लोकतंत्र की चुनौतियाँ (PT only) - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पुनरावृति Notes
पाठ – 8
लोकतंत्र की चुनौतियाँ


लोकतंत्र के सामने चुनौतियां
चुनौती शब्द का अर्थ:-
चुनौती उन मुश्किलों को कहते हैं जिन पर विजय पाना कठिन  होता है परन्तु प्रयास करके उन पर विजय पाने के लिये कोशिश होती है। ताकि आगे का मार्ग साफ बना रहे । हम आमतौर पर उन्हीं मुश्किलों को चुनौती कहते है जो महत्वपूर्ण तो हैं, लेकिन जिन पर जीत भी हासिल की जा सकती है।

चुनौतियाँ:- दुनिया के एक चैथाई हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन इलाकों में लोकतंत्र के लिए बहुत ही मुश्किल चुनौतियाँ है। इन देशों में लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है।

  • अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है।
  • लोकतंत्र को मजबूत करना - हमें लोकतन्त्र मे सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं और बरतावों को मजबूत करना होगा।यह काम इस तरह से होना चाहिए कि लोग लोकतंत्र से जुडी अपनी उमीदों को पूरा कर सकें।
  • चुनावों में अधिक खर्चा होना। चुनाव में खड़ा होना सिर्फ अमीरों का काम ही है कयोकि चुनाव मे आमव्यक्ति अधिकखर्चा नहीं कर सकने के कारण चुनाव में खड़ा नहीं हो सकता। इसका खर्चा कम करना चाहिए और यह खर्चा सरकार को उठाना चाहिए।

लोकतंत्र में राजनीतिक सुधार:-

अर्थ:- लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में दिेए गये सभी सुझाव या प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार या राजनीतिक सुधार कहे जाते हैं।

  • कानून बनाकर राजनीति को सुधारना।
  • सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे।
  • कानूनी बदलाव करते समय इस बात पर भी विचार करना होगा कि राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कई बार प्रभाव एकदम उलटे निकलते हैं, जैसे कई राज्यों ने दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लडने पर रोक लगा दी है ।इसके कारण गरीब लोग और महिलाएँ चुनाव लडने के लोकतांत्रिक अवसर से वंचित हुए हैं।
  • सबसे बढ़िया कानून है वह कानून है जो लोगों के लोकतांत्रिक,अधिकारो मे सुधार करने की ताकत देते हैं।
  • सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोगों को लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है।
  • लोकतांत्रिक सुधार राजनीतिक दल ही करते है। इसलिए राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्यत: लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
  • राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन लागू करेगा और क्यों लागू करेगा।

प्रश्न:-
1.
 उन दो लोकतांत्रिक देशों के नाम बताओ। जिन्हें विस्तार की चुनौती का सामना करना पड़ा है?
2. राजनीतिक सुधार क्या हैं?
3. सूचना के अधिकार का महत्व बताओ।
4. चुनौती शब्द का क्या अर्थ है।
5. लोकतंत्र में राजनीतिक सुधार किस प्रकार किए जा सकते हैं?
6. लोकतंत्र की व्यापक चुनौतियों की चर्चा करें।

उतर:

1.​​​​​​श्रीलका, थाइलैंड

2.लोकतंत्र की चुनौतियों को मुख्य तीन भागों में बांटा जाता है 1. बुनियादी चुनौती 2. विस्तार संबंधित चुनौती 3.लोकतंत्र को गहरा और मजबूत करने की चुनौती।इन चुनौतियों को सुधारने के बारे में सभी सुझाव 'लोकतांत्रिक सुधार' या 'राजनीतिक सुधार' कहे जाते हैं।

3. सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोगों को लोकतंत्र में सक्रिय बनाने के लिए बनाया गया है।

4. चुनौती उन मुश्किलों को कहते हैं जिन पर विजय पाना कठिन होता है परंतु फिर भी प्रयत्न करके उन पर विजय पाने की कोशिश की जाती है ताकि आगे का मार्ग साफ बना रहे।

5. लोकतंत्र में राजनीतिक सुधार निम्नलिखित तरीकों से किये जा सकते हैं:-

1.बुनियादी चुनौती:- लोकतंत्र या विश्व के कुछ लोकतांत्रिक देशों जैसे सुडान,सोमालिया, क्यूबा आदि के सामने एक बड़ी प्रमुख समस्या है कि विश्व के एक चौथाई देशों में जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है वहां लोकतंत्र के लिए बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है।

  • कैसे वहां गैर लोकतांत्रिक सरकार या सैनिक सरकार को गिराया जाए ।
  • इसके स्थान पर वहां एक कारगर और संप्रभु शासन व्यवस्था को स्थापित किया जाए इसके लिए गहराई से सोचने और उचित प्रेत करने की चुनौती है
  • सेना को सरकार पर नियंत्रण करने से रोका जाए ।

