मानव भूगोल-प्रकृति एवं विषय क्षेत्र-Value Based Questions

                                                     CBSE कक्षा-12 भूगोल

मूल्य आधारित प्रश्न सभी पाठ के लिये


पाठ-1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

"हम सामान्यतः पृथ्वी के 'रूप' तूफान की 'आँख' नदी के मुख, नदी के प्रोथ (नासिका), जल डमरू मध्य की ग्रीवा और मृदा की परिच्छेदिका का वर्णन करते हैं। इसी प्रकार प्रदेशों गांवों, नगरों का वर्णन 'जीवों' के रूप में किया गया है। करते हैं। सड़कों ,रेल मार्गां और जल मार्गों के जाल को प्रायः परिसंचरण की धमनियों के रूप में वर्णन किया जाता है।"
(स्रोत एन.सी.ई.आर.टी.मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, पृष्ठ संख्या -2)

  1. उपरोक्त विवरण से आप मानव एवं प्रकृति के बीच किस मूल्य की अभिव्यक्ति को समझते हैं ?
    उत्तर- मानव और प्रकृति के सहसम्बन्ध को अभिव्यक्त करता है।
  2. जर्मन भूगोलवेत्ता ने राज्य/देश का वर्णन जीवित जीव के रूप में करके मानव जीवन के किन मूल्यों को उजागर किया है ?
    उत्तर- लोगों के कार्य करने की क्षमता और उनकी योग्यता देश को उन्नति की ओर ले जाते है।
  3. किसी भी देश में सड़कों , रेल मार्गां एवं जल मार्गां के जाल को विकसित करते समय हमें किन मानवीय मूल्य को ध्यान में रखना चाहिए ?
    उत्तर-
    1. पर्यावरणीय सुरक्षा
    2. प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करके देश का विकास करना
  4. "प्राकृतिक नियमों का अनुपालन करके हम प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।" इस कथन के संदर्भ में यह स्पष्ट कीजिए कि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए भी प्रगति कर सकता है। उदाहरण देते हुए मूल्यों को स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. ग्रिफिथ टेलर के अनुसार नवनिश्यचवाद संकल्पना यह बताती है कि अगर प्रकृति रूपांतरण की स्वीकृति दे तो हम पर्यावरणीय सौहार्द्र को ध्यान में रखकर विकास की ओर बढ़ सकते है।
    2. जिस प्रकार दिल्ली में मेट्रो रेल बनाते समय दिल्ली के लोगों की सुविधा के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया।

पाठ-2 विश्व जनसंख्या वितरण घनत्व और वृद्धि

"एड्स/एच.आई.वी. जैसी घातक महामारियों ने अफ्रीका, स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रमंडल (सी.आई.एस.) के कुछ भागों और एशिया में मृत्यु दर बढ़ा दी और जीवन प्रत्याशा घटा दी है। इससे जनसंख्या वृद्धि दर धीमी हुई है।"
(स्रोत एन.सी.ई.आर.टी.मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-15)

  1. उपरोक्त पंक्तियों का अवलोकन करके आप विश्व के इन भागों में जीवन प्रत्याशा बढ़ानें लिए किन मानव मूल्यों को सुझाएंगे ?
    उत्तर-
    1. आत्म-अनुशासन करके लोग इस भयावह महामारी से बच सकते है।
    2. पारिवारिक मूल्यों को समझकर लोग आपसी सम्बन्धों की गरिमा को समझ सकते हैं। मां-बाप, भाई-बहन एवं अन्य रिश्तेदारों के सम्बन्धों को उचित रूप से निभाया जाएे।
  2. जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत से हमें उन्नति का बोध किन मूल्यों के आधार पर होता है ?
    उत्तर-
    1. क्षमता के आधार पर खेतिहर और अशिक्षित अवस्था से नगरीय, औधोगिक और साक्षर बन सकते हैं।
    2. मानव जाति में अपनी प्रजननशीलता को समायोजित करने की क्षमता होती है।

पाठ-3 जनसंख्या संघटन

पाठ्यांश : "जिन प्रदेशों में लिंग भेदभाव अनियंत्रित होता है, वहां लिग अनुपात निश्चित रूप से स्त्रियों के प्रतिकूल होता है। इस क्षेत्र में स्त्री भ्रूण हत्या तथा स्त्री शिशु हत्या और स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा की प्रथा प्रचलित है। इसका एक कारण इन क्षेत्रों मे स्त्रियों की सामाजिक आर्थिक स्तर का निम्न होना हो सकता है।
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-18)

उपरोक्त पाठ्यांश को पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिए।

  1. स्त्रियों के प्रतिकूल लिंगानुपात को समाप्त करने के लिए किस प्रकार के मूल्यों की आवश्यकता होती है ?
    उत्तर-
    1. समानता की भावना।
    2. स्त्रियों की क्षमताओं को बढ़ाना।
    3. स्त्रियों के प्रति आदर की भावना को बढ़ाना।
  2. किसी भी देश का आर्थिक विकास किन मानव मूल्यों पर आधारित होता है ? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. समता की भावना।
    2. लोगों की क्षमताओं को उजागर करना।
    3. स्वतन्त्रता के ऊपर ज्यादा जोर देना।

पाठ्यांश पर आधारित प्रश्न: "किसी देश में साक्षर जनसंख्या का अनुपात उसके समाजार्थिक विकास का सूचक होता है क्योंकि इससे रहन-सहन के स्तर महिलाओं की सामाजिक स्थिति शैक्षणिक सुविधाओं की उपलब्धता तथा सरकार की नीतियों का पता चलता है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-20)

  1. किसी भी देश का आर्थिक विकास किन मानव मूल्यों पर आधारित होता है ?
    उत्तर-
    1. समानता की भावना।
    2. देश के लोगों की क्षमताओं को उजागर करना।
    3. स्वतन्त्रता।
  2. किसी देश की सरकारी नीतियां किस प्रकार देश को प्रभावित करती है ?
    उत्तर- सरकारी नीतियों के कारण आज विकसित राष्ट्र उन्नति के उच्च शिखर पर पहुंच गये है और अर्धविकसित राष्ट् अपनी सरकारी नीतियों के कारण ही पीछे छूट गये हैं। उदाहरण के लिए जापान,संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेटब्रिटेन इत्यादि देश अपनी साक्षरता, रहन-सहन के स्तर और सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण ही उन्नति के शिखर पर पहुंचे है।

पाठ-4 मानव विकास

पाठ्यांश: "सार्थक जीवन केवल दीर्घ नहीं होता, जीवन का कोई उद्देश्य होना भी आवश्यक है। इसका अर्थ होता है कि लोग स्वस्थ हों, वे समाज में प्रतिभागिता करें और अपने उद्देश्यों को पूरा करने में स्वतंत्र हों।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-24)

पाठ्यांश पर आधारित प्रश्न:

  1. सार्थक जीवन किन मूल्यों पर आधारित होता है ?
    उत्तर-
    1. जीवन का उद्देश्य होना।
    2. समाज में प्रतिभागिता।
    3. अपने विवेक और बुद्धि से विकास करने की क्षमता होना।
  2. मानव विकास द्वारा लोगों के विकल्पों में वृद्धि होती है इस तथ्य के मूल्य को अभिव्यक्त कीजिए।
    उत्तर-
    1. मानव विकास द्धारा उसमें निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है अर्थात वह नीति निर्धारण में सक्षम हो जाता है।
    2. मानव विकास द्धारा मनुष्य अनुशासित एवं सकारात्मक विचारों वाला हो जाता है।
  3. विकसित देशों में लोगों का जीवन किन मूल्यों पर आधारित होता है ?
    उत्तर- विकसित देशों में लोगों का जीवन निम्न मूल्यों पर आधारित होता है।
    1. जीवन की गुणवता
    2. अवसरों की समान उपलब्धता
    3. विचारों की स्वतन्त्रता।

पाठ्यांश: "समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के संदर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए। यद्यपि ऐसा ज्यादातर तो नहीं होता फिर भी यह प्रत्येक समााज में घटित होता है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-26)

पाठ्यांश पर आधारित प्रश्न:

