त्रिलोचन (Not for Exams) - पुनरावृति नोट्स

 कक्षा 11 हिंदी कोर

पुनरावृति नोट्स
पाठ - 06 चंपा काले-काले अच्छर नही चीन्हती


पाठ का सारांश - चंपा काले-काले अच्छर नही चीन्हती’ कविता धरती संग्रह में संकलित है | यह पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है | इसमें ‘अक्षरों’ के लिए ‘काले-काले’ विशेषण का प्रयोग किया गया है जो एक और शिक्षा-व्यवस्था के अंतविरोधो को उजागर करता है तो दूसरी और उस दारुण यथार्थ से भी हमारा परिचय करता है जहाँ आर्थिक मजबूरियों के चलते घर टूटते है | काव्य नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा है | वह कहती है ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’| कलकत्ते पर वज्र गिरने की कामना, जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवन को प्रकट करती है |

काव्य की नायिका चंपा अक्षरों को नही पहचानती जब वह पढता है तो चुपचाप पास खड़ी होकर आश्चर्य से सुनती है वह सुंदर ग्वाले की एक लड़की है तथा गाय-भैसें चराने का काम करती है | वह अच्छी व चंचल है | कभी वह कवि की कलम चुरा लेती है तो कभी कागज | इससे कवि परेशान हो जाता है चंपा कहती है कि दिन भर कागज लिखते रहते हो | क्या यह काम अच्छा है? कवि हँस देता है |

एक दिन कवि ने चंपा से पढ़ने-लिखने के लिए कहा | उन्होंने इसे गाँधी बाबा की इच्छा बताई | चंपा ने कहा कि वह नही पढेगी | गाँधी जी को बहुत अच्छे बताते हो, फिर वे पढाई की बात कैसे कहेंगे? कवि ने कहा कि अच्छा है | शादी के बाद तुम ससुराल जाओगी | तुम्हारा पति कलकत्ता काम के लिए जाएगा | अगर तुम नही पढ़ी तो उसके पत्र कैसे पढ़ोगी या अपना संदेशा कैसे दोगी? इस पर चंपा ने कहा कि तुम पढ़े-लिखे झूठे हो | वह शादी नही करेगी | यदि शादी करेगी तो अपने पति को कभी कलकत्ता नही जाने देगी | कलकत्ता पर भारी विपत्ति आ जाए, ऐसी कामना वह करती है |