आलोक धन्वा - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

आलोक धन्वा


  1. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?

  2. पतंग कविता का प्रतिपाद्य बताइए।

  3. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़ कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
    छतों को भी नरम बनाते हुए
    दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
    अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं
    तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।

    1. दिशाओं को मृंदग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है ?
    2. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है ?
    3. खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं ?
  4. किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं। पतंग कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

  5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: (2x2=4)
    खरगोश की आँखों जैसा लाल सबेरा
    शरद आया पुलों को पार करते हुए
    अपनी नई चमकीली साईकिल तेज़ चलाते हुए
    घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से।

    1. काव्यांश में आए बिंबों का उल्लेख कीजिए।
    2. प्रकृति में आए परिवर्तनों की अभिव्यक्ति कैसे हुई है?
  6. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    सबसे तेज़ बौछारें गईं भादो गया
    सवेरा हुआ
    खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
    शरद आया पुलो को पार करते हुए
    अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
    घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
    चमकीले इशारो से बुलाते हुए
    पतंग उड़ाने वाले बच्चो के झुंड को
    चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
    आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
    कि पतंग ऊपर उठ सके-
    दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ उड़ सके
    दुनिया का सबसे पतला कागज़ उड़ सके-
    बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके -
    शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
    तितलियो की इतनी नाजुक दुनिया

    1. इस काव्यांश के कवि एवं कविता का नाम बताइए।
    2. कवि ने प्रातःकाल का वर्णन किस प्रकार किया हैं?
    3. पतंग के विषय में कवि क्या कहता है?
  7. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
    पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचन पैरों के पास
    जब वे दौड़ते हैं बेसुध
    छतों को भी नरम बनाते हुए
    दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
    जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
    डाल की तरह लचीले वेग सो अकसर
    छतों के खतरनाक किनारों तक-
    उस समय गिरने से बचाता हैं उन्हें
    सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
    पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे।

    1. पृथ्वी बच्चों के बचन पैरों के पास कैसे आती हैं?
    2. छतों को नरम बनाने से कवि का क्या आशय हैं?
    3. बच्चों की पेंग भरने की तुलना के पीछे कवि की क्या कल्पना रही होगी?

CBSE Test Paper 01
आलोक धन्वा


Solution

  1. पतंग के लिए सबसे हल्की और सबसे रंगीन पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग कर कवि उसका साकार रूप पाठकों के सामने रखना चाहते हैं, उनके मन में जिज्ञासा जगाना चाहते हैं तथा पतंग जैसी सामान्य वस्तु को विशिष्ट बनाकर पाठकों का ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं क्योंकि विशेष वस्तु प्राप्त करने की लालसा उत्पन्न करने और अपनी चीज को बेहतर कहने का यही स्वाभाविक तरीका होता  है।      

  2. इस कविता में कवि ने बालसुलभ इच्छाओं व उमंगो का सुंदर वर्णन किया है। पतंग बच्चों की उमंग व उल्लास के रंग-बिरंगा सपनों का प्रतीक है। शरद ऋतु में मौसम सुहावना और आकाश साफ़ हो जाता है। चमकीली धूप बच्चों को आकर्षित करती है। वे इस  मनोरम  मौसम में पतंगे उड़ाते हैं। आसमान में उड़ती हुई पतंगों को उनका बालमन छूना चाहता है। उनके पीछे भागते-दौड़ते बच्चे गिर-गिर कर भी सँभलते हैं। पतंगों के लिए दौड़ते हुये बच्चों के कोलाहल से चारों  दिशाएँ  मानो मृदंग की आवाज़ से गुंजित हो जाती हैं, उनकी कल्पनाएँ पतंगों के सहारे आसमान को पार करना चाहती हैं। प्रकृति भी उनका सहयोग करती है, तितलियाँ उनके सपनों को रंगीला बनाती है। 