  1. समता मूल्य से आप का क्या तात्पर्य है ?
    उत्तर- सबको समान अवसर मिलना।
  2. किसी भी देश के मानव विकास में समता मूल्य कहां तक सहायक है ?
    उत्तर- अगर देश में समता की भावना नहीं होगी तो देश प्रगति नहीं कर सकता क्योंकि लिंग भेद, जाति भेद, ऊंच-नीच की भावना - ये सभी देश के विकास की बाधायें है।
  3. मानव विकास के संदर्भ में भारत का उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. भारत में जाति प्रथा का अंत होना चाहिए, ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं होना चाहिये।
    2. स्त्रियों की शिक्षा तक पहुंच होनी चाहिये। चाहे गरीब कन्या हो या अमीर सभी को समान अवसर मिलना चाहिये।
  4. "प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले" इस कथन के अनुसार मानव विकास के किस मूल्य को परिलक्षित किया जाता है ?
    उत्तर- सततपोषणीयता - अगर हम उद्योग धन्धों को लगाने के लिए किसी वन प्रदेश को साफ करते हैं तो उस समय हमारा कर्तव्य बनाता है कि आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा वृक्षारोपण करें जिससे आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए वातावरण स्वच्छ बना रहे और उन्हें वृक्षों द्धारा फल-फूल प्राप्त होता रहे।
  5. "जनसमुदाय ही राष्ट्र के वास्तविक धन होते हैं" इस कथन में मानव विकास के किस मूल्य को दर्शाया गया है ? कुटीर उद्योग आत्म निर्भरता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक हैं उदाहरण के साथ स्पष्ट करें।
    उत्तर- उपरोक्त कथन में जन समुदाय का कौशल एवं उनकी कार्य करने की क्षमता तथा श्रम उत्पादकता को दर्शाया गया है।
    उदाहरण - विश्व में जापान एक ऐसा देश है जो अपने मानव संसाधन के कारण ही अन्य राष्ट्रों को पीछे छोड़ चुका हैं।

पाठ-7 तृतीयक और चतुर्थक क्रियाएं

पाठ्यांश: "सेवाएं विभिन्न स्तरों पर पाई जाती हैं। कुछ सेवाएं उद्योगों को चलाती हैं। कुछ लोगों को और कुछ लोगों उद्योगों दानो को। उदाहरणतः परिवहन सेवाएं। निम्नस्तरीय सेवाएं जैसे पंसारी की दुकाने, धोबी घाट: उच्चस्तरीय सेवाओं अथवा लेखाकार परामर्शदाता और चिकित्सक जैसी अधिक विशिष्टीकृत सेवाओं की अपेक्षा अधिक सामान्य आौर विस्तृत हैं। सेवाए भुगतान कर सकने वाले व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को उपलब्ध होती हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-59)

  1. कुछ सेवाओं को किस आधार पर निम्नस्तरीय कहा गया है ? इन सेवाओं की बेहतरी के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
    उत्तर- सेवाओं को उनके आर्थिक मूल्य के आधार पर निम्नस्तरीय कहा जाता है क्योंकि वे अपनी सेवाओं का मूल्य अपेक्षाकृत कम लेते है। इसके साथ की ऐसी सेवाये देने वाले अधिकतर लोग प्रशिक्षित नहीं होते।
    उपाय:-
    1. इन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।
    2. इनको संगठित होना चाहिये।
  2. हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए माली , धोबी , नाई जैसे शारीरिक श्रम करने वालों की आवश्यकता होती है फिर भी हम उन्हें सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते - क्यों ?
    उत्तर- हम ऐसी सेवा देने वालों को सम्मान की दृष्टि से नही देखते क्योंकि उनका जीवन स्तर अतिसामान्य होता है और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होती।
  3. "भारत अथवा रूस जैसे विशाल देशों मे यह अवश्यंभावी है कि महानगरीय केंद्रों जैसे निश्चित क्षेत्रों में परिधिस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अंकीय विश्व के साथ बेहतर संबंध तथा पहुंच पाई जाती है।" इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट करें कि ग्रामीण क्षेत्रों का अंकीय विश्व के साथ बेहतर संबंध न होने से उन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इस स्थिति कसे सुधारने के उपाय भी बतायें।
    उत्तर- ग्रामीण क्षेत्र इस कारण से विकास के पथ पर पिछड़ जाते है। कृषि , शिक्षा, व्यवसाय सभी क्षेत्रों पर अंकीय संबंधों के अभाव का असर पड़ता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों कम्प्यूटर, इंटरनेट का अधिक से अधिक प्रसार करना चाहिये। सभी क्षेत्रों को कम्प्यूटरीकृत किया जाना चाहिए।
  4. वाह्य स्रोतन के द्वारा रोजगार में अधिक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं किन्तु साथ ही नवयुवक को कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। स्पष्ट कीजिए। उन मानवीय मूल्यों को भी बताइए जिससे इन समस्याओं से निपटा जा सके।
    उत्तर- बाह्यस्रोतन देश के बाहर एवं देश के अन्दर दोनों तरह से होता है। विदेशों से अपने देश में सेवाओं का
    बाह्यस्रोतन करनें के कारण:
    • कार्य के घंटे असुविधाजनक हो जाते है जैंसे कि दिन के स्थान पर रात में कार्य करना।
    • दूसरें देशों की संस्कृति एवं सभ्यता के साथ मेल नही बैठा पाते है।
      इन समस्याओं से निपटने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती है:-
    1. कर्मचारियों को कार्य के अतिरिक्त सामाजिक एवं पारिवारिक गतिविधयों में शामिल होने के लिए अवसर प्रदान किये जाएे।
    2. कार्य करने के घंटों में परिवर्तन होता रहे इस बात का ध्यान रखा जाए।
    3. अवसाद की अवस्था उत्पन्न होने पर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
    4. कर्मचारियों को रोजगार की स्थिरता के प्रति आश्वस्त किया जाएे।
  5. मुंबई की डब्बावाला सेवा विश्व प्रसिद्ध है। इसकी सफलता हमें किन गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है ? संक्षेप में लिखें।
    उत्तर- मुम्बई के डिब्बेवाले, कार्यालयो में कार्य में करने वालों को समय पर टिफिन पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध है। उनकी सफलता एवं प्रसिद्धि निम्न गुणों को अपना कर सफल होने के लिये प्रेरित करती है।
    1. अनुशासन
    2. संगठन में शक्ति
    3. कठिन श्रम
    4. अपने कार्य के प्रति समर्पण की भावना।
  6. परिवहन सेवाएं किसी भी देश की औद्योगिक प्रगति का आधार होती हैं। यह सर्वमान्य तथ्य है। किन्तु ये सेवायें लोगों के मानवीय मूल्यों की वृद्धि में भी सहायक है , स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- परिवहन व्यवस्था के कारण लोग लम्बी दूरियां तय कर पाते है इस कारण उनमें दूसरी जगहों पर निवास करने वालों के प्रति सद्भावना का विकास होता हैं वे दूसरों के प्रति जिज्ञासु होते है और उनकी संस्कृति एवं सभ्यता का सम्मान करते है। देश के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के कारण देशभक्ति की भावना का भी विकास होता है।

पाठ-8 परिवहन एवं संचार

  1. परिवनहन एवं संचार किस प्रकार मानवीय क्रियाकलापों के लिए सहायक होता है ?
    उत्तर- प्राकृतिक संसाधन, आर्थिक क्रियाकलाप और बाजार का किसी एक ही स्थान पर पाया जाना दुर्लभ होता है। परिवहन एवं संचार उत्पादन केन्द्रों को उपभोगताओं से जोड़तें है। प्रत्येक प्रदेश उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसके लिए वहां आदर्श दशाएं उपलब्ध होती है। ऐसी वस्तुओं का व्यापार एवं विनिमय परिवहन एवं संचार पर निर्भर करता है। जीवन का स्तर व जीवन की गुणवत्ता भी दक्ष परिवहन तथा संचार पर निर्भर करती है।

पाठ्यांश: "अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के सहारे बनाई गई सड़कों को सीमावर्ती सड़कें कहा जाता है। ये सड़कें सुदूर क्षेत्र में रहने वाले लोगों को प्रमुख नगरों से जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रायः सभी देशों में गावों एवं शैन्य शिविरों तक वस्तुओं को पहुचाने के लिए ऐसी सड़कें पाई जाती हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-68)

