अक्क महादेवी (Not for Exams) - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

 CBSE Class 11 Hindi Core A

NCERT Solutions
Chapter 08 Poem
Akka Mahadevi


1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर:-
 इन्द्रियों का काम है-अपने को तृप्त करना ।इन्द्रियों की तृप्ति के फेर में मानव जीवन-भर भटकता रहता है। इन्द्रियाँ मानव को विषय-वासनाओं के जाल में उलझाकर लक्ष्य-पथ से भटकाती रहती हैं । ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में तो इन्द्रियाँ सबसे बड़ी बाधक होती है; साथ ही  ये  साधक को संसार की मोह-माया में उलझाकर रखती है और ईश्वर भक्ति के मार्ग की ओर बढ़ने नहीं देतीं । यह कथन बिल्कुल सत्य है कि  लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती है पर यदि व्यक्ति में प्रबल कामना और दृढ विश्वास हो तो  वह घर में  रहकर   भी  अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण कर सकता  है और लक्ष्य -पथ  पर अग्रसर हो सकता है । 

2 . ओ चराचर! मत चूक अवसर - इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- इन पक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने समस्त संसार को ईश्वर भक्ति से न चूकने की प्रेरणा दी है। भारतीय दर्शन के अनुसार मानव-जन्म बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है। भक्ति द्वारा जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है इसलिए कवयित्री इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कहती हैं। कवयित्री के अनुसार हम सभी को इस जीवन का लाभ उठाते हुए शिव-भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर देना चाहिए। जीव यदि इन्द्रियों के वश में  रहेगा तो वह सांसारिक मोह माया में उलझा रहेगा और इस कारण ईश्वर प्राप्ति से चूक जाएगा अत: समय रहते हमें इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाना चाहिए। सारांश में इस पंक्ति में कवयित्री ने हमें  भगवान शिव का यह संदेश दिया है कि  मानव को लोभ, मोह , ईर्ष्या आदि को  त्यागकर ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयास करना  चाहिए ।

3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
उत्तर:-
 ईश्वर के लिए जूही के फूल का दृष्टांत दिया गया है। ईश्वर और जूही के फूल का साम्य का आधार उसकी सुंदरता, कोमलता  एवं  महक है।
जूही के फूल बहुत छोटे, सुकुमार और मधुर सुगंध वाले होते हैं; उसी प्रकार ईश्वर में भी जूही के फूल की तरह सारे गुण विद्यमान होते हैं । ईश्वर भी अत्यंत सूक्ष्म, कोमल और मधुर गुण वाले होते हैं। जूही के फूल की तरह ईश्वर की सुगंध भी चारों ओर फैली है।

4. 'अपना घर' से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:-
 'अपना घर' से यहाँ तात्पर्य व्यक्तिगत मोह-माया में लिप्त जीवन से है। व्यक्ति इस घर के आकर्षण-जाल में उलझकर ईश्वर प्राप्ति के लक्ष्य में पीछे रह जाता है। कवयित्री ऐसे मोह-माया में लिपटे जीवन को छोड़ने की बात करती है क्योंकि यदि ईश्वर को पाना है तो व्यक्ति को इस जीवन का त्याग करना होगा। ईश्वर भक्ति में सबसे बड़ी बाधा यही होती है। अपने घर को छोड़कर ही ईश्वर के घर में कदम रखा जा सकता है और उसकी उपासना करके उसे पाया जा सकता है ।

5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
उत्तर:-
 दूसरे वचन में ईश्वर के सम्मुख संपूर्ण समर्पण का भाव है। इस वचन में ईश्वर से  अपना सब कुछ छीन लेने की बात की गई है। कवयित्री चाहती है कि वह सांसारिक वस्तुओं से पूरी तरह खाली हो जाए; उसे खाने के लिए भीख तक न मिले। ऐसी परिस्थिति आने पर उसका अहंकार  भाव नष्ट हो जाएगा ; उसे वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा और वह प्रभु भक्ति में समर्पित हो जाएगी


6. क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता हैचर्चा करें।
उत्तर:-
 वस्तुतः देखा जाए तो दो व्यक्तियों की तुलना करना आसान कार्य नहीं है परंतु फिर भी अक्क महादेवी और मीरा के जीवन को देखें तो दोनों के जीवन में हमें काफ़ी साम्य नज़र आता है। मीरा और अक्क महदेवी दोनों ने ही ईश्वर को अपना आराध्य माना था। दोनों ने ही वैवाहिक जीवन को तोड़ा था। दोनों ने ही उस समय की प्रचलित सामाजिक मर्यादाओं को नहीं माना था। दोनों के वचनों और पदों के भाव आपस में मिलते-जुलते हैं। दोनों ही सांसारिकता को तजकर प्रभु भक्ति में लीन होना चाहती थी ।  दोनों में केवल अंतर यही है कि मीरा की भक्ति 'कृष्ण' के प्रति थी और अक्क महादेवी की ' भगवान शिव ' के प्रति लेकिन  दोनों में ही समर्पण का भाव होने के कारण हम यह कह सकते हैं कि अक्क महादेवी कन्नड़ की मीरा थीं ।