हरिबंश राय बच्चन - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

हरिबंश राय बच्चन


  1. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है में पक्षी तो लौटने को विकल है, पर कवि में उत्साह नहीं है। ऐसा क्यों?

  2. बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे? (एक गीत)

  3. नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना .... आत्मपरिचय कविता में बच्चन के इस कथन का कारण और आशय बताइए।

  4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×2=4)
    मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
    मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ,
    जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
    मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!

    1. रूपक अलंकार का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
    2. अनुप्रास के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।
  5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3 = 6)
    मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
    मैं कभी ने जग का ध्यान किया करता हूँ,
    जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
    मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!
    मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
    मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ।
    है यह अपूर्ण संसार न मुझको भाता
    मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ।

    1. कवि ने स्नेह को सुरा क्यों कहा है? संसार के प्रति उसके नकारात्मक दृष्टिकोण का क्या कारण है?
    2. संसार किनकी महत्व देता हैं? कवि को वह महत्व क्यों नहीं दिया जाता?
    3. उद्गार और उपहार कवि को क्यों प्रिय हैं?
  6. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    हो जाए न पथ मे रात कहीं
    मंजिल भी तो है दूर नहीं-
    यह सोच थका दिन का पंथी भी
    जल्दी-जल्दी चलता है।
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
    बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
    नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
    यह ध्यान पुरो मे चिड़ियो के
    भरता कितनी चंचलता है!
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं!
    मुझसे मिलने को कौन विकल?
    मैं होऊँ किसके हित चंचल?
    यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
    भरता उर में विह्वलता है!
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

    1. दिन का पंथी जल्दी-जल्दी चलता है, क्यों?
    2. चिड़ियों के परों में चंचलता किस कारण आती है?
    3. कवि की दशा 'दिन के पंथी' और 'चिड़ियों' से भिन्न क्यों है?

CBSE Test Paper 01
हरिबंश राय बच्चन


Solution

  1. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है में पक्षियों को पता है कि घोंसलें में बच्चे उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। अपने बच्चों का स्मरण होने के कारण वे अपने घोंसले में पहुँचने के लिए व्याकुल हैं। इसके विपरीत कवि के घर पर उसकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं है, उससे मिलने के लिए न कोई व्याकुल है और न ही कोई उत्कंठित है इसलिए वह किसके लिए शीघ्रता करे? अतः पक्षी तो लौटने को विकल हैं, पर कवि में कोई उत्साह नहीं है। अपने जीवन के  खालीपन और प्रेम के अभाव को देख कर कवि का मन उदास हो जाता है और उसके कदम शिथिल पड़ जाते हैं। 
  2. पक्षियों के बच्चे दिनभर अपनी माॅं की प्रतीक्षा में इस आशा से नीड़ो से झाॅंकते रहते हैं कि शाम को लौटते समय वे उनके लिए भोजन लेकर आएगी और उन्हें ममता का मधुर स्पर्श प्रदान करेगी। पक्षियों के बच्चों ने उड़ना नहीं सीखा है इसलिए वे दिन ढले साँझ होने तक भोजन की तलाश में गए माता - पिता की प्रतीक्षा करते रहते हैं। 
  3. दाना का अर्थ है- सांसारिक पदार्थ और धन-वैभव तथा अन्य भोग्य सामग्री। कवि कहता है कि संसार में ऐसे  लोग रहते हैं। जो अपना समय  सांसारिक पदार्थों के उपभोग करने और उन्हें इकट्ठा करने में  लगा देते हैं अर्थात दाना चुगने में लगे रहते हैं और व्यर्थ में अपना समय बिता देते हैं। कवि ने ऐसे लोगों को नादान कहा है। 
    1. 'स्नेह-सुरा’ पद में रूपक अलंकार का सुंदर प्रयोग है। इसमें स्नेह के लिए 'सुरा' उपमान का प्रयोग किया गया है। प्रेम में भी सुरा के समान मादकता होती है। अतः यहाँ स्नेह रूपी सुरा का प्रयोग किया गया है अर्थात कवि स्नेह रूपी सुरा का सेवन करके सांसारिक झंझटों से मुक्ति पाना चाहता है। 
    2. 'स्नेह सुरा', 'जो जग' , 'किया करता'  में वर्ण 'स', ज  एव 'क' की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है। 
    1. कवि ने ‘स्नेह’ को ‘सुरा’ इसलिए कहा है क्योंकि वह प्रेम की मादकता में डूब गया है। इसी  मादकता के कारण उसे सांसारिक कष्टों की परवाह नही रहती।
    2. संसार उन्हें महत्त्व देता है जो सांसारिकता को ही सर्वोत्तम मानते हैं। कवि झूठी सांसारिकता से दूर रहता है इसलिए संसार कवि को महत्व नहीं देता है।
    3. कवि को उद्गार इसलिए पसंद है क्योंकि इस उद्गार में उसके मन के भाव समाए हुए हैं, जिन्हें वह दुनिया को देना चाहता है। उसे उपहार इसलिए पसंद हैं क्योंकि उसके हृदय रूपी उपहार में कोमल भाव और नए सपने  समाए हुए हैं।
    1. दिन का पंथी जल्दी-जल्दी चलता है क्योकि वह सोचता है कि रास्ते में कहीं रात न हो जाए और मंजिल समीप ही है ऐसा सोच कर दिनभर का थका हुआ यात्री मजिल तक शीघ्र पहुँचने हेतु जल्दी-जल्दी चलता है।
    2. चिड़ियो के पंखों  मे आई चंचलता और तेजी का कारण यह है क्योकि उस के बच्चे भूखे है इसलिए दिन ढलने से पहले जल्दी-से-जल्दी अपने बच्चों के पास पहुँचकर उन्हें भोजन, स्नेह और सुरक्षा देना चाहती है। यह भावना उसकी ममता का भी प्रतीक है। 
    3. कवि की दशा ‘दिन के पंथी' और 'चिड़ियो' से भिन्न इसलिए है क्योकि दिन का पंथी रात होने के भय से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है, जबकि 'चिड़िया' दिन ढलने से पहले जल्दी-से-जल्दी अपने बच्चों के पास पहुँचकर उन्हें भोजन, स्नेह और सुरक्षा देना चाहती है, जबकि कवि  के जीवन में प्रेम का अभाव है, कोई उससे मिलने की कोई प्रतीक्षा नहीं कर रहा था ऐसा सोचकर वह अपनी शिथिल गति से चुपचाप चलता रहता है।