  1. सीमावर्ती सड़कें वहां के निवासियों को किस प्रकार देश की मुख्य धारा से जोड़ती हैं ?
    उत्तर- सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के लिए परिवहन का एकमात्र साधन सड़क ही होता है। ये सीमावर्ती सड़कें उन निवासियों को प्रमुख नगरों से जोड़ती हैं जो मुख्यतः सांस्कृतिक, राजनैतिक तथा आर्थिक विकास के केन्द्र होते है। अतः सीमावर्ती सड़कें वहां के निवासियों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है।
  2. सीमावर्ती सड़कों का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
    उत्तर- सीमावर्ती सड़कों का प्रमुख उद्देश्य सूदूर क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना एवं रक्षा तैयारियों को मजबूती प्रदान करना।

पाठ्यांश: "कई बार अगम्य क्षेत्रों तक पहुंचनें का एक साधन वायु परिवहन ही होता है। वायु परिवहन ने संपर्क क्रांति ला दी है। पर्वतों हिमक्षेत्रों अथवा विषम मरूस्थलीय भूभागों पर विजय प्राप्त कर ली गई है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-77)

  1. वायु परिवहन दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले लोगों के लिए किस प्रकार लाभकारी है ?
    उत्तर- वायु परिवहन दूरस्थ क्षेत्र जैसे कनाडा तथा साइबेरिया के उप-ध्रुवीय क्षेत्रों में जमी हुई भूमि के अवरोध से प्रभावित हुए बिना यहां के निवासियों को अनेक प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध कराता है। पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर भू-स्खलन, हिमपात के कारण अवरुद्ध हुए मार्गो की स्थिति में वहां पहुँचने के लिए वायु यात्रा ही एकमात्र विकल्प होता हैं।
  2. वायु परिवहन ने किस प्रकार संपर्क क्रान्ति ला दी है ?
    उत्तर- तीव्रगामी होने के कारण लंबी दूरी की यात्रा के लिए यात्री इसे वरीयता देते है। कई बार अगम्य स्थानों पर पहुंचने का यही एक साधन होता हैंइसके द्धारा मुल्यवान जहाजी भार को तेजी से पूरे विश्व में भेजा जा सकता है।
  3. उपग्रह संचार ने किस प्रकार मानव के प्रयास को सुगम बना दिया है ?
    उत्तर- पृथ्वी की कक्षा में कृत्रिम उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रेक्षण के कारण अब उन दूरस्थ स्थानों को जोड़ा गया है जिनका यथास्थान सत्यापन सीमित था।
    इस तकनीक के प्रयोग द्धारा लागत खर्च में भारी कमी आई है। 500 कि. मी. की दूरी तक होने वाले संचार में लगने वाली लागत उपग्रह के द्धारा 5000 कि. मी. की दूरी तक होने वाली संचार लागत के बराबर हैं।
    उपग्रह संचार से मौसम विज्ञान संबंधी भविष्यवाणी एक वरदान बन गई हैं।
    इस तकनीकी ने दूरदर्शन तथा रेडियो प्रसारण को अत्यधिक प्रभावी बना दिया हैं।
  4. मुक्त व्यापार विकासशील एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों के जीवन को अधिक संपन्न नही बनाता। मानवीय मूल्यों के संदर्भ में समझाएं ?
    उत्तर- मुक्त व्यापार की स्थिति में विकासशाील देश और विकसित देश एक समान व्यापारिक नियमों का व्यवहार करते हैं लेकिन विकसित देशों में अधिक राजकीय छूट/सब्सीडी के कारण वहां के उत्पाद की लागत कम होती है जिस कारण वह उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी होता है। वहीं, विकासशाील देशों के उत्पाद समान गुणवता होने के बावजूद अधिक प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाते क्योंकि वहां राजकीय छूट / सब्सीडी कम होती है। इस प्रकार मुक्त व्यापार धनी देशों को और धनी बनाकर वास्तव में गरीब और अमीर के बीच खाई को बढ़ा रहा हैं।
    विकसित देश, स्वास्थ्य, श्रमिकों के अधिकार, बालश्रम और प्रर्यावरण जैसे मुद्दों की आड़ में अपने बाजारों को विकासशील एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों के लिए नही खोल रहें हैं जिस कारण विकासशील देश अधिक सम्पन्न नहीं है।
  5. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार देशों के लिए किस प्रकार हानिकारक हो सकता है ? व्याख्या करें।
    उत्तर- अतंर्राष्ट्ररीय व्यापार जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित करते है। यह सारे विश्व में पर्यावरण से लेकर लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण इत्यादि सभी को प्रभावित कर सकता है। जैसे-जैसे देश अधिक व्यापार के लिए प्रतिस्पर्धी बनते जा रहे हैं, उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है और संसाधनों के नष्ट होने की दर उनके पुनर्भरण की दर से तीव्र होती है। परिणामस्वरूप समुद्री जीवन भी तीव्रता से नष्ट हो रहा है, वन काटे जा रहे है और नदी बेसिन निजी पेय जल कंपनियों को बेचे जा रहे हैं। तेल, गैस, खनन, औषधी विज्ञान और कृषि व्यवसाय में संलग्न बहुराष्ट्रीय निगम और अधिक प्रदूषण उत्पन्न करते हुए हर कीमत पर अपने कार्यो को बढ़ाए रखती है तथा सतत पोषणीय विकास के मानकों का अनुसरण नही करती।

पाठ्यांश: "पंद्रहवीं सदी के बाद यूरोपियन उपनिवेशवाद ने विदेशी वस्तुओं के साथ-साथ एक नया व्यापार शुरू किया, इसे "दास व्यापार" के रूप में जाना जाता था। पुर्तगाली, डच, स्पेनियार्ड्स ने अफ्रीका के मूल निवासियों के ऊपर अपना कब्जा किया और जबरदस्ती नव खोज अमरीका को अपने बागानों में कार्य करने के लिए पहुंचाया। दास प्रथा एक आकर्षक व्यापार के रूप में दो सौ वर्षों तक कई देशों में व्याप्त था। यह व्यापार 1792 में डेनमार्क में, ग्रेट ब्रिटेन में 1807 में, अमेरिका में 1808 में समाप्त हो गया।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. मानव भूगोल के मूल सिद्धांत पृष्ठ-82)

  1. "दास प्रथा एक अभिशाप था" अपने शब्दों और विचारों में इसका औचित्य बताइये।
    उत्तर- दास प्रथा में दासों की बिक्री अथवा अस्थाई रूप से स्वामियों द्वारा दासों को किराये पर लिया जाता था। ऐसी प्रथा ने प्रायः परिवार के सदस्यों को एक दूसरे से अलग कर दिया तथा उनमें से बहुतों ने अपने प्रियजनों को दोबारा नहीं देखा।
    इस प्रथा में दासों की दशा काफी दयनीय थी। उनके कार्य करने के स्थान तथा रहने के स्थान पर स्थिति बहुत खराब थी तथा किसी भी मानव मूल्यों तथा मानव अधिकारों को महत्ता नही दी जाती थी।
  2. दास प्रथा के अंत हेतु किस प्रकार के मूल्यों की आवश्यकता है ?
    उत्तर- दास प्रथा के अंत हेतु समता और समानता की भावना का विकास आवश्यक है। इसके साथ दूसरों के प्रति सहृदयता एवं उदारता के गुणों का विकास भी आवश्यक हैं।

पाठ-10 मानव बस्ती

  1. ग्रामीण बस्तियां किस प्रकार सामाजिक मूल्यों का पोषण करती हैं ?
    उत्तर-
    • ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग आत्मीय संबंधों पर विश्वास करते है। तथा संबंधों में घनिष्ठता पाई जाती हैं।
    • जीवन बहुत सरल होता हैं, वृद्धों तथा महिलाओें का सम्मान किया जाता हैं।
    • अनेकों प्राचीन परंपराओं का निर्वाह आज भी गावों में होता है।
  2. नगरीय बस्तियां आधुनिक सामाजिक मूल्यों का दर्पण है। स्पष्ट करें।
    उत्तर-
    • नगरीय जीवन में जटिलता पाई जाती है।
    • आत्मीयता का अभाव होता है।
    • संबंधों में घनिष्टता की कमी और गतिशीलता पाई जाती है।
  3. ग्रामीण बस्ती की गतिविधियों में किस प्रकार के मानवीय मूल्यों का निर्वाह होता है ?
    उत्तर-
    • आपसी सहयोग से ग्रामीण बस्तियों के निवासी सभी कार्य सरलता से कर लेते हैं।
    • खेतों में जुताई, कटाई तथा इससे जुड़े दूसरे कार्य आपसी भागीदारी से समय पर पूर्ण हो जाते है।
    • तटीय भागों की ग्रामीण बस्तियों के मछुआरें मिलजुल कर सभी कार्यो को अंजाम देते हैं।

भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था
भाग-2
इकाई-1 (पाठ-1 और पाठ-2)

पाठ्यांश: "किशोर जनसंख्या यद्यपि उच्च संभावनाओं से युक्त युवा जनसंख्या समझी जाती है। यदि उन्हें समुचित ढंग से मार्गदर्शित एवं प्रणालित न किया जाएे तो वे काफी सुभेद्य भी होते हैं। जहां तक इन किशोरों का संबंध है समाज के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। जिनमें से कुछ विवाह की निम्न आयु, निरक्षरता, विद्यालय विरत छात्र, पोषकों की निम्न ग्राह्यता... इत्यादि है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ – 8)

  1. किशोरों के सुभेद्य होने से क्या तात्पर्य है ?
    उत्तर- किशोरों के सुमेद्य होने से तात्पर्य है कि वे समाज में व्याप्त बुराइयो के चपेट में शीघ्रता एवं सरलता से आ जाते है।
  2. किशोर जनसंख्या किस आयु वर्ग में आती है ? इसे उच्च संभावनाओं से युक्त जनसंख्या क्यों कहा गया है ?
    उत्तर- किशोर जनसंख्या के अन्तर्गत 10-19 वर्ष का आयु वर्ग आता है। यह वर्ग उच्च संभावनाओं से युक्त माना जाता हैं। क्योंकि इसी वय में वे शिक्षा ग्रहण करते हैं एवं देश के विकास के लिये आवश्यक विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप ढल सकते है। किशोरों के शैक्षणिक, चारित्रिक एवं शारीरिक विकास पर देश का भविष्य निर्भर होता हैं।
  3. किशोरों को लेकर समाज के समक्ष जो चुनौतियां हैं उनका मुकाबला करने के लिए दो उपाय सुझायें।
    उत्तर-
    1. सभी के लिये समुचित शिक्षा व्यवस्था
    2. शारीरिक विकास के लिये खेलों में भाग लेने की सुविधा
    3. उचित मार्गदर्शन
    4. उचित पोषण

पाठ्यांश: "प्रवास से विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। इसका संकीर्ण विचारों को भेदनें तथा मिश्र संस्कृति के उद्विकास में सकारात्मक योगदान होता है और यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है किन्तु इससे गुमनामी जैसे गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं जो व्यक्तियों में सामाजिक निर्वात एवं खिन्नता की भावना भर देते हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत लोग : एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 21)

  1. प्रवास किस प्रकार लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है ? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- प्रवास के कारण लोग अपने परिचित एवं सीमित माहौल से निकलकर दूसरी जगह जाते है। उन्हें उस स्थान के सामाजिक तथा सांस्कृतिक माहौल में ढलना पड़ता है। वे दूसरों के रीतिरिवाजों, विश्वासों को स्वाीकार करना सीखते है इस तरह प्रवास उनकें मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है।
  2. सामाजिक निर्वात एवं खिन्नता की भावना से बचने के लिये क्या करना चाहिए ? दो उपाय सुझाएं।
    उत्तर-
    • सामाजिक निर्वात एवं खिन्नता की भावना के बचने के लिये लोगों को अपने सीमित दायरे से निकल कर सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिये।
    • व्यक्तिगत विकास के लिये प्रयास करें।
    • किसी भी स्थिति में गलत आदतों एवं असमाजिक तत्वों के चक्कर में न पड़े।
  3. "शिक्षा अथवा रोजगार के लिए स्त्रियों का प्रवास उनकी स्वायत्तता और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका बढ़ा देता है किन्तु उनकी सुभेद्यता भी बढ़ती है।" इस कथन के संदर्भ में स्त्रियों की सुभेद्यता को नियंत्रित करने के उपाय सुझाइए।
    उत्तर- वर्तमान समय में स्त्रियों की भूमिका घर पर ही सीमित न रहकर बाहर शैक्षिक एवं आर्थिक जगत में भी है। वे अपनेको गरिमामय तरीके से सुरक्षित महसूस करें इसके लिए निम्न उपाय किये जा सकते है।
    1. स्त्रियों को अधिक से अधिक आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना।
    2. महानगरों में जहां आप्रवास अधिक है वहां की कानून व्यवस्था में स्त्रियों की सुरक्षा का खास ध्यान हो।
    3. स्त्रियों की सहभागिता दर अधिक से अधिक हो।
  4. भारत में श्रमजीवी जनसंख्या के संघटन को देखें तो पायेंगे कि 61 प्रतिशत की विशाल जनसंख्या अश्रमिकों की है (2001 की जनगणना के अनुसार)। यह अवस्था किस तरह की मानवीय समस्याओं की ओर इंगित करती है ?
    उत्तर- विशाल जनसंख्या का अश्रमिक होना निम्नलिखित समस्याओं की ओर इशारा करता है:-
    1. गरीबी की समस्या- लोग निम्न आर्थिक स्तर पर जीते है और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान नही दे पाते।
    2. बेरोजगारी की समस्या - कार्य करने योग्य जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है।
    3. बेरोजगार रहने की अवस्था में लोग अपराध की ओर प्रवृत्त हो सकते है।
  5. भारत एक विभिन्न भाषाई संघटन एवं विभिन्न धार्मिक संघटन वाला देश है। यह तथ्य हमारे अंदर किन मानवीय मूल्यों के संवर्धन में सहायक है ?
    उत्तर- कई भाषाओं एवं धर्मो से युक्त यह देश यहां के नागरिकों में कई मूल्यों को सृजित करता है जैसेः-
    1. सहिष्णुता
    2. आपसी भाई चारा
    3. दूसरों की भाषा एवं संस्कृति का सम्मान।

पाठ-3 मानव विकास

"गरीबी वंचित रहने की अवस्था है। निरपेक्ष रूप से यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ एवं यथोचित उत्पादक जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिंबित करता है।" इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि:-
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 26)

  1. भारत में कुछ लोग आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट कर पाने में असमर्थ क्यों है ?
    उत्तर- भारत में कुछ लोग जरुरतों को पूरा करने में असमर्थ है क्योंकि उन्हें जीविकोपार्जन के लिए उपयुक्त रोजगार नही मिल पाता है वे आर्थिक दृष्टि से कमजोर रह जाते है।
  2. गरीबों की इस असमर्थता को दूर करने के लिये किस प्रकार के मानव मूल्यों की आवश्यकता है ?
    उत्तर- गरीबी की स्थिति खत्म करने के लिये समानता, समता, सशक्तिकरण जैसे मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है।

पाठ्यांश: "यह सुस्थापित तथ्य है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब किसानों और गंदी बस्तियों में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों का बड़ा समूह सर्वाधिक हासिए पर है। स्त्री जनसंख्या का बड़ा खण्ड इन सबमें से सबसे ज्यादा कष्ट भोगी है। यह भी समान रूप से सत्य है कि वर्षों से हो रहे विकास के बाद भी सीमांत वर्गों में से अधिकांश की सापेक्षिक के साथ-साथ निरपेक्ष दशाएं भी बदतर हुई हैं। परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में लोग पतित निर्धनतापूर्ण और मानवीय दशाओं में जीने को विवश हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 24)