2. विस्तार की चुनौती कुछ देशों जैसे श्रीलंका थाइलैंड मेहमान आदि में लोकतंत्र स्थापित है परन्तु इनके सामने विस्तार की चुनौती है--

  • बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कैसे सभी इलाकों से भी सामाजिक समूहो सभी प्रशासनिक इकाइयों तक पहुंचाया जाए ।
  • महिला वर्ग, अल्पसंख्यक और  उपेक्षित वर्ग इस भागीदारी से वंचित न रह जाए इसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ।
  • संघ की सभी इकाइयों के साथ निष्पक्षता और न्याय का व्यवहार हो।

3. लोकतंत्र को गहरा और मजबूत करने की चुनौती:- सभी लोकतांत्रिक देशों के सामने यह चुनौती है कि कैसे लोकतांत्रिक संस्थाओं और धाराओं को मजबूत बनाया जाए --

  • लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाभ ऊपर से नीचे तक के वर्गों को पहुंच पाए ।
  • प्रजातंत्र संस्थाओं की कार्यविधि को सुधारा जाए और मजबूत किया जाए ।
  • सभी लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि की जाए और प्रभावशाली वर्ग का प्रभुत्व कम किया जाए।

6. लोकतंत्र के व्यापक चुनौतियां हैं सांप्रदायिकता,जातिवाद, अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी तथा भाषावाद।

1. सांप्रदायिकता तथा उसे दूर करने के उपाय: अपने धर्म को ऊंचा समझना था था दूसरे धर्मों को नीचा समझना बल्कि अपने धर्म को प्यार करने और दूसरे धर्मों से घृणा करने की प्रवृत्ति को सांप्रदायिकता कहा जाता है।ऐसी भावना आपसी झगड़ों का मुख्य कारण बन जाते हैं और इस प्रकार प्रजातंत्र के मार्ग में एक बड़ी बाधा उपस्थित करती है।यह बुराई निम्नलिखित विधियों से दूर की जा सकती है :-

१. शिक्षा द्वारा- शिक्षा के पाठ्यक्रमों में सभी धर्मों की अच्छाईया बताई जाए और विद्यार्थियों को सहिष्णुता एवं सभी धर्मों के प्रति आदर भाव सिखाया जाए।

२. प्रचार द्वारा- समाचार पत्र रेडियो टेलीविजन आदि से जनता को धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा दी जाए ।

2. जातिवाद दूसरी चुनौती भेजो या जाती बात की है ये बुराई निम्नलिखित विधियों द्वारा समाप्त की जा सकती है -

१.शिक्षा द्वारा--विद्यार्थियों तथा समाज के सभी वर्गों को जाती बात के विरोध शिक्षित किया जाए और उन्हें बताया जाए कि जातिवाद उनकी प्रगति में कैसे बाधक है और इसको क्यों और कैसे समाप्त किया जाना चाहिए ।

२. सरकार द्वारा- सरकार जाति बात की कानून बना कर इसको समाप्त करने में सहायता कर सकती है ।

3. शिक्षा शिक्षा या निरक्षरता ही तमाम सामाजिक तथा आर्थिक बुराइयों की जड है जैसा कि ऊपर के प्रश्न में बताया गया है कि दोनों सरकारी तथा समाज से इस इंसान इज मुखबरी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए अनेक कदम उठाए हैं ।प्राथमिक शिक्षा को निशुल्क और अनिवार्य घोषित कर दिया गया है वेस्ट शिक्षा द्वारा उनपर लोगों को शिक्षा देने की के विस्तृत प्रोग्राम बनाए गए हैं । स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें कई तरह के वजिफे तथा रियायतें देने की व्यवस्था की गई है ।

4. निर्धनता-- गरीबी देश के आर्थिक विकास और उद्योगीकरण खेतों के साधनों में सुधार करके शिक्षा प्रचार करके तथा परिवार नियोजन को परेशान देखकर दूर की जा सकती है ।

5. बेरोजगारी --बेरोजगारी एक बहुत बड़ी विकट समस्या है। इसे उद्योगों का विकास कर के, युवकों को व्यवसायिक शिक्षा देकर, देश के प्राकृतिक साधनों पूरा पूरा लाभ उठाकर तथा बढ़ती हुई आबादी पर रोक लगा कर दूर किया जा सकता है।

6. भाषावाद-- भाषावाद की समस्या भी कई बार बड़ा विकात रुप ले लेती है और राष्ट्रीय भावनाओं के पनपने में एक बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो जाती है। ऐसी समस्या एक दूसरे को अच्छी तरह समझने,प्रचार द्वारा राष्ट्रीय भावनाओं को जागृत करने, आपसी मेल तथा जन साधारण में शिक्षा का अधिक प्रचार करके दूर हो सकती है।