता के लिए कार्य करें।
  • एक दूसरे की मदद करेगें

पाठ-14
विभाजन को समझना राजनीतिस्मृतिअनुभव

प्र.1 विभाजन की घटनाओं के लिए प्रयुक्त महाध्वंस (होलोकॉस्ट) शब्द कहाँ की घटना से प्रेरित हैं?
उत्तर- नात्सी शासन के दौरान हुए जर्मन होलोकॉस्ट

प्र.2 बँटवारे का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ा। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • महिलाओं को अगवा करना, खरीदना-बेचना, अजनबियों के साथ रहने को मजबूर करना।
  • परिवारों द्वारा मार डालना, आत्महत्या

प्र.3 मौखिक इतिहास विभाजन की घटानाओं को समझने में कहाँ तक सहायक हैंइसकी सीमाये क्या हैं?
उत्तर-
 सहायक- गरीबों और कमजोरो तथा नजर अंदाज किए गऐ मर्दो औरतो के अनुभवों की जानकारी
सीमाऐं-

  • सटीकता नहीं
  • सामान्य नतीजे पर पहुँचना कठिन छोटे-छोटे अनुभवों से मुकम्मल तस्वी नहीं बनाई जा सकती।

प्र.4 विभाजन का विरोध अंत तक किन दो नेताओं द्वारा किया गया?
उत्तर- महात्मा गाँधी - खान अब्दुल गफ्फार खान

प्र.5 विभाजन से जुड़ी विभिन्न विचारधाराओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर-

  • दो राष्ट्र का सिद्धान्त - चिन्ना जैसी सोच रखने वालो का मानना था कि हिन्दू और मुसलमान दो पृथक राष्ट्र हैं। उनका मानना था कि विभाजन अवश्संभावी।
  • अंग्रेजो की फूट डालो शासन करो की नीति 1857 के बाद ही आरंभ, 1909 तथा 1919 के अधिनियम के तहत और भेद बढ़ा
  • हिन्दू साम्प्रदायिकता - मस्जिद के आगे संगीत जो रक्षा आन्दोलन आदि आर्य समाज के शुद्धि आन्दोलन ने भी मुसलमानों को भड़काया मुस्लिम साम्प्रदायिकता - तबलीग और तजीम के प्रचार ने डर फैलाया
  • काँग्रेस और लीग की राजनीति - समस्या को सुलझाने के बजाय बढ़ाया

पाठ-15
संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

प्र.1 स्रोत पर आधारित प्रश्न उत्तर?
“खंडित निष्टा के लिए कोई जगह नहीं”
गोविंद वल्लभ पंत ने कहा कि निष्ठावान नागरिक बनने के लिए लोगों को समुदाय और खुद को बीच में रखकर सोचने की आदत छोड़नी होगी लोकतंत्र की सफलता के लिए व्यक्ति को आत्मानुशासन की कला का प्रशिक्षण लेना होगा। लोकतंत्र में व्यक्ति को अपने लिए कम तथा औरो के लिए ज्यादा फ्रिक करनी चाहिए। यहाँ खंडित निष्ठा के लिए कोई जगह नहीं है। सारी निष्ठाएँ केवल राज्य परही केंद्रित होनी चाहिए। यदि किसी लोकतंत्र में आप प्रतिस्पर्धा निष्ठाएँ रख देते है या ऐसी व्यवस्था या समूह अपने अपत्यय पर अंकुश लगाने की बजाय बेहत्तर या अन्य हितों की जरा भी परवाह नहीं करता, तो ऐसे लोकतंत्र का डूबना निश्चित है।

  1. जी.बी. पंत निष्ठावादी नागरिकों के अभिलक्षणों को कैसे परिभाषित करते हैं?
  2. सविधान निर्माण के समय पृथक निर्वाचका की माँग क्यों की गई?
  3. जी.बी. पंत पृथक निर्वाचिका की माँग के विरूद्ध क्यों थें?

उत्तर-

  1. आत्मानुशासन की कला में प्रशिक्षत होना और के लिए अधिक चिन्ता
    निष्ठाएँ राज्य पर केंद्रित होने चाहिए
  2. अल्पसंख्यकों की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए
  3. अल्पसंख्यक कभी भी स्वयं को बहुसंख्यको में रूपान्तिरित नहीं कर पाऐंगे।

प्र.2 पृथक निर्वाचिका की मांग किसके द्वारा की गयीइसका विरोध किन नेताओ द्वारा किया गया?
उत्तर- मांग -27 अगस्त 1947 को मद्रास के बी. पोकर बहादुर
विरोध-  आर. वी. धुलेकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, गोविन्द वल्लभ पंत, बेगम ऐजाज रसूल

प्र.3 केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के संदर्भ मे क्या दलीलें दी गयी?
उत्तर- अम्बेडकर - सांप्रदायिक हिंसा को रोकन के लिए
गोपाल स्वामी अय्यर - केंद्र ज्यादा से ज्यादा मजबूत होना चाहिए।
बालकृष्ण शर्मा - देश के हित में योजना बनाने, आर्थिक संसाधनों को जुटाने, उचित शासन व्यवस्था स्थापित करने और विदेशी आक्रमण से बचाने के लिए।

प्र.4 “हम सिर्फ नकल करने वाले नहीं हैइस कथन के माध्यम से पं. जवाहर लाल नेहरू क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर- भारत में शासन की जो व्यवस्था स्थापित हो वह “ हमारे लोगों के स्वभाव के अनुरूप और उनको स्वीकार्य होनी चाहिए।

  • संविधान सभा का गठन अंग्रेजो ने किया है, इसका ये अर्थ नहीं कि हम नकल करने लगे।
  • आजादी के लिए लड़ने वालों के मूल्य संविधान निर्माताओं के सामने
  • गाँधीजी के आदर्शो को महत्व
  • अंग्रेजो द्वारा सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ भी भारतीय नेता तथा संविधान निर्माता लड़ते रहे
  • संविधान नकल नहीं बल्कि ये उस काल में हो रही घटनाओं से भी प्रेरित तथा परिवर्तित होता था।
  • संविधान निर्माता दूसरे देशो से अच्छी बाते ग्रहण कर रहे थे, लेकिन भारतीय जरूरतों के हिसाब से।