उपर्युक्त संदर्भ को ध्यानपूर्वक पढ़िए और अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. भारत में जनसंख्या का एक बड़ा समूह हासिए पर है। हासिए पर होने से क्या तात्पर्य है ?
    उत्तर- हाशिये पर होने से तात्पर्य है समाज एवं देश में हुए विकास से वंचित रहना, समाज की मुख्यधारा में शामिल न हो पाना अर्थात सुख सुविधाओं से वंचित रहना।
  2. जनसंख्या के इस समूह को मुख्यधारा में लाने के लिए या विकास के उचित अवसर प्रदान करने में किन मानवीय मूल्यों के पालन की आवश्यकता है ?
    उत्तर- समता, समानता, मानव मात्र के प्रति उदारता आदि मानवीय मूल्यों के पालन की आवश्यकता है।
  3. स्त्री जनसंख्या का कष्टभोगी होना हमारी किन कमियों की ओर संकेत करता है ?
    उत्तर-
    1. स्त्रियों के प्रति हमारी उपेक्षा
    2. स्त्री शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं देना
  4. वर्तमान में मानव विकास के लिए सामाजिक न्याय , प्रादेशिक संतुलन एवं सामाजिक सशक्तिकरण का होना आवश्यक है। इन गुणों का विकास मानवीय मूल्यों को अपनाए बिना सम्भव नहीं है , स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- सामाजिक न्याय, समता एवं समानता के मूल्यों पर निर्भर है। प्रादेशिक सन्तुलन के लिये भी संसाधनों का उदारतापूर्ण एवं दूसरों की सहायता करने की भावना के साथ वितरण आवश्यक है। सामाजिक सशक्तिकरण लाने के लिये भी कमजोर एवं पिछड़ों के प्रति सद्भावनापूर्ण व्यवहार अपेक्षित है।
  5. "युगों से यही सोचा जा सहा है कि विकास एक मूलभूत संकल्पना है और एक बार इसे प्राप्त कर लिया गया तो समाज की सभी समस्याओं का निदान हो जाएगा।" आप इस कथन से कहां तक सहमत हैं ? मानवीय मूल्यों के संदर्भ में समझाइए।
    उत्तर- मानव विकास की संकल्पना यद्यपि मानव जीवन के अच्छे रहन सहन, सुख सुविधाओं की पूर्ति एवं स्वस्थ जीवन से है किन्तु दूसरे कारण भेदभाव, वंचना, मानवाधिकारों पर आघात, पर्यावरणीय निम्नीकरण एंव मानवीय मूल्यों के विनाश में भी वृद्धि हुयी है। विकास की दौड़ में लोग सद्भावना, परोपकार, सच्चाई, ईमानदारी, स्वाभिमान जैसे मूल्यों को अहमियत नहीं देते। पर्यावरण का भी औद्योगिक विकास के कारण बहुत नुकसान होता है।

पाठ्यांश: "संसाधन हर जगह असमान रूप से वितरित हैं। समृद्ध देशें एवं लोगों की संसाधनों के विशाल भंडारों तक पहुँच है जबकि निर्धनों के संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त शक्तिशाली लोगों द्वारा अधिक से अधिक संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिए गये अनंत प्रयत्नों और उनका अपनी असाधारण विशेषता को प्रदर्शित करने के लिये प्रयोग करना ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अंतर्विरोधों का प्रमुख कारण है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 30)

उपर्युक्त संदर्भ को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. निर्धनों के संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं। ऐसा न हो इसके लिए आप क्या उपाय सुझाएंगे ?
    उत्तर- निर्धनों के संसाधन इसलिये सिकुड़ रहे है क्योंकि समृद्ध देश अपनी विकसित तकनीकी एवं सम्पन्नता के बल पर संसाधनों पर अधिक से अधिक कब्जा कर लेते है एवं संसाधनों का शोषण कर लेते है। इस स्थिति का सुधार करने के लिये हम निम्न उपाय अपना सकते है:-
    1. संसाधनों के उपयोग में संतुलन रखे। समृद्ध देश निर्धन देशों के प्रति सद्भाव रखें।
    2. संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए।
  2. जनसंख्या , संसाधनों एवं विकास के बीच संघर्ष एवं अंतर्विरोध को कैसे रोका जा सकता है ?
    उत्तर-
    1. सतत्पोषणीय विकास की अवघारण अपना कर।
    2. विकास के साथ मानवीय मूल्यों को महत्व देकर।

पाठ-4 मानव बस्तियां

पाठ्यांश: "ग्रामीण और नगरीय बस्तियां सामाजिक संबंधों , अभिवृत्तियों एवं दृष्टिकोण की दृष्टि से भी भिन्न होती है। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिए उनमें सामाजिक संबंध घनिष्ठ होते हैं दूसरी ओर नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक संबंध औपचारिक होतं हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 32)

उपर्युक्त पाठ्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. आपके विचार से ग्रामीण और नगरीय बस्ती में कौन से मानव मूल्यों में विभिन्नता पाई जाती हैं ?
    उत्तर- ग्रामीण लोगों का जीवन सरल और सामाजिक संबंध घनिष्ठ होते है। वहां बड़ा परिवार भी एक इकाई के रूप में रहता है। आपस में भाईचारे की भावना होती है। बड़े बुर्जगों के प्रति आदर और सम्मान की भावना होती है। इसके विपरीत नगरीय जीवन में मानवीय मूल्यों की कमी होती है। आपस में संबंध औपचारिक होते है। एक दूसरे के लिए समय की कमी होती है। लोगों में सौहार्द कम होता है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों की गतिशीलता में कमी होना किन-किन मानवीय मूल्यों को दर्शाता है ?
    उत्तर- ग्रामीण लोग अपनी मिट्टी से प्यार करते है इसलिए उनमें गतिशीलता कम होती है। वे अपने गांव में ही रहकर जीवन यापन करना चाहते है। वे पारिवारिक मूल्यों पर अधिक बल देते है।
  3. नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीब्र होता है। इस पंक्ति में जीवन के किन मूल्यों को उजागर किया गया है ?
    उत्तर- नगरीय जीवन भागदौड़ वाला होता है वहां लोगों के पास समय की कमी होती है। जीवन की दौड़ लगी होती है। इसीलिए आत्मीयता में कमी होती है और औपचारिकतायें अधिक होती है।

पाठ्यांश: "गुच्छित ग्रामीण बस्ती घरों का एक संहत अथवा संकुलित रूप से निर्मित क्षेत्र होता है। इस प्रकार के गांव मे रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारो और फैले खेतों खलिहानों और चारगाहों से पृथक होता है। संकुलित निर्मित क्षेत्र और इसकी मध्यवर्ती गलियां कुछ जाने पहचाने और ज्यामितीय आकृतियां प्रस्तुत करती हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 33)

उपरोक्त पाठ्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. गुच्छित बस्तियां किस प्रकार के मानव मूल्यों को परिलक्षित करती हैं ?
    उत्तर- गुच्छित बस्तियां निम्न मानव मूल्यों को पोरलोक्षत करती है।
    1. सामाजिक सौहार्द - आपस में भाईचारा होता है।
    2. सुरक्षा की भावना - घर पास-पास बने होने से अपने को सुरक्षित महसूस करते है।
    3. पारिवारिक मूल्य - बड़े बुजुर्गो का आदर-सम्मान और आपसी सम्बन्धों में घनिष्टता होती है।
  2. गुच्छित बस्तियों द्वारा पर्यावरणीय सुरक्षा को किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है ?
    उत्तर-
    1. घर एक मंजिल के होते है। ग्रामीण लोग प्रकृति के करीब होते हैं और प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए जीवन यापन करतें है।
    2. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग धन्धे कम होते है इसीलिए वातावरण प्रदुषण मुक्त होता है।
    3. यातायात के अधिक साधन न होने के कारण प्रदूषण कम होता है।

इकाई-3 (पाठ-5)
भूसंसाधन तथा कृषि

पाठ्यांश: "विभिन्न प्रकार की भूमि विभिन्न प्रकार के कार्यो हेतु उपयोगी होती है। इस प्रकार मनुष्य भूमि को उत्पादन, रहने तथा नाना प्रकार के मनोरंजक कार्यों हेतु संसाधन के रूप में प्रयोग करता है। आपके स्कूल की इमारत, सड़कें जिनपर आाप यात्रा करते हैं, क्रीड़ा उद्यान जहां आप खेलते हैं, खेत खलियानों पर फसलें उगाई जाती हैं एवं चारागाह जहां पशु चरते हैं आदि भूमि के विभिन्न उपयोगों को प्रदर्शित करते हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 40)

  1. भूमि संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किस प्रकार भावी विकास को प्रभावित करेगा ? तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल क्रमशः कम होता जाएगा।
    2. देश के सामने साद्यान्न संकट की समस्या भविष्य में आ सकती है।
    3. भावी पीढ़ी के लिए औद्योगिक एवं नगरीय विकास के लिए भूमि कम पड़ जाएगी।