    1. दिशाओं को मृदंग की बजाने  का तात्पर्य संगीतमय वातावरण की सृष्टि से है। पतंग काटने- पकड़ने के लिए इधर उधर दौड़ते बच्चों की पदचापों से समस्त  दिशाएँ गुॅृंजित हो जाती हैं, जिनसे उत्पन्न आवाज़ मृदंग की तरह प्रतीत होती है।
    2. नहीं, जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए छत कठोर नहीं लगती, उस समय उसे पकड़ने की धुन में दौड़ते बच्चों का ध्यान छत की कठोरता की ओर नहीं जाता है। 
    3. खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद बच्चे दुनिया की चुनौतियों के सामना करने के लिए स्वयं को सक्षम महसूस करते हैं। जब उनकी पतंग का सामना सूरज से होता है तब ऐसी निडरता के उत्पन्न होने से उनमें आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
  3. कवि ने ‘पतंग’ कविता में बच्चों के उल्लास व निर्भीकता को प्रकट किया है। यह बात सही है कि किशोर और युवा वर्ग उत्साह से परिपूर्ण होते हैं। वे  सच्ची धुन एवं  लगन से किसी कार्य को करते हैं। उनके मन में जो कल्पनाएँ होती हैं। वे उन कल्पनाओं को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं और  उसे  मूर्त रूप प्रदान करते हैं। आकाश में पतंग उड़ाते हुये बच्चों की निगाहें सिर्फ ऊँचाई को छूने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं वैसे ही समाज को विकास की नवीन दिशा में अग्रसर करने के लिए इसी एकाग्रता एवं जोश की जरूरत है। अतः वास्तव में किशोर व युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं।

    1.         उपर्युक्त पदयांश के आधार पर कवि ने दृश्य बिम्ब का प्रयोग किया है जैसे -
      • खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
      • शरद ऋतु के प्रारंभ का बच्चे के रूप में चित्रण करते हुये उसका अपनी नई साइकिल तेजी  से चलाते और घंटी बजाते हुए आना।
      • वर्षा ऋतु के पश्चात् शरद ऋतु के खुशनुमा आगमन पर प्रकृति में परिवर्तन होते हैं जैसे मौसम साफ होने के कारण बच्चों के खेलकूद कर अपनी प्रसन्नता की अभिव्यक्ति करते हैं। 
      •  चारों ओर मनभावनी चमकीली कोमल धूप बिखरी रहती है। 
    1. इस काव्यांश के कवि 'आलोक धन्वा' हैं एवं कविता का नाम 'पतंग' है।
    2. कवि ने शरद ऋतु के प्रातःकाल का वर्णन करते हुए उसे खरगोश की आँखों जैसा लाल- भूरा  बताया है। शरद ऋतु का उल्लास वातावरण को इस प्रकार प्रभावित करता है जैसे कोई उत्साही बालक अपनी चमकीली साइकिल चलाते हुये और ज़ोर से घंटी बजाते हुये अपने चमकीले इशारों से अन्य बच्चों को आमंत्रित करता है।
    3. कवि पतंग को दुनिया की सबसे हल्की एवं रंगीन चीज कहता है, जो सबसे पतले कागज़ और सबसे पतली कमानी से बनी हुई है और जो आसमान में बच्चों के द्वारा उड़ाई जाती है।
    1. पृथ्वी बच्चों के बेचैन पैरों के पास इस तरह आती है, मानो वह अपनी धूरी का पूरा चक्कर लगाकर आ रही हो।
    2. छतों को नरम बनाने से कवि का आशय यह है कि बच्चों  के पैर नरम होते हैं और तेजी और बेफ़िक्री से दौड़ ने के कारण उन्हें ऐसा लगता है मानो वे किसी नरम एवं मुलायम स्थान पर दौड़ रहे हों। 
    3. बच्चों की पेंग भरने की तुलना के पीछे कवि की यह कल्पना होगी कि बच्चे पतंग उड़ाते हुए उनकी डोर थामे इस प्रकार डोल रहे हैं, मानो वे किसी लचीली डाल को पकड़कर झूला झूलते हुए आगे-पीछे हो रहे हों।