विष्णु खरे (Not for Exams) - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 15
विष्णु खरे (चार्ली चैप्लिन यानी हम सब)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. चार्ली चैप्लिन की जिंदगी ने उन्हें कैसा बना दिया? ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- चार्ली एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। उन्होंने भयंकर गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना सिखा। साम्राज्यवाद, औद्योगीक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज का तिरस्कार उन्होंने सहन किया। इसी कारण मासूम चैप्लिन को जो जीवन-मूल्य मिले, वे करोड़पति हो जाने के बाद भी अंत तक उनमें रहे। इन परिस्थितियों ने चैप्लिन में भीड़ का वह बच्चा सदा जीवित रखा, जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है, जितना मैं हूँ और हँस देता है। यही वह कलाकार है, जिसने विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लिया।

2. चार्ली चैप्लिन ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को कैसे तोड़ा है?

उत्तर- चार्ली की फ़िल्में बच्चे-बूढ़े, जवान, वयस्कों सभी में समान रूप से लोकप्रिय हैं। यह चैप्लिन का चमत्कार ही है कि उनकी फ़िल्मों को पागलखाने के मरीज़ों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभावाले व्यक्ति तक एक स्तर पर कहीं अधिक सूक्ष्म रसास्वाद के साथ देख सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ग में लोकप्रिय इस कलाकार ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। कहीं-कहीं तो भौगोलिक सीमा, भाषा आदि के बंधनों को भी पार करने के कारण इन्हें सार्वभौमिक कलाकार कहा गया है।

3. चैप्लिन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन है?

अथवा

चार्ली के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- चैप्लिन के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन हैं-

(i) चार्ली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे।

(ii) वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे।

(iii) कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।

(iv) उनकी फ़िल्मों में हास्य कब करुणा के भाव में परिवर्तित हो जाता था, पता नहीं चलता था।

4. चार्ली चैप्लिन कौन था? उसके ‘भारतीयकरण’ से लेखक का क्या आशय है?

उत्तर- चार्ली चैप्लिन पश्चिम का महान कलाकार था जिसने हास्य मूक फ़िल्में बनाई। उसकी फ़िल्मों में हास्य करुणा में बदल जाता था। भारतीय रस सिद्धांत में इस तरह का परिवर्तन नहीं पाया जाता। यहाँ फ़िल्म अभिनेता स्वयं पर नहीं हँसता। राजकपूर ने ‘आवारा’ फिल्म को ‘दि ट्रैप’ के आधार पर बनाया। इसके बाद श्री 420 फिल्म व कई अन्य कलाकारों ने चार्ली का अनुकरण किया।

5. भारतीय जनता ने चार्ली के किस ‘फिनोमेनन’ को स्वीकार किया? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारतीय जनता ने चार्ली के उस फिनोमेनन को स्वीकार किया जिसमें नायक स्वयं पर हँसता है। यहाँ उसे इस प्रकार स्वीकार किया गया जैसे बतख पानी को स्वीकारती है। भारत में राजकपूर, जानी वाकर, अमिताभ बच्चन, शम्मी कपूर, देवानंद आदि कलाकारों ने ऐसे चरित्र किए। लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण राजकपूर को कहा। उनकी फ़िल्म ‘आवारा’ सिर्फ ‘दि ट्रैम्प’ का शब्दानुवाद ही नहीं थी, बल्कि चार्ली का भारतीयकरण ही थी।

6. पश्चिम में बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता है। - कैसे?

उत्तर- लेखक बताता है कि पश्चिम में चार्ली द्वारा निभाए गए चरित्रों की नकल बार-बार की जाती है। अनेक अभिनेता उसकी तरह नकल करके उसकी कला को नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार चार्ली नए रूप में जन्म लेता रहता है।

7. चार्ली के जीवन पर प्रभाव डालने वाली घटनाओं का उल्लेख कीजिए।

अथवा

बचपन की किन दो घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर गहरा एव स्थायी प्रभाव डाला ?

उत्तर- चार्ली के जीवन पर दो घटनाओं का प्रमुख प्रभाव पड़ा जो निम्नलिखित हैं-

(i) एक बार चार्ली बीमार हो गया। उस समय उसकी माँ ने बाइबिल से ईसा मसीह का जीवन पढ़कर सुनाया। ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रसंग पर माँ बेटे-दोनों रोने लगे। इस कथा से उसने करुणा, स्नेह व मानवता का पाठ पढ़ा।

(ii) दूसरी घटना चार्ली के घर के पास की है। पास के कसाईखाने से एक बार एक भेड़ किसी प्रकार जान बचाकर भाग निकली। उसको पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने वाले कई बार फ़िसलकर सड़क पर गिरे जिसे देखकर दर्शकों ने हँसी के ठहाके लगाए। इसके बाद भेड़ पकड़ी गई। चार्ली ने भेड़ के साथ होने वाले व्यवहार का अनुमान लगा लिया। उसका हृदय करुणा से भर गया। हास्य के बाद करुणा यही उसकी भावी फ़िल्मों का आधार बना।

8. ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर- हास्य फाइलों के महान अभिनेता व निर्देशक चार्ली चैप्लिन पर लिखे इस पाठ में उनकी कुछ विशेषताओं को लेखक ने बताया है। चार्ली की सबसे बड़ी विशेषता करुणा और हास्य के तत्वों का सामंजस्य है। भारत जैसे देश में सिद्धांत व रचना-दोनों स्तरों पर हास्य और करुणा के मेल की को परंपरा नहीं है, इसके बावजूद चार्लिन चैप्लिन की लोकप्रियता यह बताती है कि कला स्वतंत्र होती है, बँधती नहीं। दुनिया में एक-से-एक हास्य कलाकार हुए, पर वे चैप्लिन की तरह हर देश, हर उम्र और हर स्तर के दर्शकों की पसंद नहीं बन पाए।

9. चार्ली की फ़िल्मों की कौन-कौन-सी विशेषताएँ हैं?

उत्तर- लेखक ने चालीं की फ़िल्मों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं-

(i) इनमें भाषा का प्रयोग बहुत कम है।

(ii) इनमें मानवीय स्वरूप अधिक है।

(iii) चार्ली में सार्वभौमिकता है।

(iv) वह सदैव चिर युवा या बच्चे जैसा दिखता है।

(v) वह किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगता।

(vi) वह सबको अपना स्वरूप लगता है।