पाठ्यांश: "यह जानना आवश्यक है कि वर्गीकृत वन क्षेत्र तथा वनों के अंतर्गत वासतविक क्षेत्र दोनो पृथक हैं। सरकार द्वारा वर्गीकृत वन क्षेत्र का सीमांकन इस प्रकार किया गया जहां वन विकसित हो सकते हैं। भूराजस्व अभिलेखों में इसी परिभाषा को सतत अपनाया गया है। इस प्रकार इस संदर्भ के क्षेत्रफल में वृद्धि दर्ज हो सकती है। परन्तु इसका अर्थ यह नही है कि वहां वास्तविक रूप से वन पाये जाएेंगे।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 40)

  1. भारत में वनों का अनुपात निर्धारित 33 प्रतिशत से बहुत ही कम लगभग 21 प्रतिशत ही है। क्यों ?
    उत्तर-
    1. तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण आवास हेतु भूमि वनों को नाश करके ही प्राप्त की गयी।
    2. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के लिए वनों को काटकर भूमि प्राप्त की गयी।
    3. खाद्यान्न संकट से बचने के लिए कृषि योग्य भूमि की प्राप्ती वनों को काटकर की गयी।
  2. 'साझा संपत्ति संसाधन' ग्रामीण विकास एवं सामाजिक समरसता के लिए किस प्रकार आवश्यक है ? तीन बिंदुओं में स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. सामुदायिक वनों का इस्तेमाल ग्रामीण मिलजुल कर करते है।
    2. ग्रामीण चारागाहों का इस्तेमाल मिल जुलकर करते है।
    3. सार्वजनिक स्थलों का उपयोग ग्रामीण आपसी समस्याओं को सुलझाने के लिए करते हैं।
    4. "ग्रामीण जलीय क्षेत्रों" का प्रयोग ये मिलजुल कर सिंचाई एवं कृषि के लिए करते है।
  3. कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी वर्तमान परिस्थितियों में भारत का किसान गरीब होता जा रहा है तथा आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है। इसके दो कारण एवं निदान बताएं।
    उत्तर-
    1. सिंचाई का अपेक्षित विकास नही होने के कारण अधिकांश किसान अनियमित मानसून पर निर्भर होकर रह गया है।
    2. प्रति हेक्टेयर उत्पादन बहुत ही कम है।
    3. कृषि योग्य भूमि का लगातार निम्नीकरण हो रहा है।
      निदान: किसान को अच्छी तरह से शिक्षित किया जाए एवं समय पर सस्ते कर्ज उपलब्ध कराए जाएे।
  4. कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु जल संसाधन का अति उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। इसके दो दुष्परिणाम एवं एक समाधान बताएं।
    उत्तर-
    1. अति सिंचाई के कारण कृषि भूमि का एक बडा भाग जलाक्रांतता, लवणता तथा मृदाक्षारता के कारण बंजर हो चुका है।
    2. अमूल्य जल संसाधन की भी बर्बादी हो रही है।
      समाधान: सिंचाई की टपकन एवं फुहार विधि के प्रति किसानों को जागरुक किया जाए।
  5. भारत में रासायनिक उर्वरको और कीटनाशकों के उपयोग में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके दो दुष्परिणाम एवं एक समाधान बताएं।
    उत्तर-
    1. रासायनिक उर्वरकों के अति उपयोग से प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत में वृद्धि तो हो जाती है लेकिन कृषि योग्य भूमि की प्राकृतिक उर्वरता प्रभावित हो रही है।
    2. कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा परिच्छेदिका में जहरीले तत्वों का सांद्रण हो गया है।
      समाधानः- प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए जैविक कृषि एवं जैविक खाद को अपनाने के प्रति किसानों को शिक्षित एवं जागरुक किया जाए।

इकाई-3 (पाठ-6)
जल संसाधन

पाठ्यांश: "जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत धरातल पानी से आच्छादित है परन्तु अलवणीय जल कुल जल का लगभग 3 प्रतिशत ही है। वास्तव में अलवणीय जल का एक बहुत छोटा भाग ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस दुर्लभ संसाधन के आवंटन और नियंत्रण पर तनाव और लड़ाई झगड़े संप्रदायों, प्रदेशों और राज्यों के बीच विवाद का विषय बन गये हैं । विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल का मूल्यांकन, कार्यक्षम उपयोग और संरक्षण आवश्यक हो गये हैं।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 60)

उपर्युक्त पाठ्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. अलवणीय जल के बटवारे पर विवाद वर्षों से चले आ रहे हैं एवं उनके और अधिक बढ़ने की आशंका है। इसके दो कारण एवं एक निदान बताएं।
    उत्तर-
    1. अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की मांग लगातार बढ़ रही है।
    2. दक्षिणी एवं मध्य भारत के कुछ राज्यो में पुनः पूर्ति योग्य जलीय क्षेत्र कम उपलब्ध है।
    3. "जल संभर प्रबंधन" को बढ़ावा दिया जाना चाहिए एवं नदियों को आपस में जोड़ने की योजना पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया जाना चाहिए।
  2. भौम जल संसाधन का उपयोग सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए उपयोगी है लेकिन इसके अति उपयेाग से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन करिये।
    उत्तर-
    1. भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भौम जल स्तर नीचा हो गया है।
    2. अधिक जल निकालने के कारण भौम जल में फलुओराइड और संखियां का संकेन्द्रण बढ़ गया है।
    3. कृषि योग्य भूमि जलाक्रांतता, लवणता और क्षारता के कारण बंजर हो रही है।
  3. बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं को विकास का मंदिर कहा जाता है लेकिन विकास का यह माडल मानवीय मूल्यों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा है , कैसे ?
    उत्तर-
    1. डूब क्षेत्र के निवासियों को विस्थपित होना पड़ता है।
    2. कृषि योग्य भूमि जल प्लावित हो जाते है।
    3. भूकंप संमावित क्षेत्रों में बड़े-बड़े बांधों के बनने से भंयकर विनाश की आशंका हर समय बनी रहती हैं।
  4. अंधाधुंध विकास कार्यों ने किस प्रकार जल प्रदूषण को बढ़ावा दिया है ? तीन कारण बताएं।
    उत्तर-
    1. रासायनिक पदार्थो, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थो से जल प्रदूषित होता हैं।
    2. औद्योगिक प्रदेशों में भूमिगत जल के अविवेकपूर्ण दोहन से जलस्तर नीचे चला जाता है और उसमें फ्लुओराइड की मात्रा बढ़ जाती है।
    3. तीव्र नगरीकरण के कारण नगरों में जल की मांग बढ़ने से भौम जल भंडार दूषित हो रहे है।

इकाई-3 (पाठ-7)
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

  1. खनिज संसाधनों के असमान वितरण ने औद्योगिक विकास संबंधी विषमताओं को जन्म दिया है तथा कई प्रकार की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया है , तीन बिंदुओं मे स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. राज्यों के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास में असमानता आई है।
    2. औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्रों में अप्रवास की समस्या के कारण गंदी बस्तियों की वृद्धि हुई है।
    3. खनिज संपन्न क्षेत्रों में खनन कार्यो से पर्यावरणीय समस्या सामने आई है।
  2. ऊर्जा संसाधन के परंपरागत स्रोतों के दोहन से कई प्रकार की मानवीय समस्यायें उत्पन्न हुई हैं, तीन बिंदुओं मे स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. जीवाश्म ईंधनों के अति प्रयोग से भूमंडलीय तापन की समस्या बढ़ी हैं।
    2. ऊर्जा के इन संसाधनों के अंधाधुध दोहन से सतत पोषणीय विकास के सामने प्रश्न चिन्ह लग गया है।
    3. कोयला खनन क्षेत्रों खनन के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हुई है।
  3. ऊर्जा के अपरंपरागत स्रोत पर्यावरण एवं सतत पोषणीय विकास के लिए आवश्यक है , तीन तर्कों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. जल विद्युत परियोजनाओं के विकास से कई लक्ष्य एक साथ प्राप्त किए जा सकते है।
    2. सौर ऊर्जा "ऊर्जा संसाधन" के रूप में एक अक्षय भंडार हैं।
    3. ऊर्जा के अपरंपरागत स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा आदि अधिक टिकाऊ है।
  4. खनिज संसाधनों का संरक्षण अति आवश्यक है , तीन बिंदुओं मे स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. जीवाश्म ईंधन समाप्य हैं।
    2. भावी पीढ़ी के विकास के लिए आवश्यक है।
    3. खनिज संसाधन अमूल्य है। इसे पुनः नही बना सकते हैं।

