पृथ्वी की आंतरिक संरचना-Important Questions

                                                                   CBSE कक्षा 11 भूगोल

(भाग-क) पाठ-3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


  1. पृथ्वी की त्रिज्या कितनी है?
    उत्तर- पृथ्वी की त्रिज्या 6370 कि. मी. है।
  2. मानव द्वारा अब तक भूगर्भ में अधिकतम प्रवेधान कितना और कहाँ किया गया है?
    उत्तर- आर्कटिक महासागर में कोला क्षेत्र में 12 कि. मी. की गहराई तक।
  3. भूगर्भ के बारे में जानने के प्रमुख अप्रत्यक्ष स्रोत कौन-कौन से है?
    उत्तर- पृथ्वी के पदार्थो के गुण जैसे तापमान दबाव, घनत्व।
    1. उल्कायें
    2. गुरूत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकम्प।
  4. भूकम्पीय तरंगे उत्पन्न होने का प्रमुख कारण क्या है?
    उत्तर- भूगर्भ में दरारे बन जाती है जिन्हें भ्रंश भी कहते है उनसे ऊर्जा मुक्त होती है जिससे तरंगे निकलती है ये तंरगे सभी दिशाओं में फैलकर भूकम्प का कारण बनती है।
  5. भूकम्प का अवकेन्द्र किसे कहते है?
    उत्तर- भूगर्भ का वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है और अलग-अलग दिशाओं में जाती है उसे अवकेन्द्र या उद्गम केन्द्र भी कहते है।
  6. भूकम्पीय छाया क्षेत्र किसे कहते है?
  7. भूपटल का वह क्षेत्र, जहाँ कोई भी भूकम्पीय तरंग भूकम्पमापी पर अभिलेखित नही होती, उसे छाया क्षेत्र कहते है।
  8. भूकम्प तीव्रता को नापने के लिये किस स्केल का प्रयोग किया जाता है?
    उत्तर- रिक्टर स्केल का।
  9. भूपर्पटी की औसत मोटाई कितनी है?
    उत्तर- भूपर्पटी की औसत मोटाई महासागरों नीचे 5 कि.मी. एवं महाद्वीपो के नीचे लगभग 30 कि.मी. तक है। हिमालय के नीचे यह लगभग 70 कि.मी. है।
  10. एस्थेनोस्फीयर किसे कहते है?
    उत्तर- पृथ्वी के आन्तरिक भाग मेंटल का ऊपरी भाग एस्थेनोस्फीयर या दुबलता मंडल कहलाता है।
  11. पृथ्वी का क्रोड मुख्यतः किन पदार्थो से बना है?
    उत्तर- क्रोड मुख्यतः भारी पदार्थो जैसे निकल व लोहे से बना है।
  12. भारत का दस्कन ट्रैप किस तरह के ज्वालामुखी का उदाहरण है?
    उत्तर- बेसाल्ट लावा प्रवाह।
  13. मिश्रित ज्वालामुखी किसे कहते है?
    उत्तर- ये वे ज्वालामुखी है जिनसे तरल लावा के साथ जलते हुये पदार्थ एवं राख भी निकलती है।
  14. सीस्मोग्राफ किसे कहते है? इसका प्रयोग किसलिए किया जाता है?
    उत्तर- सीस्मोग्राफ एक यंत्र है जिसके माध्यम से भूकम्प की गति तथा भूकम्पीय तरंगे मापी जाती है।

आइये विस्तार से समझे
तीन अंको का प्रश्न

  1. भूगर्भ की जानकारी में तापमान एवं दबाव किस तरह सहायक है? स्पष्ट करे।
    उत्तर- पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दबाव में वृद्धि होती है साथ ही पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता है। वैज्ञानिको ने विभिन्न गहराइयों पर पदार्थो के तापमान में भिन्नता, दबाव एवं घनत्व के अन्तरों की गणना की तथा भूगर्भ के बारे में तथ्य हासिल किये।
  2. चित्र में उद्गम को दर्शाये व उनमें अन्तर स्पष्ट करे।
    उत्तर- (अ) उद्गम केन्द्र (ब) अधिकेन्द्र


