कविता, कहानी और नाटक लेखन - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

कविता, कहानी और नाटक लेखन


  1. कविता के किन प्रमुख घटको का ध्यान रखना चाहिए? लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए।

  2. कहानी लेखन में कथानक के पत्रों का संबंध स्पष्ट कीजिए। लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए।

  3. नाटक लेखन की कार्य अवस्थाएँ किस प्रकार होती हैं? लगभग 80-100 शब्दों में स्पस्ट कीजिए।

  4. कहानी का नाट्य- रूपांतरण करते समय किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए? लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए।

CBSE Test Paper 01
कविता, कहानी और नाटक लेखन


Solution

  1. कविता भाषा में होती है इसलिए भाषा का सम्यक ज्ञान जरूरी है भाषा सब्दो से बनती है शब्दों का एक विन्यास होता है जिसे वाक्य कहा जाता है भाषा प्रचलित एवं सहज हो पर संरचना ऐसी कि पाठक को नई लगे कविता में संकेतो का बड़ा महत्व होता है इसलिए चिह्नों (, !,।) यहाँ तक कि दो पंक्तियों के बीचका खाली स्थान भी कुछ कह रहा होता है वाक्य-गठन की जो विशिष्ट प्रणालियाँ होती हैं, उन्हें शैली कहा जाता है इसलिए विभिन्न काव्य-शैलियों का ज्ञान भी जरुरी है। शब्दों का चयन, उसका गठन और भावानुसार लयात्मक अनुशासन वे तत्व हैं जो जीवन के अनुशासन की लिए जरुरी हैं।

  2. देशकाल, स्थान और परिवेश के बाद कथानक के पत्रों पर विचार करना चाहिए। हर पात्र का अपना स्वरूप, स्वभाव और उद्देश्य होता है। कहानी में वह विकसित भी होता है या अपना स्वरूप भी बदलता है। कहानीकार के सामने पत्रों का स्वरूप जितकारण पत्नारों का अध्ययन कहानी की एक बहुत महत्त्वपूर्ण और बुनियादी शर्त है। इसके स्पष्ट होगा उतनी ही आसानी उसे पत्रों का चरित्र-चित्रण करने और उसके संवाद लिखने में होगी। इसके अंतगर्त पात्रो के अंत संबंध पर भी विचार किया जाना चाहिए। कौन-से पात्र की किस किस परिस्थिति में क्या प्रतिक्रिया होगी, यह भी कहानीकार को पता होना चाहिए।

  3. नाटक में आरंभ से लेकर अंत तक पाँच कार्य अवास्थाए होती हैं, आरंभ, यत्न, प्राप्त्याशा, नियताप्ति और फलागम आरंभ-कथानक का आरंभ होता है और फलप्राप्ति की इच्छा जाग्रत होती है।
    आरंभ - इसमें किसी भी तरह के नाटक की शुरुआत की जाती हैं। 
    यत्न - इसमें फलप्राप्ति की इच्छा को पूर्ण करने के लिए प्रयत्न किए जाते हैं।
    प्राप्त्याशा - इसमें फलप्राप्ति की आशा उत्पन्न होती है। 
    नियताप्ति - इसमें फलप्राप्ति की इच्छा निश्चित रूप ले लेती है। 
    फलागम आरंभ - इसमें फलप्राप्ति हो जाती है।

  4. कहानी का नाट्य रूपांतर करते समय इन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिये-

    1. कहानी एक ही जगह पर स्थित होनी चाहिये।
    2. कहानी में संवाद नहीं होते और नाट्य संवाद के आधार पर आगे बढता है। इसलिये कहानी मे संवाद का समावेश करना जरूरी है।
    3. कहानी का नाट्य रूपांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहुत जरूरी है।
    4. नाट्य मे हर एक पत्र का विकास, कहानी जैसे आगे बढती है, वैसे होता है इसलिये कहानी का नाट्य रूपांतर करते वक्त पात्र का विवरण करना बहुत जरूरी होता है।
    5. एक व्यक्ति कहानी लिख सकता है, पर जब नाट्य रूपांतर कि बात आती है, तो हर एक समूह या टीम कि जरूरत होती है।