रघुवीर सहाय - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

रघुवीर सहाय


  1. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा? (कैमरे में बंद अपाहिज)

  2. कैमरे में बंद अपाहिज कविता समाज की किस विडंबना को प्रस्तुत करती है?

  3. परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है? (कैमरे में बंद अपाहिज)

  4. कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है विचार कीजिए।

  5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×4=4)
    हम दूरदर्शन पर बोलेगे
    हम समर्थ शक्तिवान
    हम एक दुर्बल को लाएँगे
    एक बंद कमरे में
    उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज है?
    तो आप क्यों अपाहिज है?

    1. इस काव्यांश के भाव-सौंदर्य की विशेषता बताइए।
    2. कविता की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  6. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
    हम समर्थ शक्तिवान
    हम एक दुर्बल को लाएँगे
    एक बंद कमरे में
    उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
    तो आप क्यों अपाहिज हैं?
    आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
    देता है?
    (कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा)
    हाँ तो बताइए आपका दुख क्या हैं
    जल्दी बताइए वह दुख बताइए
    बता नहीं पाएगा।

    1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
    2. दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?
    3. काव्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
  7. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
    फूली हुई आँख की एक बड़ी तस्वीर
    बहुत बड़ी तस्वीर
    और उसके होंठो पर एक कसमसाहट भी
    (आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
    एक और कोशिश
    दर्शक
    धीरज रखिए
    देखिए हमें दोनो एक संग रुलाने हैं
    आप और वह दोनो
    (कैमरा
    बस करो
    नहीं हुआ
    रहने दो
    परदे पर वक्त की कीमत है)
    अब मुसकुराएँगे हम
    आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
    (बस थोड़ी ही कसर रह गई)
    धन्यवाद।

    1. 'अपंगता की पीड़ा' दर्शाने के लिए दूरदर्शन वाले क्या करते हैं? काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
    2. 'हमें दोनों एक संग रुलाने हैं' का क्या आशय है? स्पष्ट करें।
    3. 'परदे पर वक्त की कीमत है' यह कथन किस बात की ओर इशारा करता है?

CBSE Test Paper 01
रघुवीर सहाय 


Solution

  1. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता लोगों का ध्यान कार्यक्रम की तरफ़ आकर्षित कर पाएगा। उनका कार्यक्रम देखने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग प्रेरित होगें। प्रसारण समय में रोचक सामग्री परोस पाना ही मीडिया कर्मियों का एकमात्र उद्देश्य होता है। इससे धन और यश दोनों की प्राप्ति होती है।

  2. कैमरे में बंद अपाहिज यह कविता एक अपाहिज के साथ घटित होने वाले अमानवीय व्यवहार को अभिव्यक्त करती है। यह समाज के उन अवसरवादी लोगों पर व्यंग्य करती है जिनकी दृष्टि में असहाय, मजबूर लोगों का कोई अस्तित्व ही नहीं है। वे उनके दुख को अपने फायदे के लिए प्रयोग करते हैं। मीडिया इसी मतलबी समाज की वास्तविकता को प्रस्तुत करने का माध्यम है किन्तु वर्तमान में इसका व्यवसायीकरण हो चुका है। आज समाज के इन्हीं प्रभुत्वशाली लोगों का  मीडिया पर आधिपत्य है  यह विडम्बना नहीं तो क्या है। कि सब कुछ जानते समझते हुये भी हम इसे स्वीकार करते हैं।

  3. प्रसारण के समय में रोचक सामग्री परोसना ही मीडिया कर्मियों का एकमात्र उद्देश्य होता है। प्रसारण के समय कार्यक्रम को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए वे सभी उचित-अनुचित हथकंडे आजमाते हैं। उन्हें किसी की पीड़ा को कम नहीं बल्कि बढ़ा-चढ़ाकर कुरेद कर दिखाने की आदत होती है। मीडियाकर्मी को सिर्फ व्यावसायिक उद्देश्य पूरा करने से सरोकार रहता है।वे निर्माण की पूरी कीमत वसूल करना चाहते हैं। किसी की पीड़ा काे व्यावसायिक रूप देकर वे सामाजिक जिम्मेदारी की पूर्ति का दिखावा मात्र करते हैं।

