शीतयुद्ध का दौर - पुनरावृति नोट्स

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
पाठ-1 शीतयुद्ध का दौर

  • समकालीन विश्व राजनीति द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक की वैश्विक घटनाओं केअध्ययन का विषय है।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस तथा सोवियत संघ जिन्हें मित्र राष्ट्र कहा गया ने विजय प्राप्त की तथा जर्मनी, इटली तथा जापान जिन्हें धुरी राष्ट्र कहा गया, इनकीयुद्ध में हार हुई।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 से 1990 तक की वह तनावपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थितिजो संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच रही, को शीत युद्ध कहा गया।
  • किसी भी शक्ति गुट में बिना शामिल हुए अपनी नीतियों का अनुसरण करना गुटनिरपेक्षता तथाकिसी भी पक्ष में युद्ध में भाग न लेना तटस्थता की नीति कहलाई।

स्मरणीय बिंदु:
  1. प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला था, जिसने सम्पूर्ण विश्व को दहला दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक मित्र राष्ट्रों और धुरी राष्ट्रों के बीच हुआ, जिसमें केवल यूरोपीय देश ही नहीं, अपितु दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, बर्मा तथा भारत के पूर्वोत्तर भाग भी शामिल थे।
  2. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दो महाशक्तियाँ अमरीका और सोवियत संघ उभरकर सामने आए, जिन्होंने एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका के नव स्वतंत्र देशों को अपने खेमे में लेने की कोशिश की।
  3. शीतयुद्ध, युद्ध न होते हुए युद्ध की परिस्थितियाँ थीं; जिसमें वैचारिक घृणा, राजनीतिक अविश्वास, कूटनीतिक जोड़-तोड़, सैनिक प्रतिस्पर्धा, जासूसी, प्रचार, राजनीतिक हस्तक्षेप, शस्त्रों की दौड़ जैसे साधनों का प्रयोग किया गया था।
  4. शीतयुद्ध काल में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति दो विरोधी गुटों या विचारधारा (अमरीकी गुट तथा सोवियत गुट-पूँजीवादी तथा साम्यवादी) में विभाजित हो गई थी।
  5. शीतयुद्ध काल में नाटो, सिएटो तथा वारसा पैक्ट जैसे सैनिक गुटों का निर्माण किया गया।
  6. विकासशील या नव स्वतंत्र राष्ट्रों ने शीतयुद्ध से अलग रहने के लिए गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई।
  7. 1961 में यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में भारत की अगुवाई पर गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की शुरुआत अन्य देशों जैसे-घाना, मिस्र के साथ मिलकर की गई।
  8. विकासशील देशों ने विकासशील देशों की विकसित देशों पर निर्भरता को कम करने के लिए 1970 में नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की।
  9. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन और नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था, द्विध्रुवीय विश्व के सामने एक चुनौती बन कर आए थे।
  10. आपसी सहयोग और विकास के लिए उत्तर-दक्षिण संवाद तथा दक्षिण-दक्षिण सहयोग जैसे संवाद को आरम्भ किया गया।
  11. शीतयुद्ध के दौरान भारत ने विकासशील देशों को गुटनिरपेक्षता जैसा एक मंच प्रदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  12. शीतयुद्ध के दौरान परमाणु युद्ध की संभावना बनी हुई थी, लेकिन दोनों शक्तियों में शक्ति-संतुलन ने युद्ध को वास्तविक रूप लेने से रोका।
  13. शीतयुद्ध की कुछ घटनाएँ, जिन्होंने तृतीय विश्व युद्ध की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था- क्यूबा मिसाइल संकट, कोरिया युद्ध, अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप, सोवियत संघ द्वारा परमाणु परीक्षण आदि।
