अंतरा - श्रीकांत वर्मा (Not for Exams) - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 11 हिंदी (ऐच्छिक)

अंतरा काव्य खण्ड
पाठ-9 श्रीकान्त वर्मा (हस्तक्षेप)
पुनरावृत्ति नोट्स


कवि परिचय-

  • श्रीकांत वर्मा का जन्म 18 दिसम्बर 1931 को बिलासपुर मध्य प्रदेश में हुआ।

पुरस्कार-

  • इन्हें तुलसी पुरस्कार, आचार्य नंद दुलारे वाजपेयी पुरस्कार, शिखर सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार प्राप्त हुए।

रचनाएं-

  • जलसाघर, मगध, भटका मेघ, माया-दर्पण, झाड़ी संवाद, घर, दूसरे के पैर, जिरह, अपोलो का रथ, फैसले का दिन, बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में मुख्य रचनाएँ हैं।

काव्यगत विशेषताएँ-

  1. श्रीकांत वर्मा जी को कम शब्दों में अधिक कहने में महारथ हासिल है।
  2. उन्होंने आधुनिक जीवन के यथाथ का नाटकीय चित्र प्रस्तुत किया है।
  3. भाषा आम बोलचाल की सरल व सरस है।
  4. तत्सम तद्भव शब्दों का प्रयोग किया है।

मूलभाव-

  • कवि ने हस्तक्षेप कविता में आम व्यक्ति को गलत निर्णयों के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया है। कवि आम जनता का आह्वान करते हुए कहते है। कि सत्ता के गलत निर्णयों के विरूद्ध विद्रोह करते हुए डरना नहीं चाहिए। व्यवस्था को जनतांत्रिक बनाने के लिए समय-समय पर उसमें हस्तक्षेप की जरूरत होती है वरना व्यवस्था निरंकुश हो जाती है। इस कविता में ऐसे ही तंत्र का वर्णन है जहाँ किसी भी प्रकार के विरोध के लिए गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है। किन्तु कवि बताता है कि हस्तक्षेप तो मुर्दा भी कर जाता है। फिर जिंदा लोग चुप बैठे रह जायेगे यह कैसे सम्भव हैं।

व्याख्या बिंदु-

  • यह है कि कवि ने मगध की सत्ता की निरकुशता एवं क्रूरता का वर्णन करते हुए दर्शाया है कि वहाँ ऐसा आतंकपूर्ण वातावरण हो गया है कि लोग भयवश किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए है। कवि सत्ताधारी वर्ग पर अप्रत्यक्ष रुप से व्यंग्य करते हुए कहता है कि मगध के लोग यह सोचते हैं कि मगध में शांति रहनी ही चाहिए। शांति भंग होने के डर से कोई छींक तक नहीं मार रहा है। मगध के अस्तित्व के लिए शांति का होना अत्यंत आवश्यक है।
  • निरंकुश शासन व्यवस्था में लोगों पर कितना ही अत्याचार क्यों न हो जाए कोई चीख पुकार नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा करना शासन के विरूद्ध समझा जायेगा। शासन व्यवस्था में व्यवधान हो जायेगा। मगध सिर्फ नाम का मगध है रहने के लिए मगध नहीं है। मगध के शासन तंत्र की अनुचित बातों पर कोई हस्तक्षेप नहीं करता कि ऐसा करने से वहाँ सत्ता का विरोध करने की पंरपरा आरंभ हो जायेगी।
  • कवि कहता है तुम विरोध से कितना ही बचो परंतु तुम उसके स्पष्ट विरोध से बच नही पाओगे। जब कोई विरोध नहीं करता तो शहर के बीच से गुजरता मुर्दा यह प्रश्न करता है कि मनुष्य क्यों मरता है अर्थात् अत्याचार बढ़ने पर दबा-कुचला वर्ग भी निरंकुश सत्ता पर उगली उठा सकता है।