धर्मवीर भारती - CBSE Test Papers

 CBSE Test Paper 01

धर्मवीर भारती


  1. काले मेघा पानी दे पाठ में लेखक को क्यों लगता है कि आज हम देश के लिए कुछ नहीं करते?

  2. हम आज देश के लिए करते क्या हैं कथन के द्वारा लेखक धर्मवीर भारती देशवासियों को किस बात की याद दिला रहा है? उस बात को हम पूरा क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

  3. नदियों का भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्व है?

  4. पानी दे, गुड़धानी दे, मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

  5. इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

  6. मेंढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक धर्मवीर भारती और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी?

  7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (2×3=6)
    मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमारसुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था-सी समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस में तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे। और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हें कुमारसुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था, और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था।

    1. लेखक बचपन में क्या काम करता था?
    2. लेखक अंधविश्वासों को मानने के लिए क्यों विवश होता था?
    3. अंधविश्वासों के खिलाफ तरकस में तीर रखकर घूमने का आशय क्या हैं?

CBSE Test Paper 01
धर्मवीर भारती


Solution

  1. आज हम बस बातेंं ही करते रहते है कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। हमारी माँगे तो बड़ी-बड़ी है, किंतु व्यक्तिगत रूप से हम देश के लिए कुछ भी नहीं करते हैं।
  2. आज हम बस बातें ही करते रहते है, हमारी माँगे तो बड़ी-बड़ी हैं, किंतु व्यक्तिगत रूप से हम देश के लिए कुछ भी नहीं करते हैं। लेखक देश के प्रति हमारे कर्त्तव्य की याद दिला रहा है।
  3.  भारतीय संस्कृति में नदियों के किनारे मानव सभ्यताएँ फली-फूली हैं। बड़े-बड़े नगर तीर्थस्थान नदियों के किनारे ही स्थित हैं ऐसे परिवेश में भारतवासी सबसे पहले गंगा मैया की जय ही बोलेंगे। नदियाँ हमारे जीवन का आधार हैं, हमारा देश कृषि प्रधान है। नदियों के जल से ही भारत भूमि हरी-भरी है। नदियों के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते, यही कारण है कि हम भारतीय नदियों की पूजा करते हैं।
  4. गुड़धानी अनाज और गुड़ के मिश्रण को कहते हैं। यहाँ पर गुड़धानी से तात्पर्य अच्छी फसल से है। हमारी अर्थव्यस्था कृषि पर आधारित है,  और कृषि वर्षा पर निर्भर होती है, अच्छी वर्षा से फसल भी अच्छी होगी इसलिए पानी के साथ गुड़धानी की माँग की जा रही है। यहाॅं गुड़धानी प्रसन्नता और खुशहाली का प्रतीक भी है।
  5. भारतीय समाज-संस्कृति में गंगा सबसे पूजनीय नदी और जल का आदिम स्रोत्र  मानी जाती है। जिसका इतिहास में धार्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। वह भारतीयों के लिए केवल एक नदी नहीं अपितु माँ है। उसमें पानी नहीं अपितु अमृत तुल्य जल बहता है। भारतीय संस्कृति में नदियों के किनारे ही अधिकांश मानव सभ्यताएँ फली-फूली हैं। बड़े-बड़े नगर, तीर्थस्थान नदियों के किनारे ही स्थित हैं ऐसे परिवेश में भारतवासी सबसे पहले गंगा मैया की जय ही बोलेंगे और इसलिए इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है।
  6. मेंढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक का विचार था कि यह पानी की घोर बबांदी है। भीषण गर्मी में जब पानी पीने को नहीं मिलता हो तो दूर-दराज से लाए गए पानी को इस मंडली पर फेंकना देश के संसाधनों का नुकसान है। इसके विपरीत जीजी इसे पानी की बुवाई मानती हैं। वे कहती हैं कि सूखे के समय अगर हम अपने घर का पानी इंदर सेना पर फेंकते हैं, तो यह भी एक प्रकार की बुवाई है। यह पानी गलियों में बोया जाता है जिसके बदले में गाँव, शहर, कस्बों में बादलों की फसल आ जाती है।
    1. लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों से प्रभावित था। वह कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री था। वह अंधविश्वासों के खिलाफ़ प्रचार करता था। वह मेढक-मंडली को नापसंद करता था।
    2. जीजी तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों को मानती थीं तथा वे उन सबके विधि-विधान लेखक से पूरा करवाती थीं। रक्त संबंध न होते हुये भी वे लेखक को बहुत चाहती थीं। उनके इसी लगाव के कारण लेखक को उन अंधविश्वासों को मानने के लिए विवश होना पड़ता था।
    3. अंधविश्वासों के खिलाफ़ तरकस में तीर रखकर घूमने का आशय है- अंधविश्वासों के खिलाफ़ जन-जागृति फैलाते हुए उन्हें समाप्त करने का प्रयास करना।