  14. शीतयुद्ध के दौरान नि:शस्त्रीकरण के प्रयत्न स्वरूप विभिन्न सन्धियाँ व समझौते किए गए।
  15. शीतयुद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्रसंघ भी शीतयुद्ध की राजनीति से काफी प्रभावित था। कोई भी निर्णय लेना आसान नहीं था, क्योंकि दोनों गुट एक-दूसरे के विरोधी थे।
सैन्य-सन्धि संगठन-
  • दोनों महाशक्तियों ने अपनी शक्ति वृद्धि हेतु सैन्य संगठन बनाये। अप्रैल 1949 में (उत्तर अटलांटिक सन्धि संगठन) नाटो, अमेरिका द्वारा लोकतंत्र को बचाना, 1954 में दक्षिण पूर्वएशियाई सन्धि संगठन (सीटों) अमेरिका नेतृत्व-साम्यवाद प्रसार रोकना, 1955 में बगदाद पैक्टया केन्द्रीय सन्धि संगठन अमेरिकी नेतृत्व-साम्यवाद रोकना, 1955 वारसा सन्धि सोवियत संघनेतृत्व।
  • अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाते हुए तथा उनसे प्राप्त अन्य लाभों को देखते ही महाशक्तियाँ छोटे देशों को साथ रखना चाहती थी।
  • छोटे देश भी सुरक्षा, हथियार और आर्थिक मदद की दृष्टि से महाशक्तियों से जुड़े रहना चाहते थे।
  • परमाणु सम्पन्न होने के कारण दोनों ही महाशक्तियों में रक्त रंजित युद्ध के स्थान पर प्रतिद्धन्द्धिता तथा तनाव की स्थिति बनी रही। जिसे शीत युद्ध कहा गया।
महाशक्तियों को छोटे देशों से लाभ-
  1. छोटे देशों के प्राकृतिक संसाधन प्राप्त करना।
  2. सैन्य ठिकाने स्थापित करना।
  3. आर्थिक सहायता प्राप्त करना।
  4. भू-क्षेत्र (ताकि महाशक्तियाँ अपने हथियारों और सेना का संचालन कर सके।)
शीतयुद्ध के दायरे (विवाद क्षेत्र)-
  • 1948 - बर्लिन की नाके बन्दी
  • 1950 - कोरिया संकट
  • 1954 - में वियतनाम में अमेरिका हस्तक्षेप
  • 1962 - क्यूबा मिसाइल संकट
  • 1971 - भारत-पाक युद्ध
  • 1979 - अपफगानिस्तान में सोवियत संघ का हस्तक्षेप
दो ध्रुवीयता को चुनौती:-
  • गुटनिरेपेक्षता- भारत के जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के अब्दुल गमाल नासिर, युगोस्लाविया के टीटो, इण्डोनेशिया के सुकर्णों, घाना के वामें एनक्रुमा ने 1961 में युगोस्लाविया के बेलग्रेड में 25 सदस्यों के साथ इस संगठन की स्थापना की। जुलाई 2009 में गुट निरपेक्ष देशों का 15वां सम्मेलन मिस्र में हुआ जिसमें इसकी सदस्य संख्या 118 तथा 15 देश पर्यवेक्षक है | पर्यवेक्षक संगठनों की संख्या 9 है।
  • नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था- गुट निरपेक्ष देशों ने 1972 में संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास से सम्बंधित सम्मेलन (UNCT AD) में विकास के लिए ‘एक नई व्यापार नीति की ओर’ एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया ताकि विकसित देशों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा गरीब देशों का आर्थिक शोषण समाप्त हो सकें।
  • भारत व शीत युद्ध- भारत ने नव स्वतंत्र देशों की अगुवाई की। भारत ने USA तथा USSR से अच्छे संबंध रखने की कोशिश राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता के साथ की।
  • 17 वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन का आयोजन वेनेजुएला के 'भार्गारिता द्वीप में सितम्बर, 2016 की किया गया। वर्तमान में इस आंदोलन के सदस्यों की संख्या 120 है। साथ ही साथ वर्तमान से इसके 17 देश तथा 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठन पर्यवेक्षक है इस शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र सुधार, पश्चिम एशिया की स्थिति, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों, जलवायु परिर्वतन, सतत विकास शारणार्थी समस्या और परमाणु निशस्त्रीकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
  • नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (N.I.E.O) 1972 में U.N.O के व्यापार एवम् विकास आंदोलन (UNCTAD) में विकास के लिए एक नई व्यापार नीति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया ताकि धनी देशों द्वारा नव स्वतन्त्र गरीब देशों का शोषण न हो सके।
    टुवार्ड्स अ न्यू ट्रेड पॉलिसी फॉर डेवलेपमेंट (विकास के लिए नई व्यापारिक नीति की ओर) एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
शस्त्र नियन्त्रण संन्धि-
  • L.T.B.T. – Limited Test Ban Treaty 05-10-1963, जल, वायुमण्डल, बाह्य अंतरिक्ष में परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध्।
  • N.P.T – Nuclear Non – Proliferation Treaty 01-7-1968, इसमें जनवरी 1967 से पूर्ण परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र के अलावा कोई अन्य देश परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा।
  • SALT – Strategic Arms Limitation Talk-I-मई 1972 व SALT-II-जून 1972, घातक प्रतिरक्षा हथियार परिसीमन।
  • START – Strategic Arms Reeducation Treaty I-July 1991 and STAR-II-January 1993 - सामरिक अस्त्र परिसीमन न्यूनीकरण सन्धि |
नए स्वतंत्र देश (तीसरी दुनिया) ने गुट निरपेक्षता की नीति का अनुसरण किया क्योंकि-
  • नव-स्वाधीन राष्ट्र जानते थे कि सैनिक गुट उनकी स्वाधीनता व शांति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर देंगे।
  • नव-स्वाधीन राष्ट्र जानते थे कि सैनिक संगठनों को बढ़ावा देने से अस्त्र-शस्त्र के निर्माणों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे विश्व शांति को खतरा पैदा होगा।
  • इन देशों के सामने सामाजिक और आर्थिक पुनर्निर्माण की एक भारी जिम्मेदारी थी और इस कार्य को युद्ध एवं तनावों से मुक्त वातावरण में ही पूरा किया जा सकता था।
  • शक्ति संगठन का सदस्य बनने से उन्हें संगठनों के बनाए गए नियमों पर चलना पड़ता, इसलिए तटस्थ रहे।
शीतयुद्ध का घटनाक्रम-
  1. 1947- साम्यवाद को रोकने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति ट्रूमैन का सिद्धान्त।
  2. 1947-52- मार्शल प्लान-पश्चिमी यूरोप के पुनर्निर्माण में अमरीका की सहायता।
  3. 1948-49- सोवियत संघ द्वारा बर्लिन की घेराबंदी। अमरीका और उसके साथी देशों ने पश्चिमी बर्लिन के नागरिकों को जो आपूर्ति भेजी थी, उसे सोवियत संघ ने अपने विमानों से उठा लिया
  4. 1950-53- कोरियाई युद्ध
  5. 1954- वियतनामियों के हाथों दायन बीयन फू में फ्रांस की हार; जेनेवा पर हस्ताक्षर: 17वीं समानांतर रेखा द्वारा वियतनाम का विभाजन और सिएटी (SEATO) का गठन।
  6. 1954-75- वियतमान में अमरीकी हस्तक्षेप।
  7. 1955- बगदाद समझौते पर हस्ताक्षर (बाद में इसका नाम सेन्टो (CENTO) रख दिया।
  8. 1956- हंगरी में सोवियत संघ का हस्तक्षेप।
  9. 1961- क्यूबा में अमरीका द्वारा प्रायोजित 'बे ऑफ़ पिग्स' आक्रमण।
  10. 1961- बर्लिन दीवार खड़ी की गई।
  11. 1962- क्यूबा का मिसाइल संकट।
  12. 1965- डोमिनिकन रिपब्लिक में अमरीकी हस्तक्षेप।
  13. 1968- चेकोस्लोवाकिया में सोवियत हस्तक्षेप।
  14. 1972- अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन का चीन दौरा।
  15. 1978-89- कंबोडिया में वियतनाम का हस्तक्षेप।
  16. 1985- गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने; सुधार की प्रक्रिया आरंभ की।
  17. 1989- बर्लिन की दीवार गिरी; पूर्वी यूरोप की सरकारों के विरुद्ध लोगों का प्रदर्शन।
  18. 1990- जर्मनी का एकीकरण।
  19. 1991- सोवियत संघ का विघटन; शीत युद्ध की समाप्ति।