विष्णु खरे (Not for Exams) - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिंदी कोर आरोह

पाठ – 15
चार्ली चैप्लिन यानी हम सब


पाठ के सार - पाठ का सारांश- चार्ली चैप्लिन ने हास्य कलाकार के रूप में पूरी दुनिया के बहुत बड़े दर्शक वर्ग को हँसाया है। उनकी फिल्मों ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाने के साथ-साथ दशकों की वर्ग और वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा। चार्ली ने कला में बुद्धि की अपेक्षा भावना को महत्व दिया है। बचपन के संघर्षों ने चार्ली के भावी फिल्मों की भूमि तैयार कर दी थी। भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में करुणा का हास्य में परिवर्तन भारतीय परम्परा में नहीं मिलता लेकिन चार्ली एक ऐसा जादुई व्यक्तित्व है जो हर देश, संस्कृति और सभ्यता को अपना सा लगता हैं। भारतीय जनता ने भी उन्हें सहज भाव से स्वीकार किया है। स्वयं पर हँसना चार्ली ने ही सिखाया। भारतीय सिनेमा जगत के सुप्रसिद्ध कलाकार राजकपूर की चार्ली का भारतीयकरण कहा गया है। चार्ली की अधिकांश फ़िल्में मूक हैं इसलिए उन्हें अधिक मानवीय होना पड़ा। पाठ में हास्य फिल्मों के महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन’ की जादुई विशेषताओं का उल्लेख किया गया है जिसमें उसने करुणा और हास्य में सामंजस्य स्थापित कर फ़िल्मों को सार्वभौमिक रूप प्रदान किया।