अपठित काव्यांश - CBSE Test Papers
CBSE Test Paper 01
अपठित काव्यांश
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: (1x4=4)
मेरे देश तेरा चप्पा-चप्पा मेरा शरीर है
तेरा जल मेरा मन है
तेरी वायु मेरी आत्मा है
इन सबसे मिलकर ही
तू बनता है मेरे देश,
मैं और तू- दो तो नहीं हैं
शरीर, आत्मा, मन
एक ही प्राणी के
स्थूल या सूक्ष्म अंग हैं
मैं इन्हें बँटने नहीं दूंगा
मैं इन्हें लुटने नहीं देंगा
मैं इन्हें मिटने नहीं दूंगा !- “मैं और तू-दो तो नहीं हैं - किसे कहा गया है और क्यों?
- कवि ने देश से अपना तादात्म्य कैसे जोड़ा है?
- शरीर, आत्मा और मन का उल्लेख क्यों किया गया है?
- कवि क्या संकल्प व्यक्त करता है?
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (14)
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ।
है अगम चेतना की घाटी, कमज़ोर बड़ा मानव का मन
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन
ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मूँदे नयन
होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन
संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ।- फूल और कॉटे बोने का प्रतीकार्थ क्या है?
- मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती हैं?
- संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए और क्यों?
- मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है?
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (14)
तुमने मेरी रचना के
सिर्फ एक शब्द पर
किंचित् मुसकरा दिया
अर्थ बन गई भाषा।
छोटी-सी घटना थी
सहसा मिल जाने की
तुमने जब चलते मे
अँगुली के स्पर्श का
एक फूल टाँक दिया
सच हो गई व्याख्या।
संकट की घड़ियों में
बढ़ते अंधकार पर
तुमने निज पल्ला डाल
गाँठ बना बाँध लिया
अमोल हो गई व्यथा।
रचना से जब मनमाना
तुमने काव्य-रस पाकर
होंठो में बुदबुदा कर
हृदय मे समा लिया
तो अमर हो गई कविता।- कविता किसे संबोधित है? किस शब्द पर मुसकराने से भाषा सार्थक हो गई होगी?
- अँगुली के स्पर्श ने घटना को कैसे सच बना दिया?
- कौन-सी व्यथा कैसे अनमोल हो गई?
- 'बढ़ते अंधकार' का आशय स्पष्ट कीजिए।
CBSE Test Paper 01
अपठित काव्यांश
Solution
- प्रस्तुत पंक्ति कवि और देश को कही गई है। कवि ने देश को शरीर के समान समझा है।
- कवि ने देश से अपना तादात्म्य शरीर, आत्मा और मन से जोड़ा है।
- देश के अन्न, जल और वायु से पोषित होने के कारण।
- शरीर, आत्मा और मन को कभी मिटने नहीं देगा।
- फूल बोने का प्रतीकार्थ है- मानव मात्र की भलाई के कार्य करते हुए मानवता के प्रतीकों का पोषण एवं संरक्षण करना, जबकि काँटे बोने का प्रतीकार्थ है-मानव और मानवता के विरुद्ध कार्य करना।
- मन जीवनविरोधी अर्थात् त्रासद और दु:खद स्थितियों में अशांत होता है, लेकिन वो ममता, प्रेम एवं सहयोग और सकारात्मक भाव की स्थितियों का सहारा पाकर शांत हो जाता है।
- संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार धैर्यपूर्ण होना चाहिए क्योंकि धैर्यपूर्वक संकट का सामना करने पर वह अंततः टल जाता है, लेकिन यदि हम उससे भयभीत होने लगते है, तो वह निरंतर बढ़ता ही जाता है।
- अनुकूल स्थितियाँ न होने पर या दूसरों की प्रगति देखकर मनुष्य के मन में कटुता आ जाती है, लेकिन जब वह दूसरों के बारे में भी सोचता है और सहयोगपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है, तब उसके मन की कटुता दूर हो जाती है।
- कविता कवि की प्रियतमा को संबोधित है। कवि की रचना के सिर्फ एक शब्द पर प्रियतमा द्वारा मुसकराने से उसकी भाषा सार्थक यानी अर्थपूर्ण हो गई।
- जब प्रेयसी ने अपनी अंगुली से कवि को स्पर्श किया, तो उसके (कवि) लिए यह घटना भी एक सच बन गई। वह उस स्पर्श को भूल नही पाया।
- कविता के अनुसार दुःख और संकट के समय में प्रेयसी ने जब कवि को सहारा दिया, तो कवि को लगा कि उसकी व्यथा (दुःख) अनमोल हो गई।
- 'बढ़ते अंधकार' का आशय कष्ट या वेदना के बढ़ते जाने से है। काव्यांश में बढ़ते अंधकार का प्रयोग कवि के जीवन में अनेक तरह के दुःख और कष्टों के बढ़ जाने के संदर्भ में हुआ है।