डायरी के पन्ने - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

डायरी के पन्ने


  1. 19 मार्च, 1943 की चिट्ठी में ऐन ने गिल्डर मुद्रा के बारे में क्या बताया है? इससे क्या परेशानी आ गई थी? डायरी के पन्ने के आधार पर बताइए।

  2. 13 जून, 1944 को क्या खास बात थी? ऐन को क्या-क्या मिला? डायरी के पन्ने के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

  3. काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला...। क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है?

  4. ऐन फ्रैंक की डायरी को एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है?

  5. ऐन की डायरी इतिहास के एक सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात् अनुभव को बयान करती है-डायरी के पन्ने के आधार पर प्रस्तुत कथन की पुष्टि कीजिए।

  6. ऐन फ्रैंक की डायरी में ऐसी क्या विशेषताएँ हैं कि वह पिछले 50 वर्षों में विश्व में सबसे अधिक पढ़ी गई पुस्तकों में से एक है।

  7. ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में स्त्रियों की तत्कालीन पारिवारिक-सामाजिक स्थितियों की चर्चा की है। उनका उल्लेख करते हुए बताइए कि आज उन स्थितियों में क्या परिवर्तन आए हैं?

  8. डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐनफ्रैंक का मित्र) के स्वभाव की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

CBSE Test Paper 01
डायरी के पन्ने


Solution

  1. ऐन बताती है कि हज़ार गिल्डर के नोट अवैध मुद्रा घोषित कर दी गई। यह ब्लैक मार्केट का धंधा करने वालों और उन जैसे लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। उससे बड़ा संकट उन लोगों का है जो या तो भूमिगत हैं या जो अपने धन का हिसाब-किताब नहीं दे सकते। हज़ार गिल्डर का नोट बदलवाने के लिए वे इस स्थिति में हों कि यह बता सकें कि यह नोट उनके पास कैसे आया और उसका सुबूत भी देना होगा। इन्हें कर अदा करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है; लेकिन अगले हफ्ते तक ही। पाँच सौ गिल्डर के नोट भी तभी बेकार हो जाएँगे। गिएड एंड कंपनी के पास अभी हजार गिल्डर के कुछ नोट बाकी थे जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं था। इन्हें कंपनी ने आगामी वर्षों के लिए अनुमानित कर अदायगी में निपटा दिया है।

  2. इस दिन ऐन का जन्मदिन था। वह पंद्रह वर्ष की हो गई। वह बताती है कि उसे काफ़ी उपहार मिले हैं। स्प्रिंगर की पाँच खंडों वाली कलात्मक इतिहास पुस्तक, चड्ढियों का एक सेट, दो बेल्टें, एक रूमाल, दही के दो कटोरे, जैम की शीशी, शहद वाले दो छोटे बिस्किट, मम्मी-पापा की तरफ से वनस्पति विज्ञान की एक किताब, मार्गेट की तरफ से सोने का एक ब्रेसलेट, वान दान परिवार की तरफ से स्टिकर एलबम, डसेल की तरफ से बायोमाल्ट और मीठे मटर, मिएप और बेप की तरफ से मिठाई और लिखने के लिए कॉपियाँ और मिस्टर कुगलर की तरफ से मारिया तेरेसा नाम की किताब तथा क्रीम से भरे चीज के तीन स्लाइस। पीटर ने पीओनी फूलों का खूबसूरत गुलदस्ता दिया जुटाने में अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन वह कुछ और जुटा ही नहीं पाया।