  4. यह कविता मानवीय करुणा को तो प्रस्तुत करती ही है, साथ ही इस कविता में ऐसे लोगो की बनावटी करुणा का वर्णन भी मिलता है, जो दुःख-दर्द बेचकर, प्रसिद्धि एवं आर्थिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं। एक अपाहिज व्यक्ति के साथ झूठी सहानुभूति जताकर उसकी करुणा का व्यवसायीकरण करना चाहते है। एक अपाहिज की करुणा को पैसे एवं प्रसिद्धि के लिए टेलीविज़न पर कुरेदना वास्तव में क्रूरता की चरम सीमा हैं। किसी की हीनता, अभाव, दुःख और कष्ट सदा से करुणा के कारण अथवा उद्दीपन रहे हैं, मगर इन कारणों को सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में प्रसारित करना और अपने चैनल की श्रेष्ठता साबित करने के लिए तमाशा बनाकर उसे फूहड़ ढंग से प्रदर्शित करना क्रूरता है। सांसारिक भौतिकहीनता इतनी नही अखरती, जितनी शारीरिकहीनता से वेदना होती है। उसके साथ इस खिलवाड़ को क्रूरता की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा।

    1. प्रस्तुत काव्यांश मे अपाहिज व्यक्ति के माध्यम से कवि स्पष्ट करना चाहता है कि दुःख और उससे उत्पन्न स्थितियाँ आदमी को किस प्रकार असहाय कर देती है, जबकि दूसरी ओर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वालो के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि समाज मे ऐसे लोग भी है, जो पीड़ा के सौदागर है तथा पीड़ा का भी व्यवसायीकरण करके लाभ और लोकप्रियता हासिल करने से परहेज नहीं करते।
    2. कविता की भाषा सहज, सरल तथा शैली नाटकीय है। कवि ने अत्यंत सामान्य भाषा मे व्यंग्य प्रधान कविता की रचना की है। कविता अनायास ही जीवत बन पड़ी है, जो मीडिया की अमानवीय मानसिकता को स्पष्ट करती है।
    1. कवि - रघुवीर सहाय, कविता - कैमरे में बंद अपाहिज
    2. दूरदर्शन वाले इस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं कि उनके सवालों से सामने बैठा अपाहिजरो पड़े, ताकि उनका कार्यक्रम रोचक बन सके।
    3. इस काव्यांश में कवि ने मीडिया की हृदयहीन कार्यशैली पर व्यंग्य किया है। संचालक अपने कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए अपाहिज से ऊट-पटांग सवाल करके उसकी भावनाओं से खेलते हैं। वे उसके दुख को कुरेदना चाहते हैं, परंतु अपाहिज चुप रहता है। वह अपना मजाक नहीं उड़वाना चाहता।
    1. अपंगता की पीड़ा दर्शाने के लिए दूरदर्शन वाले, दूरदर्शन के परदे पर एक फूली हुई आँख की बड़ी तस्वीर तथा अपाहिज व्यक्ति के होठों की कसमसाट अर्थात् कहने और न कहने की पीड़ा से उत्पन्न उस व्यक्ति के चेहरे की स्थिति को दिखाते है। वस्तुतः वे ऐसा पीड़ा को अधिक प्रदर्शित करने के लिए करते हैं।
    2. यह कथन कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता का है, जो तकनीकी निर्देश देते हुए कहता है कि उसे अपाहिज व्यक्ति और दर्शको, दोनों को ही एक साथ रुला देना है। अपाहिज व्यक्ति अपनी पीड़ा के कारण और दर्शक उसकी पीड़ा से प्रभावित होकर रो देगे, तभी कार्यक्रम को व्यावसायिक दृष्टि से सफल एवं लोकप्रिय माना जाएगा।
    3. 'परदे पर वक्त की कीमत है', ऐसा कहकर कार्यक्रम को प्रस्तुत करने वाला बताना चाहता है कि वह कितने महत्त्वपूर्ण संचार माध्यम में कार्य कर रहा है। समय की कमी टेलीविजन के महत्त्व को सूचित करती है। यह भी अपाहिज व्यक्ति और दर्शको, दोनों को ही उस क्रूरता से अनजान रखने का एक आकर्षक ढंग है, जो कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्त्ता, दूरदर्शन वालों द्वारा आपाहिज व्यक्ति के साथ पर्दे की आड़ में की जा रही है।