वन एवं वन्य जीव संसाधन (PT only) - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

पुनरावृति नोट्स
पाठ -2
वन एवं वन्य जीव संसाधन


भारत में वनों का वितरण बड़ा सामान है।इसमें कई राज्यों में इनका वितरण बड़ा घना और कई में बड़ा विरल है।हरियाणा में कुल क्षेत्र में केवल 3.8% भूभाग पर ही वन है। वहीं अंडमान और निकोबार जैसे ऐसे प्रदेश हैं जिनका लगभग 86.9% भूभाग वनों से ढंका पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार जब कि अरुणाचल प्रदेश मणिपुर मिजोरम करानेवाला निकोबार दीप समूहों में 60% से अधिक भू भाग पर बन है परन्तु हरियाणा पंजाब राजस्थान गुजरात जम्मू कश्मीर और दिल्ली आदि राज्यों के 10% से भी कम भू भाग पर वन है। वैसे देश के अधिकतर भागों में वनों के अधीन क्षेत्र कम ही हैं राष्ट्रीय वन नीति के अधीन 33% भू भाग पर बन होने चाहिए।

राष्ट्रीय उद्यान :-- राष्ट्रीय उद्यान ऐसे लक्षित क्षेत्रों को कहते हैं जहां बने प्राणियों से प्राकृतिक वनस्पति और प्राकृतिक सुंदरता को एक साथ सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे स्थानों की सुरक्षा और प्रबंध की ओर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है इनमें बहुत कम मानव हस्तक्षेप होता है।सिवाय इसके कि अधिकारी वर्ग आ जा सकते हैं और अपने काम की देखभाल कर सकें। सैलानियों को भी एक नियमित बोलकर नियंत्रित संख्या में जाने दिया जाता है।भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है और चीता भारत का राष्ट्रीय पशु है।

जैव विविधता:--वन और वन्य जीवन और कृषि फसलों में जो इतनी विविधता पाई जाती है उसे जेैव विविधता कहते हैं।

भारत में जैव विविधता को कम करने वाले कई कारक हैं उनमें से मुख्य इस प्रकार हैं:--

१. जंगली जानवर को मानना और अाखेट

२. वन्य जीवों के आवास का विनाश

३. पर्यावरणीय प्रदूषण

૪. विशाक्तिकरण

५. जंगलों के दावानल का प्रकोप

भारतीय जीव जंतुओं का संरक्षण:--

अपनी प्राकृतिक संपदा पर हर देश को गर्व है और यही अवस्था भारत की भी है। इस संपदा का संरक्षण करना बड़ा आवश्यक है।

१. सर्वप्रथम, हमारी प्राकृतिक संपदा विशेषकर विभिन्न जोजन तो प्रकृति के सौंदर्य को चार चांद लगा देते हैं और धरती को स्वर्ग का रूप दे देते हैं।

२. विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी इतनी मधुर वाने निकालते हैं कि बहुत से कभी और चित्रकार मुक्त हो कर रह जाते हैं और कमाल की रचनाओं का सृजन कर डालते हैं।

३. भारत की प्राकृतिक संपदा और वन्य प्राणियों को देखने के लिए हर वर्ष एक दर्शक गण भारत आते रहते हैं इस प्रकार न जाने में भारत को बहुत से विदेशी मुद्रा प्राप्त हो जाती है।

૪. विभिन्न प्रकार के जीव जंतु पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में बड़े सहायक सिद्ध होते हैं।

५. यदि प्राकृतिक संपदा विशेषकर विभिन्न जीव जंतुओं के संरक्षण की अवहेलना कर दी गई तो हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत से पशु और पक्षियों की प्रजातियां भी लुप्त हो जाएगी और वे बेचारे उनके दर्शन से वंचित रह जाएंगे।

६. यदि विभिन्न जीव जंतुओं के संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा तो गैंडा, बाघ,कस्तूरी हिरण तथा सोहन चिड़िया जैसे अमूल्य जीव शिकारियों की बंदूक का निशाना बन कर रह जाएंगे।

इन विवरणों से स्पष्ट हो जाता है कि वन्य प्राणियों का कंडक्शन आती है आवश्यक हो जाता है ।

याद रखने योग्य बाते :-
1. मानव और दूसरे जीवधरी एक जटिल परिस्थितिकी तंत्रा का निर्माण करते है।
2. वन परिस्थितिकी तंत्रा में महत्वपूणर्प भूमिका निभाते है।
3. भारत में विश्व की सारी जैव उपजातियों की 8 प्रतिशत संख्या (लगभग 18 लाख) पाई जाती है ।
4. भारत में 10 प्रतिशत वन्य वनस्पति जात और 20 प्रतिशत स्तनधरियों को लुप्त होने का खतरा है ।
5. भारत में 1951 और 1980 के बीच लगभग 26,200 वर्ग किमी. वन क्षेत्रा कृषि भूमि में परिवर्तित
किया गया।
6. 1952 से नदी घाटी परियोजनाओं के कारण 5000 वर्ग कि.मी. से अध्कि वन क्षेत्रों को साफ करना पड़ा तथा यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।
7. पश्चिमी बंगाल में बक्सा टाईगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है।
8. हिमालयन यव एक प्रकार का औषधीय पौध है जो कैंसर रोग के उपचार के लिए उपयोगी है ।
9. भारतीय वन्यजीवन (रक्षण) अधिनियम 1972 में लागू किया गया।
10. प्रोजेक्ट टाइगर परियोजना 1973 में शुरू की गयी थी।