  3. यह सत्य है कि लेखक आत्माभिव्यक्ति के लिए लिखता है यदि उसे कोई साधन अभिव्यक्ति का नहीं मिलता है तो वह स्वयं ही अपना साधन खोज लेता है ऐसा ही ऐन ने किया था। ऐन भी अपने अनुभवों को डायरी के माध्यम से व्यक्त करती है क्योंकि उसकी सुनने या समझने वाला नहीं था। वह एक जगह लिखती है - मेरे दिमाग में हर समय इच्छाएँ, विचार, आरोप तथा डाँट-फटकार ही चक्कर खाते रहते हैं। मैं सचमुच उतनी घमंडी नहीं हूँ जितना लोग मुझे समझते हैं। मैं किसी और की तुलना में अपनी कई कमजोरियों और खामियों को बेहतर तरीके से जानती हूँ।' तथा दूसरे स्थान पर वह कहती है - लोग मुझे अभी भी इतना नाक घुसेड़ू और अपने आपको तीसमारखाँ समझने वाली क्यों मानते हैं? ऐसे बहुत से विचार उसके मन में उमड़ते रहते थे जिन्हें वह कह नहीं पाती थी। ऐन आठ सदस्यों के समूह में सबसे छोटी थी, तथा सबकी आलोचना के केंद्रबिंदु में थी। उसकी माॅं उसे सिर्फ उपदेश देती थी, सुनती नहीं थी। पीटर उसे पसन्द था लेकिन वह भी उसकी भावनाएँ नहीं समझता था, वह प्रकृति निहारना चाहती थी, दौड़ना चाहती थी किन्तु कोई रास्ता न देखकर ऐन ने अपनी भावनाएँ डायरी के माध्यम से प्रकट करना प्रारम्भ कर दिया।

  4. ऐन फ्रैंक की डायरी एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। यह डायरी दो साल के अज्ञातवास के दौरान लिखी गई। 12 जून, 1942 को उसके जन्मदिन पर सफ़ेद व लाल कपड़े की जिल्द वाली नोटबुक उसे उपहार के तौर पर मिली थी। तभी से उसने एक गुड़िया किट्टी को संबोधित करके लिखनी शुरू की। तब तक गोपनीय जीवन शुरू नहीं हुआ था। महीने भर के अंदर उन्हें अज्ञातवास झेलना पड़ा। ऐन का डायरी लिखना जारी रहा। उसने आखिरी हिस्सा पहली अगस्त, 1944 को लिखा जिसके बाद वह नाजी पुलिस के हत्थे चढ़ गई। यह डायरी इतिहास के एक सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात अनुभव का बयान करती है। ऐन फ्रैंक उस दर्द की साक्षात भोक्ता थी। वह संवेदनशील थी। उसकी उम्र आने वाले दूषणों से भी पूरी तरह अछूती थी। इस डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यार, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफें, हवाई हमले के डर, पकड़े जाने का लगातार डर, तेरह साल की उम्र के सपने, अपनी पहचान बनाने की उथल-पुथल, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक जरूरतें, हँसी-मज़ाक, युद्ध की पीड़ा, अकेलापन सभी कुछ है। यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए जुल्मों का एक जीवंत, ऐतिहासिक एवं प्रामाणिक दस्तावेज है।

  5. इसमें संदेह नहीं कि ऐन की डायरी इतिहास के एक आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के अनुभव को अभिव्यक्त करती है। इस डायरी के हिंदी अनुवाद की भूमिका में कहा गया है कि "इस डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफें, हवाई हमलों का डर, पकड़े जाने का लगातार भय, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग थलग हो जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक ज़रूरते, हँसी-मज़ाक, युद्ध की पीड़ा, अकेलापन सभी कुछ है। यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज़ है।''
    ऐन अपनी डायरी में एक जगह लिखती है कि "पिछले रविवार जब 350 ब्रिटिश वायुयानो ने इज्मुईडेन पर 550 टन गोला-बारूद बरसाया, तो हमारे घर ऐसे काँप रहे थे जैसे हवा में घास की पत्तियाँ” उस समय के अराजक वातावरण का उल्लेख करते हुए ऐन एक जगह लिखती है कि उस समय लोगों को किसी भी प्रकार का आवश्यक सामान लेने के लिए लंबी पक्तियों मे खड़े रहना पड़ता था। डॉक्टर अपने रोगियों को नहीं देख पाते थे क्योंकि क्षण भर में उनकी कारें और मोटरसाइकिलें चुरा ली जाती थीं। चोरी की घटनाएँ इतनी बढ़ गई थीं कि सार्वजनिक टेलीफोनों का पुर्ज़ा-पुर्ज़ा गायब हो जाता था तथा वहां के लोगों में अँगूठी पहनने का रिवाज़ ही समाप्त हो गया था।

