अक्क महादेवी (Not for Exams) - पुनरावृति नोट्स

 कक्षा 11 हिंदी कोर

पुनरावृति नोट्स
पाठ - 08  अक्क महादेवी की कविता


पाठ का सारांश  - यहाँ इनके दो वचन पाठ्यक्रम में लिए है | दोनों वचनों का अंग्रेजी से अनुवाद केदारनाथ सिंह ने किया है |

प्रथम वचन में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है | यह उपदेशात्मक न होकर प्रेम-भरा मनुहार है | वे चाहती है कि मनुष्य को अपनी भूख, प्यास, नींद आदि वृत्तियों व क्रोध, मोह, लोभ, ईर्ष्या आदि भावों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए | वह लोगो को समझाती है कि इंद्रियों को वश में करने से ही शिव की प्राप्ति संभव है |

दूसरा वचन एक भक्त का ईश्वर के प्रति समर्पण है | चन्न्मल्लिकार्जुन की अनन्य भक्त अक्क महादेवी उनकी अनुकंपा के लिए हर भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली चाहती है | वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती है जिससे उनका स्व या अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो जाए |

वह ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती है, वह कामना करती है कि ईश्वर उससे ऐसे काम करवाए जिनसे उसका अहंकार समाप्त हो जाए | वह उससे भीख मँगवाए, भले ही उसे भीख न  मिले | वह उससे घर की मोह-माया छुडवा दे | जब कोई उसे कुछ देना चाहे तो वह गिर जाए और उसे कोई कुत्ता छिनकर ले जाए | कवयित्री का एकमात्र लक्ष्य अपने परमात्मा की प्राप्ति है |