इकाई-3 (पाठ-8)
निर्माण उद्योग

  1. भारत में उद्योगों की स्थापना कुछ खास प्रदेशों तक ही सीमित है , इसने कई प्रकार की मानवीय समस्याओं को जन्म दिया है , तीन बिंदुओं में स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. औद्योगिक प्रदेशों में गंदी बस्तियों का विकास हुआ है।
    2. औद्योगिक प्रदेशों के आसपास पर्यावरणीय समस्याएं (जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण) पैदा हुई है।
    3. औद्योगिक विकास में प्रादेशिक विषमताओं के कारण प्रवास एवं बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई हैं।
  2. औपनिवेशिक काल में भारत में वस्त्र उद्योग पतन की ओर था। इसने देश की तत्कालीन सामाजिक , आर्थिक विकास को प्रभावित किया। तीन कथनों से स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. भारत का वस्त्र उद्योग चौपट हो गया था।
    2. हाथ करघा के बंद होने के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए थे।
    3. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की आर्थिक सम्पन्नता पर बट्टा लग गया था। भारत जो पहले सोने की चिड़िया थी, दरिद्र हो गया।
  3. पेट्रो रसायन उद्योग के विकास के बिना वर्तमान में विकास की कल्पना नहीं की जा सकती , फिर भी इसनें कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है , तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    1. तेल शोधन शालाओं के आसपास पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
    2. पैट्रो रसायन उद्योग से हमें प्लास्टिक प्राप्त होता है, यह हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है, परंतु इसमें जैव निम्नीकरण का गुण ना होने के कारण पर्यावरण के लिए खतरा बन गया है।
    3. पेट्रो रसायन उद्योग से पटाखे बनाने वाली सामग्री प्राप्त होती है। पटाखे हमारे पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

इकाई-3 (पाठ-9)
भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

  1. स्वतंत्रता प्राप्ति के 60 वर्षों बाद भी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों एवं उत्तर पूर्वी राज्यों में अपेक्षित विकास नहीं हुआ है , तीन कीरण दीजिए।
    उत्तर-
    1. अंतः प्रादेशिक व्यापार में इन प्रदेशों के साथ न्याय नही हुआ।
    2. स्थानीय संसाधनों और प्रतिभाओं के विकास पर पर्याप्त ध्यान नही दिया गया।
    3. जीविका निर्वाह अर्थव्यवस्था में पर्याप्त पूंजी निवेश नही किया गया।
    4. पहाड़ी या पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की विस्तृत योजनाएं वहां की स्थलाकृतिक पारिस्थितिकीय, सामाजिक तथा आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखकर नही बनाई गई।
  2. "भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम" 1970 के दशक में ही शुरू हुई फिर भी वहां की गद्दी जनजाति का अपेक्षित विकास नही हुआ है। तीन कारण बताइए।
    उत्तर-
    1. यहां कृषि कार्य अभी भी परंपरागत ढंग से किया जाता हैं।
    2. अभी भी यहां की 10: पारिवारिक इकाइयां ऋतु प्रवास करती है।
    3. यहां की भौगोलिक परिस्थितियां प्रतिकूल है जिस कारण औद्योगीकरण एवं नगरीकरण नही हुआ है।
  3. पंजाब के हरिके नामक स्थान से जल राजस्थान के थार मरूस्थलीय जिलों में पहुँचाकर वहां कृषि विकास किया गया परन्तु इससे कुछ पर्यावरणीय एवं सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं। इसे तीन बिंदुओं मे स्पष्ट करें।
    उत्तर-
    1. जल भराव एवं मृदा लवणता की समस्या सामने आई है।
    2. अमूल्य जल संसाधन का उचित प्रबंधन नही हो रहा है।
    3. निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भू आबंटियों को पर्याप्त वितीय सहायता नही मिलने के कारण आपेक्षित विकास लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
    4. केवल कृषि क्षेत्र का एकांगी विकास हुआ। यदि कृषि और पशुपालन आधारित उद्योगें का विकास किया गया होता तो आपेक्षित विकास लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते थे।

परिवहन तथा संचार
"शेरशाह सूरी ने अपने साम्राज्य को सिंधु घाटी (पाकिस्तान) से लेकर बंगाल की सोनार घाटी तक सुदृढ़ एवं संघटित रखने के लिए शाही राजमार्ग का निर्माण कराया था। कोलकाता से पेशावर तक जोड़ने वाले इसी मार्ग को ब्रिटिश शसन के दौरान ग्रांड ट्रंक (जी. टी.) रोड के नाम से पुनः नामित किया गया था। वर्तमान में यह कोलकाता से अमृतसर तक विस्तृत है और इसे दो खण्डों में विभाजित किया गया है (क) राष्ट्रीय राजमार्ग NH.1 दिल्ली से अमृतसर और (ख) राष्ट्रीय राजमार्ग NH.2 दिल्ली से कोलकाता तक।"

  1. इस प्रकार के राजमार्गों की आवश्यकता एवं औचित्य को स्पष्ट करें। इनका विकास किस प्रकार के मानव मूल्यों का विकास करता है ?
    उत्तर-
    1. देश के विकास के लिए महामार्गो का विकास अति आवश्यक है।
    2. यह क्षेत्रीय विषमताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    3. सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहायक है।
    4. आपदा एवं आपात स्थिति से निपटने में सहायता करता है।
  2. सड़क विकास एवं पर्यावरणीय संतुलन के बीच किस प्रकार समन्वय स्थापित किया जा सकता है ?
    उत्तर-
    1. सड़कों के विकास से भूमि उपयोग में परिवर्तन होता है।
    2. यदि भूमि उपयोग परिवर्तन के समय पर्यावरणीय विकास को भी ध्यान में रखा जाए तो दोनों के मध्य उत्तम समन्वय स्थापित होगा।

पाठ्यांश: भारतीय रेल जाल विश्व के सर्वाधिक लंबे रेल जालों मे से एक है। यह माल एवं यात्री परिवहन को सुगम बनाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि में भी यागदान देता है। महात्मा गांधी ने कहा था - भारतीय रेलवे ने विविध संस्कृति के लोगों को एक साथ लाकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है।"

  1. भारतीय रेलवे द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा विविध प्रकार का भोजन किस प्रकार सामाजिक व सास्कृतिक दूरियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ?
    उत्तर-
    1. श्रीनगर का कोई व्यक्ति रेल से यात्रा करे और सुदूर दक्षिण तक जाए तो उसे विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय पकवानों का स्वाद चखने का मौका उपलब्ध होगा।
    2. इसी प्रकार असम से गुजरात तक के सफर में मांसाहारी से शुद्ध शाकाहारी भोजन तक का स्वाद रेलवे उपलब्ध कराती है जिससे विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश के लोगों में आपसी मेलजोल बढ़ता है।
  2. गांधी जी की बात से आप कहां तक सहमत हैं कि भारतीय रेलवे ने विविध संस्कृति के लोगों को एक साथ लाकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया ?
    उत्तर- गांधी जी की बात से हम पूर्णता सहमत है क्योंकि यदि रेलवे न होती तो बड़े स्तर पर देश के विभिन्न भागों से लोगों की स्वतन्त्रता संग्राम में भागीदारी न हो पाती। रेलवे ने पूर्व-पश्चिम, उत्तर और दक्षिण भारतीयों को एक किया।
  3. दिल्ली मेट्रो आरामदायक परिवहन माध्यम के साथ-साथ मूल्यों के संरक्षक के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। मेट्रो में अपने अनुभवों के आधार पर इसका उल्लेख करें।
    उत्तर- दिल्ली मेट्रो आरामदायक परिवहन उपलब्ध कराने के साथ-साथ अनुशासन, आदर, सम्मान, सहानुभूति, सहायता, सहयोग, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, पर्यावरण बोध एवं संरक्षण को प्रोत्साहन एवं संरक्षण देती है। मैं मेट्रो से रोजाना ही सफर करता हूं प्रतिदिन उपरोक्त मूल्यों को अपना कर यात्रा करने में मुझे अन्यंत प्रसन्नता होती है।