  6. ऐन फ्रैंक की डायरी की विशेषताएँ यह है कि यह लेखन की गहराई और नाज़ी दमन के दस्तावेज़ के रूप में अपना विशेष महत्त्व रखती है, क्योंकि यह डायरी इतिहास के एक सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात् अनुभव का बयान करती है। यहाँ उस भयावह दौर को किसी इतिहासकार की निगाह से नहीं, सीधे भोक्ता की निगाह से देखते हैं। यह भोक्ता ऐसा है, जिसकी समझ और संवेदना बहुत गहरी तो है ही, उम्र के साथ आने वाले दूषणों से पूरी तरह अछूती भी है।
    इस डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफ़, हवाई हमले के डर, पकड़े जाने का लगातार डर, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, प्रकृति से साक्षात्कार करने की ललक, मानसिक और शारीरिक ज़रूरतें, हँसी-मज़ाक, युद्ध की पीड़ा; अकेलापन सभी कुछ है। यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज़ होने के साथ ही एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी है। यही कारण है कि यह पुस्तक पिछले 50 वर्षों में विश्व में सबसे अधिक पढ़ी गई पुस्तकों में से एक है।

  7. ऐन फ्रैंक के अनुसार, पुरुष शुरू से ही नारियों का शोषण करता आया है। वह स्त्री को घर की चारदीवारी मे बंद रखना चाहता है, जिससे वह समाज में पुरुषों से बराबरी न कर सके। स्त्री शारीरिक दृष्टि से पुरुष से कमज़ोर होती है। अतः वह उस पर शासन करना अपना अधिकार समझने लगा। वास्तव में, समाज के निर्माण में  जो योगदान स्त्रियों का है, वह अत्यंत ही सराहनीय है।
    वर्तमान युग मे स्त्रियों की स्थिति में बहुत परिवर्तन आ चुका है। स्त्रियों को समाज में पुरुषों के बराबर सम्मान मिलने लगा है। शिक्षा, काम तथा प्रगति ने स्त्रियों को जागरूक किया है। अब स्त्रियाँ समाज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी हैं। अब वह पुरुष की दासी न रहकर उसकी सहयोगिनी बन गई है। आजकल स्त्रियाँ प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति जैसे पदों पर भी अपनी जगह बना रही हैं। अब पुरुषों को भी समझ में आ गया है कि स्त्रियों के साथ मिलकर ही वे इस समाज को ऊंचाइयों तक ले जा सकते है।

  8. ऐन फ्रैंक ने अपने दोस्त पीटर के बारे में अपनी डायरी में जिक्र किया है। पीटर ऐनफ्रैंक को दोस्त की तरह स्नेह करता है। स्वयं ऐन फ्रैंक के शब्दों में, उसका स्नेह दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। पीटर अच्छा व भला लड़का है। धर्म के प्रति नफ़रत, खाने के बारे में उसका बातें करना आदि उसे अलग बनाता है। वह ऐन की आपत्तिजनक बातें भी सुन लेता है जिन्हें कहने की वह अपनी मम्मी को भी इजाजत नहीं देता। वह दृढ़ निश्चयी है। वह अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद साबित करने में लगा हुआ है। वह अंतर्मुखी है, उसके मन में क्या चल रहा है; यह जानने की अनुमति वह ऐन को नहीं देता। वह अपने जीवन में किसी को हस्तक्षेप नहीं करने देता। वह शांतिप्रिय, सहनशील व बेहद सहज आत्मीय व्यक्ति है।