पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास-Important Questions

                                                                  CBSE कक्षा 11 भूगोल

(भाग-क) पाठ-2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


  1. पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी किस सिद्धान्त का प्रतिपादन इमैनुअल कान्ट ने किया था?
    उत्तर- नीहारिका परिकल्पना
  2. ब्रह्मांड की उत्पत्ति से सम्बन्धित बिगबैंग सिद्धान्त के पक्ष में एडविन हब्बल ने क्या प्रमाण दिया?
    उत्तर- एडविन हब्बल ने प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। आकाश गंगायें एक दूसरे से दूर हो रही है। यह प्रक्रिया आज भी जारी है।
  3. नीहारिका किसे कहते है?
    उत्तर- नीहारिका या नेबुला से तात्पर्य गैस एवं धूल तथा अन्य पदार्थो के घूमते बादल से है।
  4. ब्रह्मांड की उत्त्पत्ति सम्बन्धी स्थिर अवस्था संकल्पना किसने प्रस्तुत किया?
    उत्तर- हॉयल नामक विद्वान ने।
  5. क्षुद्रग्रह किसे कहते है?
    उत्तर- सौरमंडल में बाह्यग्रहों एवं पार्थिव ग्रहो के बीच में लाखों छोटे पिंडो की एक पट्टी है उसे छुद्र ग्रह कहते है।
  6.  जोवियन ग्रहो पर हाइड्रोजन व हीलियम गैसो के बने रहने का प्रमुख कारण क्या है?
    उत्तर- जोवियन ग्रह और सौर वायु से बहुत दूर थे अतः सौर वायु का प्रभाव जोवियन ग्रहो तक नही पड़ा।
  7. पृथ्वी का निर्माण प्रक्रिया के प्रारम्भिक वर्षो में इस पर किन गैसों की प्रधानता थी?
    उत्तर- हाइड्रोजन व हीलियम।
  8. पृथ्वी की आयु, वैज्ञानिको के अनुसार कितनी है?
    उत्तर- 4.6 अरब वर्ष।
  9. पृथ्वी पर जीवन के विकास का प्रारंभ आज से कितने वर्ष पहले प्रारंभ हुआ?
    उत्तर- लगभग 380 करोड़ वर्ष पूर्व।
  10. सर जार्ज डार्विन ने चन्द्रमा की उत्पत्ति से सम्बन्धित किस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया?
    उत्तर- डम्बल सिद्धान्त।
  11. निम्न में कौन सी अवधि सबसे लम्बी है?
    1. इओन
    2. महाकल्प
    3. कल्प
    4. युग
    उत्तर-
    1. इओन।
  12. प्रारम्भिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप कैसा था?
    उत्तर- प्रारम्भिक काल में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी, जिसका वायुमण्डल विरल था जो हाइड्रोजन व हीलियम से बना था।