पाठ्यांश: "ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान से ही शहरी क्षेत्र, कच्चा माल /सामग्री उत्पादन क्षेत्र बागान तथा अन्य व्यावसायिक फसल क्षेत्र, पहाड़ी स्थल तथा छावनी क्षेत्र रेल मार्गों से अच्छी तरह जुड़े हुए थे। ये मुख्य रूप से संसाधनो के शोषण हेतु विकसित किए गये थे। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इन रेल मार्गों का विस्तार अन्य क्षेत्रों से भी किया गया।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 119)

  1. ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद रेलवे विस्तार और विकास के उद्देश्य में क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं ?
    उत्तर- ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान संसाधनों की खुली लूट के लिए रेलवे का विकास और विस्तार किया गया था परन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात रेलवे का विस्तार और विकास स्थानीय आवश्यकताओं पूर्ति के लिए किया गया। संसाधनों का विकास देश हित में हो इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया।
  2. जनसंचार के माध्यम किस प्रकार देश भर के पिछड़े और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं ?
    उत्तर-
    1. सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्कीमों व कार्यक्रमों की समय पर उचित जानकारी उपलब्ध करवा कर।
    2. उपरोक्त कार्यक्रमों का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है उससे संबधित विभिन्न कार्यक्रमों को प्रसारित करके।
    3. अधिकारियों से संबधित जानकारी उपलब्ध करवा कर।
    4. इससे समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।

इकाई-4 (पाठ-11)
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

  1. वर्ष 2003-04 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र ने भारत के कुल निर्यात मूल्य में अकेले 76 प्रतिशत की भागीदारी अंकित की है। विनिर्माण क्षेत्र की इतनी उच्च भागीदारी किन मानवीय मूल्यों का परिणाम है ?
    उत्तर- कठोर परिश्रम, क्षमताओं का पूर्ण उपयोग, प्रशिक्षण एवं कार्य कुशलता में वृद्धि, उचित प्रबंधन, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, उचित कौशला उपयोग, सहयोग आदि के परिणाम स्वरूप , यें संभव हो सका।
  2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किस प्रकार मानवीय मूल्यों का पोषण करता है ?
    उत्तर-
    1. अतंर्राष्ट्रीय व्यापार से आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
    2. ये विभिन्न संस्कृतियों को निकट लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
    3. अधिरोष एवं कभी वाले क्षेत्रों में सतुंलन स्थापित करता है।
    4. संपन्न एवं विपन्न राष्ट्रों के मध्य न्यायोचित संबधों का पोषण करता है।
  3. विभाजन की बड़ी हानि के बावजूद देश की आजादी के बाद से भारतीय पत्तनों का निरंतर विकास हुआ है ये भारतीय मजदूरां के किन गुणों को उजागर करता है ?
    उत्तर-
    1. विभाजन की त्रासदी झेलने के बाद भी हम हताश नही हुए। संसाधनों का बंटवारा हमारी प्रगति पर अकुंश नही लगा सका।
    2. अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमने अपने बल पर अनेको पत्तनों का निर्माण किया है।
    3. इनकी निरंतर प्रगति से हमें आत्मसंतुष्टि मिलती है तथा निरंतर कार्य करने के लिए आत्मबल मिलता है।
    4. इस प्रकार ये हमारे जुझारूपन, को भी दर्शाता हैं

इकाई-4 (पाठ-12)
भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएं

  1. जल की गुणवत्ता में निम्नीकरण के मानवीय कारकों की व्याख्या करें।
    उत्तर-
    1. बढ़ती हुई जनसंख्या तथा औद्योगिक विस्तारण के कारण जल का अविवेकपूर्ण उपयोग किये जाने से नदियों, नहरों, झीलों तथा तालाबों के जल में अल्प मात्रा में निलंबितकण, कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ समाहित होते है। जब इन पदार्थो की सांद्रता बढ़ जाती है तो जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है और जल प्रदूषित हो जाता है।
    2. उद्योग, कृषि एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से विषाक्त रासायनिक तत्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुंच जाते है और इन जलों में रहने वाली जैव प्रणाली को नष्ट करते हैं तथा जल की गुणवत्ता में कमी लाते है।

पाठ्यांश: "नगरों के ऊपर कोहरा जिसे शहरी धुम्र कोहरा कहा जाता है वस्तुतः वायुमण्डलीय प्रदूषण के कारण होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है। वायु प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा भी हो सकती है। नगरीय पर्यावरण का वर्षा जल विश्लेषण इंगित करता है कि गर्मियों के पश्चात पहली वर्षा में पी.एच., का स्तर उत्तरवर्ती बरसातों से सदैव कम होता है।"
(स्रोत - एन.सी.ई.आर.टी. भारत: लोग एवं अर्थव्यवस्था पृष्ठ - 137)

  1. वायु प्रदूषण के मुख्य मानवीय स्रोतों की व्याख्या करें।
    उत्तर- जीवाश्म ईंधन का दहन, खनन तथा उद्योग वायु प्रदुषण के प्रमुख मानवीय स्रोत है। ये प्रक्रियाएं वायु में सल्फर एवं नाइट्रोजन के आक्साइड, हाईड्रोकार्बन, कार्बनडाईआक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, सीसा तथा एस्बेस्टास को निर्मुक्त करते है जिससे वायु प्रदुषित हो जाती है तथा मानव जीवन के लिए अत्यन्त हानिकारक होती है।
  2. अम्लीय वर्षा किसे कहतें हैं ?
    उत्तर- अविवेकपूर्ण मानवीय क्रियाओं के कारण वायुमंडल में सल्फर तथा नाइट्रोजन आक्साइड का सांद्रण बढ़ जाता है जिस कारण वृषा श्रृतु की पहली वर्षा में पी. एच. का स्तर उत्तरवर्ती वर्षा से सदैव कम होता है जिसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है।
  3. गन्दी बस्तियों के निवासियों के बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित क्यों रह जाते हैं ?
    उत्तर- इन बस्तियों की अधिकांश जनसंख्या नगरीय अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में कम वेतन और अधिक जोखिम भरा कार्य करती है। परिणामस्वरूप ये लोग अल्पपोषित होते है और इनमे विभिन्न रोगों और बिमारियों की आशंका बनी रहती है। ये लोग अपने बच्चों के लिए उचित शिक्षा का खर्च भी वहन नहीं कर पाते। इसलिए यहां बच्चे भी स्कूली शिक्षा में न होकर असंगठित क्षेत्र में काम करते है। गरीबी उन्हे नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुंडागर्दी, पलायन, उदासीनता और अंततः सामाजिक बहिष्कार के प्रति उन्मुख करती है।उ
  4. भूनिम्नीकरण मुख्यतः अनियंत्रित मानवीय क्रियाओं का परिणाम है , व्याख्या करें।
    उत्तर- भू-निम्नीकरण जो सभी अनियंत्रित मानवीय क्रियाओं के कारण होता है मुख्यतः मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता का परिणाम है। कुछ निम्नकोटि भूमियां जैसे स्थानांतरित कृषि जनित क्षेत्र, रोपण कृषि जनित क्षेत्र, क्षरित वन, क्षरित चारागाह तथा खनन व औद्योगिक व्यर्थ क्षेत्र है जो मानवीय प्रक्रियाओं से कृषि के अयोग्य हुई है। भारत में कृषि रहित बंजर भूमि का उनकी प्रक्रियाओं के आधार पर वर्गीकरण के आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि प्राकृतिक प्रक्रियाओं की अपेक्षा मानवीय प्रक्रियाओं द्वारा अधिक व्यर्थ भूमि का विस्तार हुआ है।
  5. रद्दी बीनने वाले बच्चे समाज की किन विसंगतियों की ओर इशारा करते हैं ? इन विसंगतियों का उन पर क्या असर होता है ?
    उत्तर- हम समाज तथा पर्यावरण के प्रति इतने असंवेदनशील हैं कि हम अपना कूड़ा/कचरा गलियों में फेंक देते है। रद्दी बीनने वाले बच्चे कचरें में जंग लगी पिने, प्लास्टिक के डिब्बे, पॉलीथिन की थैलियां, रद्दी कागज, फ्लापियां इत्यादी ढूंढते है जिनका मूल्य बहुत कम होता है। लेकिन इस प्रक्रिया में वे बच्चे ऐसी बिमारियां से जकड़ जाते है जिनका उन्हें बहुत मूल्य चुकाना पड़ता है जैसे टाइफाइड (मियादी बुखार गलघोटूं (डिप्थीरिया) दस्त एवं हैजा (कॉलरा) आदि।