जन-संघर्ष और आंदोलन (PT only) - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

 CBSE Class 10 राजनीति विज्ञान

पाठ - 5
जनसंघर्ष और आंदोलन


  1. नेपाल के जन आंदोलन में किस प्रकार के मूल्यों का योगदान रहा?
    उत्तर- नेपाल के जन आंदोलन में निम्न मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है:-
    1. राजतंत्र के तानाशाही कार्यो के प्रति जनता में रोष
    2. लोकतांत्रिक आकांक्षाएं।
    3. इनकी पूर्ति हेतु जनभागीदारी युक्त आन्दोलन।
  2. प्रजातंत्र के संचालन में दबाव समूहों के क्रियाकलाप किन तीन प्रकार से सहायक हैं?
    उत्तर-
    1. राजनैतिक दल जनता के प्रति जवाब देय है। दबाव समूह उन्हें यह याद दिलाते रहते हैं।
    2. सरकार जनता के हितों की अनदेखी नहीं कर सकती। दबाव समूह उन पर दबाव डालते रहते हैं।
    3. दबाव समूह निष्ठा पूर्वक कार्य करते हैं। उन पर चुनावी राजनीति का दबाव नहीं होता।
  3. लोकतंत्र की जीवन्तता से जनसंघर्ष का अन्दरूनी संबंध है’ इस कथन पर अपने विचार दीजिए।
    उत्तर- लोकतंत्र जनता के हित में कार्य करने वाली शासन प्रणाली है। समाज कई समूहों, वर्गों और उनकी आकांक्षाओं के जोड़ से बनता है। कई बार जनता के द्वारा चुनी गई सरकारें समाज के व्यापक हित में या वर्गों या समूहों के हितों में सामंजस्य नहीं बना पाती और उपेक्षा दिखाती हैं। चूंकि लोकतंत्र में जनता को अपनी बात कहने, विरोध प्रकट करने, आन्दोलन करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त होता है। अतः जनसंघर्ष और आन्दोलनों के द्वारा सरकार को व्यापक हित में कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है। उदाहरण के लिए बोलिविया में जल के निजीकरण के खिलाफ हुए संघर्ष ने सरकार को अपना निर्णय वापस लेने पर मज़बूर कर दिया। इस प्रकार जनसंघर्ष लोकतंत्र को परिपक्व करते हैं।
  4. कुछ समकालीन आन्दोलनों के उदाहरणों द्वारा समझाएँ कि इनमें उठाए गए मुद्धे किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं?
    उत्तर- समकालीन समय में ऐसे कई आन्दोलन हुए हैं जो हमारे जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण आयामों जैसे पर्यावरण सुरक्षा, जीविका संकट, भ्रष्टाचार आदि से संबंधित रहे हैं। उनमें से कई आन्दोलन सफल भी हुए हैं और जनता में जागरूकता और भागीदारी के स्तर में इजाफा किया है। उदाहरण के लिए चिपको आन्दोलन ने पर्यावरण के संवर्द्धन के महत्व को उजागर किया तो नर्मदा बचाओं आन्दोलन ने बड़े बांधों के दुष्परिणामों, विस्थापन आदि मुद्धों को उठाया। इसी कड़ी में अन्ना हज़ारे द्वारा छेड़ा गया भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन भी है जिसने लोकपाल की माँग को प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना दिया जिस पर अभी तक की सरकारें उदासीन रही हैं।
  5. जनहित समूहों की गतिविधियाँ जनता के हितों की पहरेदार के समान होती हैं।’ इस कथन को स्पष्ट करो।
    उत्तर- ऐसे समूह जो किसी वर्ग विशेष के बजाय सामूहिक हित को बढ़ावा देना चाहते हैं, उन्हें जनहित समूह कहते हैं। इनकी गतिविधियाँ कई प्रकार से जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों और व्यापक हितों की पहरेदारी करती हैं
    1. यह ऐसे समूहों या लोगों के अधिकारों के बारे में सरकार पर दबाव बनाती हैं जिन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं होता या गरीबी और भेदभाव के  शिकार होते हैं जैसे- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों या बंधुआ मजदूरों की भलाई के लिए कार्य करने वाले समूह।
    2. इनका उद्देश्य किसी खास हित के बजाय व्यापक सामूहिक हितों को बढ़ावा देकर लोक कल्याणकारी समूह के रूप में कार्य करना होता है। जैसे पर्यावरण संरक्षण।
    3. इनके पीछे जनता के बड़े हिस्से का समर्थन होता है अतः सरकार इनकी बातों को गम्भीरता से सुनती है।
  6. लोकप्रिय संघर्ष लोकतंत्र को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाते है?
    उत्तर- लोकप्रिय संघर्ष जहाँ लोकतंत्र की स्थापना करने में अपनी भूमिका निभाते हैं वही लोकतांत्रिक सरकारों को जनता के हित में लगातार कार्य करते रहने के लिए मजबूर भी करते हैं। उदाहरण के लिए औपनिवेशिक तानाशाही सरकारों के खिलाफ उपनिवेशों में चले संघर्षों के बाद उन्हें आज़ादी मिली और लोकतांत्रिक देशों का गठन किया गया। उदाहरण के लिए - भारत, दक्षिण अफ्रीका आदि। कई बार जनता द्वारा चुनी गई सरकारें भी अलोकतांत्रिक फैसले लेने लगती हैं तथा व्यापक जनहित के मुद्धों की अपेक्षा करके किसी एक समूह या वर्ग के हिसाब से कार्य करने लगती हैं। लोकप्रिय संघर्षों के माध्यम से ऐसी सरकारों को ठीक रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बोलिविया सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में आकर जल के निजिकरण का अलोकतांत्रिक फैसला लिया। जनता पर महंगाई का बड़ा बोझ पड़ने लगा। फेडेकोर नामक संगठन के नेतृत्व में वहाँ बड़ा आन्दोलन चलाया गया और सरकार को फैसला वापस लेने पर मजबूर किया गया। यह एक तरह से लोकतांत्रिक सरकार को लोकतांत्रिक मार्ग पर लाने जैसा कार्य था।