    उद्गम केन्द्र:- वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती है।
    अधिकेन्द्र:- भूतल पर वह बिन्दु जो उद्गम केन्द्र के निकटतम होता है अधिकेन्द्र कहलाता है।
  3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना कितने परतों में बंटी है? प्रत्येक परत की विशेषतायें संक्षेप में समझाइयें।
    उत्तर- पृथ्वी के धरातल से क्रोड मुख्यतः तीन परते है:-
    1. भूपर्पटी (Crust)- यह पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। यह धरातल से 100 कि.मी. की गहराई तक पाया जाता है। इस परत की चट्टानो का घनत्व 3 ग्राम प्रति घन से. मी. है।
    2. मैटंल- भूपर्पटी से नीचे का भाग मैटंल कहलाता है। यह भाग भूपर्पटी के नीचे से आरम्भ होकर 2900 कि.मी. गहराई तक है। मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलता मंडल है इस मंडल की चट्टाने जेली की तरह की संरचना की है। यह भाग 400 कि.मी. तक है। भूपर्पटी एवं मैंटल का ऊपरी भाग मिलकर स्थल मंडल बना है। मेंटल का निचला भाग ठोस अवस्था में है इसका घनत्व लगभग 3.4 ग्राम प्रति घन से.मी. है।
    3. क्रोड- मेंटल के नीचे क्रोड है जिसे हम आन्तरिक व बाह्य क्रोड कहते है बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है आन्तरिक क्रोड ठोस है। इसका घनत्व 13 ग्राम प्रति घन से.मी. लगभग है। क्रोड निकिल व लोहे जैसे भारी पदार्थो से बना है।
  4. बैथोलिथ व लैकोलिथ में क्या भिन्नता है?
    उत्तर- बैथोलिथ भूपर्पटी में मैग्मा का गुबंदाकर ठंडा हुआ पिंड है ये कई कि.मी. की गहराई में विशाल क्षेत्र में फैले होते है।
    लैकोलिथ बहुत अधिक गहराई में पाये जाने वाले मैग्मा के विस्तृत गुबंदाकर पिंड है जिनका तल समतल होता है और एक नली (जिससे मैग्मा ऊपर आया) द्वारा के नीचे से जुड़े होते है। इस दोनो भू आकृतियो में मुख्य अंतर इनकी गहराई ही है।
  5. ज्वालामुखी द्वारा निर्मित निम्नलिखित आकृतियों को निर्माण प्रक्रिया बताइये?
    उत्तर-
    1. काल्डेरा- ज्वालामुखी जब बहुत अधिक विस्फोटक होते है तो वे ऊँचा ढाँचा बनाने के बजाय उभरे हुये भाग को विस्फोट से उड़ा देते है आरै वहाँ एक बहुत बड़ा गढ्ढा बन जाता है जिसे काल्डेरा (बड़ी कड़ाही) कहते है।
    2. सिंडर शंकु- जब ज्वालामुखी की प्रवृत्ति कम विस्फोटक होती है तो निकास नालिका से लावा फव्वारे की तरह निकलता है और निकास के पास एक शंकु के रूप में जमा होता जाता है जिसे सिडंर शंकु कहते है।
  6. ज्वालामुखी द्वारा निर्मित अन्तर्वेधी आकृतियों में से निम्नलिखित में से निम्नलिखित आकृतियों की विशेषताएं बताइये?
    उत्तर-
    1. सिल व शीट- भूगर्भ में लावा जब क्षैतिज तल में चादर के रूप ठंडा होता है और यह परत काफी मोटी होती है तो इसे सिल कहते है यह परत जब पतली होती है तो इसे शीट कहते है।
    2. डाइक- लावा का प्रवाह भूगर्भ में कभी-कभी किसी दरार में ही ठंडा होकर जम जाता है। यह दरार धरातल के समकोर्ण पर होती है। इस दीवार की भांति की संरचना को डाइक कहते है।
  7. पृथ्वी में कम्पनी क्यों होता है?
    उत्तर- भ्रंश के दोनों तरफ शैल विपरीत दिशा में गति करती है। जहां ऊपर के शैल खण्ड दबाव डालते है उनके आपस का घर्षण उन्हें परस्पर बांधे रखता है। फिर भी अलग होने की प्रवृत्ति के कारण एक समय पर घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है जिसके परिणाम स्वरूप शैलखण्ड विकृत होकर अचानक एक-दूसरे के विपरीत दिशा में सरक जाते है। इससे ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती है। इससे पृथ्वी में कम्पन हो जाता है।
    स्वयं कर के सीखिये:-
    इन तरंगो के बारे मे आप एक लम्बी स्प्रिंग की सहायता से सीख सकते है स्पिंग को खीच कर छोड़ दे। इस गति को पी तरंग कह सकते है स्प्रिंग को हल्का सा हिलाकर रखिये। लहर जैसी गति एस तरंग है।

विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न:-

  1. भूकम्पीय तरंगे कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक की विशेषतायें बताईये?
    उत्तर- भूकम्पीय तरंगे दो प्रकार की है
    1. भूगर्भिक तरंगे
    2. धरातलीय तरंगे
      भूगर्भिक तंरगे भूगर्भ में उद्गम केन्द्र से निकलती है और विभिन्न दिशाओं में जाती है। ये तरंगे धरातलीय शैलो से क्रिया करके धरातलीय तंरगो में बदल जाती है। भूगार्भिक तरंगे दो प्रकार की होती है।
    3. पी तंरगे (प्राथमिक तरंगे)- ये तरंगे गैस, तरल व ठोस तीनो प्रकार के पदार्थो से होकर गुजरती है ये त्रीव गति से चलने वाली तरंगे है जो धरातल पर सबसे पहले पहुँचती है।
    4. एस तंरगे (द्वितीयक तरंगे)- ये तरंगे केवल ठोस माध्यम से ही गुजरती है ये धरातल पर पी तरंगो के पश्चात ही पहुँचती है इन तंरगो के ठोस से न गुजरने के कारण वैज्ञानिको द्वारा भूगर्भ को समझने में सहायक होती है।
      पी तरंगे जिधर चलती है उसी दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती है। एस तरंगे तरंग की दिशा के समकोण पर कंपन उत्पन्न करती है। धरातलीय तरंगे भूकंपलेखी पर सबसे अंत में अभिलेखित होती है और सर्वाधिक विनाशक होती है।