फ़िराक़ गोरखपुरी - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

फ़िराक़ गोरखपुरी


  1. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है? (रुबाईयाँ)

  2. टिप्पणी करें- गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।

  3. फिराक गोरखपुरी की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप की स्वाभाविकता और सात्विकता के अनूठे चित्र चित्रित हुए हैं –पाठ्यपुस्तक में संग्रहीत रुबाइयों के आधार पर उत्तर दीजिए।

  4. किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं - इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।

  5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×2=4)
    आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
    हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
    रह-रह के हवा में जो लोका-देती है
    गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
     

    1. काव्यांश किस छंद में है? लक्षण बताइए।
    2. काव्यांश में रूपक अलंकार के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
  6. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
    मेरा परदा खोलें हैं या अपना परदा खोले हैं

    1. निंदा करने वाले दूसरों की निंदा के साथ-साथ अपनी निंदा स्वयं कर जाते हैं, कैसे?
    2. निंदक किन्हें कहते हैं? वे किसे बदनाम करना चाहते हैं?
    3. कवि कुछ लोगों को सचेत क्यों करना चाहता है?
  7. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (2×3=6)
    जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
    मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं
    ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास
    तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ले हैं
    तेरे गम का पासे-अदब है कुछ दुनिया का ख्याल भी है
    सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं 

    1. बदनाम करने वाले क्या नहीं सोचते?
    2. कवि ने किसकी कीमत अदा किया है?
    3. कवि छिपकर रोने की बात क्यों करता है?

CBSE Test Paper 01
फ़िराक़ गोरखपुरी


Solution

  1. खुद का परदा खोलने से कवि का आशय स्वयं की बुराइयों या कमजोरियों को प्रकट करना है। कवि के अनुसार जो व्यक्ति उनकी बुराई करता है वह जाने-अनजाने संसार के सामने अपनी ही कमज़ोरी ही प्रकट करता है। दूसरों की निंदा करते-करते व्यक्ति कब अपने राज बता देता है उसे स्वयं पता नहीं चलता।

  2. गोदी का चाँद अर्थात् बच्चा माँ को हर्षित करता है और गगन का चाँद बच्चे को यानी गोदी के चाँद को हर्षित करता है। प्रत्येक माॅं के लिए उसका बच्चा चाॅंद के समान सुन्दर और प्रिय होता है और बच्चे को चन्द्रमा आकर्षित करता है,वह उसे अपने हाथों में लेना चाहता है। इस प्रकार माँ के लिए उसका बच्चा चाँद है अर्थात् प्यारा है और बच्चे के लिए गगन का चाँद प्यारा है।

  3. फिराक की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप का स्वाभाविक चित्रण मिलता है। माँ अपने शिशु को आँगन में लिए खड़ी है। वह उसे झुलाती है। बच्चे को नहलाने का दृश्य दिल को छूने वाला है। दीवाली व रक्षाबंधन पर जिस माहौल को चित्रित किया गया है। वह आम जीवन से जुड़ा हुआ है। बच्चे का किसी वस्तु के लिए जिद करना तथा उसे किसी तरह बहलाने के दृश्य सभी परिवारों में पाए जाते हैं।

  4. कवि को निराशा के क्षणों में ऐसा लगता है कि किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। कवि कहता है किअसफल होने पर मैं किस्मत पर रोता हूँ और किस्मत मुझे उदास देखकर रोती है कि वह मेरे लिए कुछ सार्थक नहीं कर पाई। इस प्रकार मैं और किस्मत दोनों एक जैसे हैं। दोनों एक दूसरे की असफलता,अभावों और विवशता पर रोते हैं।

    1. काव्यांश रुबाई छंद में है। यह उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली होती है। इसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है।
    2. काव्यांश में 'चाँद के टुकड़े' में रूपक अलंकार है, जिसमें महिला के बच्चे के रूप सौंदर्य को चाँद के टुकड़े के समान बताया गया है।
    1. निंदक किसी की बुराइयाँ जब दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं तो उससे उनकी अपनी कमियाँ स्वयं प्रकट हो जाती हैं। इस प्रकार वे अपनी कमी स्वयं प्रकट कर देते हैं।
    2. निंदक वे लोग होते हैं जो अकारण दूसरों की कमियों को बिना सोचे-समझे दूसरों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। ऐसे लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं।
    3. कवि कुछ लोगों को इसलिए सचेत करना चाहता है क्योंकि जो लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं, उन्हें इतना समझना चाहिए कि इस कार्य से वे अपने रहस्य अर्थात अपनी भी कमी दूसरों को बता रहे हैं।
    1. बदनाम करने वाले अपने बारे में नहीं सोचते ऐसे लोगों को यह पता नहीं होता है कि वे जो कर रहे हैं, उससे वे कवि की बदनामी न करके खुद की पोल खोल रहे हैं।
    2. कवि ने अपने प्रेम की कीमत अपनी दीवानगी से अदा किया है। कवि मानता है कि वह पूरे होश में यह सौदा कर रहा है। उसने स्वयं को इश्क में पूरी तरह समर्पित कर दिया है।
    3. कवि दुनिया का लिहाज भी रखता है। उसे अपनी प्रेमिका के सम्मान की भी चिंता है। विरह के दर्द को कवि छिपाना चाहता है, किंतु छिपा नही पाने के कारण चुपके से दुनिया की नजरों से छिपकर रोता है।