सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (केवल पढ़ने के लिये) - पुनरावृति नोट्स
सीबीएसई कक्षा - 12 हिंदी कोर आरोह
पाठ – 07
बादल राग
पाठ के सार:-
निराला की यह कविता अनामिका में छह खंडों में प्रकाशित है। यहाँ उसका छठा खंड लिया गया है| आम आदमी के दुःख से त्रस्त कवि परिवर्तन के लिए क्रांति रुपी बादल का आह्वान करता है| इस कविता में बादल क्रांति या विप्लव का प्रतीक है। कवि विप्लव के बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि जन मन-की आकांक्षाओं से भरी तेरी नाव समीर रूपी सागर पर तैर रही है। अस्थिर सुख पर दुःख की छाया तैरती दिखाई देती है। संसार के लोगों के हृदय दग्ध हैं (दुःखी)। उन पर निर्दयी विप्लव अर्थात् क्रांति की माया फैली हुई है। बादलों के गर्जन से पृथ्वी के गर्भ में सोए अंकुर बाहर निकल आते हैं। अर्थात शोषित वर्ग सावधान हो जाता है और आशा भरी दृष्टि से क्रांति की ओर देखने लगता है। उनकी आशा क्रांति पर ही टिकी है। बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े बड़े-पर्वत वृक्ष घबरा जाते हैं। उनको उखड़कर गिर जाने का भय होता है| क्राति की हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं वे दिल थाम कर रह जाते हैं। क्रांति को तो छोटे-छोटे लोग बुलाते हैं। जिस प्रकार छोटे छोटे पौधे हाथ हिलाकर-बादलों के आगमन का स्वागत करते हैं वैसे ही शोषित वर्ग क्रांति के आगमन का स्वागत करता है।
छायावादी कवि निराला साम्यवादी प्रभाव से भी जुड़े हैं। मुक्त छंद हिन्दी को उन्हीं की देन है। शोषित वर्ग की समस्याओं को समास करने के लिए क्रांति रूपी बादल का आह्वान किया गया है।