संक्षेप में जानिए:-

  1. बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्मांड के विकास को तीन अवस्थाओं का वर्णन कीजिए?
    उत्तर-
    1. आज ब्रह्मांड जिन पदार्थो से बना है वे समस्त पदार्थ एकाकी परमाणु के रूप में स्थित था जिसका आयतन अत्याधिक सूक्ष्म एवं घनत्व भी बहुत अधिक था।
    2. परमाणु में अत्याधिक ऊर्जा संचित हो जाने के कारण इसमें विस्फोट हुआ एवं विस्फोट के एक सेकंड के अन्दर ही ब्रह्मांड का विस्तार हुआ।
    3. बिग बैग से 3 लाख वर्षो के दौरान, तापमान 4500 केल्विन तक कम हो गया एवं परमाणवीय पदार्थो का निर्माण हुआ।
  2. ग्रहों के निर्माण की विभिन्न अवस्थायें कौन सी है। स्पष्ट कीजिये?
    उत्तर-
    1. गैस के गुंथित झुंड तारो के रूप में थे इन गुंथित झुंडो में गुरूत्वाकर्षण बल से क्रोड का निर्माण हुआ। इस क्रोड के चारो तरफ गैस व धूलकण की घूमती हुयी तश्तरी विकसित हुयी।
    2. दूसरी अवस्था में क्रोड के चारों तरफ़ का पदार्थ छोटे गोलो के रूप में विकसित हुआ। ये छोटे गोलो के रूप में विकसित हुआ। ये छोटे गोले पारस्परिक आकर्षण के कारण ग्रहाणुओ में बदले।
    3. अनेक छोटे ग्रहाणु मिलकर बड़े हुये एवं ग्रहो के रूप में बदल गये।
  3. पार्थिव ग्रहों एवं बाह्य ग्रहों में अन्तर के प्रमुख कारण क्या है?
    उत्तर-
    1. पार्थिव ग्रह जनक तारे के समीप थे अतः अधिक तापमान के कारण वहाँ गैसे संघनित नही हो पायी जबकि जोवियन ग्रहो के दूर होने के कारण वहाँ गैसे संघनित हो गयी।
    2. सौर वायु के कारण पार्थिव ग्रहों की गैस धूलकण उड़ गयी किन्तु जोवियन ग्रहों की गैसो को सौर पवन नही हटा पायी?
    3. पार्थिव ग्रह छोटे थे एवं इनमें गुरूत्वाकर्षण शक्ति कम थी अतः इन पर इनसे निकली गैस रूकी नही। जोवियन ग्रह भारी थे अतः उन पर गैस रूकी रही।
  4. चन्द्रमा उत्पत्ति से सम्बन्धित द बिग सप्लैट सिद्धान्त क्या है?
    उत्तर- इस सिद्धान्त के अन्तर्गनत यह माना जाता है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के एक से तीन गुणा बड़े आकार का पिंड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया। यही हिस्सा चन्द्रमा के रूप में पृथ्वी का चक्कर लगाने लगा।
  5. स्थलमंडल के विकास में विभेदन प्रक्रिया का क्या योगदान है?
    उत्तर- हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थो के पृथक होने की प्रक्रिया को विभेदन कहा जाता है। पृथ्वी की उत्पत्ति के दौरान अत्याधिक ताप के कारण पृथ्वी के पदार्थ द्रव अवस्था में हो गये जिसके फलस्वरूप हल्के एवं भारी घनत्व का एक मिश्रण तैयार हो गया। घनत्व के अंतर के कारण भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गये एवं हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गये। समय के साथ ये पदार्थ और ठंडे हुये और ठोस रूप में भूपर्पटी के रूप में विकसित हुये।

विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न (संकेत)
विस्तार से जानिये

  1. पृथ्वी पर वायुमण्डल का विकास कैसे हुआ?
    उत्तर- पृथ्वी पर वायुमंडल के विकास की 3 अवस्थाये है-
    1. पहली अवस्था में सौर पवन के कारण हाइड्रोजन व हीलियम पृथ्वी से दूर हो गयी।
    2. दूसरी अवस्था में पृथ्वी के ठंडा होने व विभेदन के दौरान पृथ्वी के अंदर से बहुत सी गैसे व जलवाष्प बाहर निकले जिसमें जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन-डाई-आक्साइड मीथेन व अमोनिया अधिक मात्र में और स्वतन्त्र ऑक्सीजन बहुत कम थी।
    3. तीसरी अवस्था में पृथ्वी पर लगातार ज्वालामुखी विस्फोट रहे थे जिसके कारण वाष्प एवं गैसे बढ़ रही थी। यह जलवाष्प संघनित होकर वर्षा के रूप में परिवर्तित हुयी जिससे पृथ्वी पर महासागर बने एवं उनमें जीवन विकसित हुआ। जीवन विकसित होने के पश्चात प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तीव्र हुयी एवं पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की अधिकता हुयी।
  2. पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित प्रारम्भिक संकल्पनाओं को स्पष्ट कीजिए?
    उत्तर- पृथ्वी की उत्त्पत्ति से सम्बन्धित प्रमुख प्राचीन संकल्पनाये निम्नलिखित थी:-
    1. नीहारिका परिकल्पना:- इस परिकल्पना के जनक इमैनुअल कान्ट थे। इनके अनुसार गैस एवं अन्य पदार्थो के घूमते हुये बादल से ग्रहो की उत्पत्ति हुयी।
    2. ताप्लास ने इस परिकल्पना में सुधार करते हुये कहा कि घूमती हुयी नेबुला के कोणीय संवेग बढ़ जाने से नेबुला संकुचित हो गयी और उसका बाहरी भाग छल्लों के रूप में बाहर निकला एवं बाद में ग्रहों में परिवर्तित हो गया।
    3. चेम्बरलेन एवं मोल्टन के अनुसार सूर्य के पास से एक अन्य तारा त्रीव गति से गुजरा। जिसके गुरूत्वीय बल के कारण सूर्य सतह से एक सिगार के आकार का टुकड़ा निकला एवं कलान्तर में उसी टुकड़े से ग्रहो का निर्माण हुआ।