शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 8 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिन्दु-
  1. शारीरिक व शरीर क्रियात्मक पैरामीटर्स पर आधारित लिंग भेद
  2. शारीरिक क्षमता (पुष्टि) के घटकों को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक (फिजियोलोजिकल) कारक।
  3. हृदयवाहिका तन्त्र पर व्यायाम को प्रभाव
  4. श्वसन तन्त्र पर व्यायाम को प्रभाव
  5. मांसपेशी तन्त्र पर व्यायाम को प्रभाव
  6. बुढ़ापे में शरीर क्रियात्मक परिवर्तन
  7. वृद्धावस्था की प्रक्रिया पर नियमित व्यायाम का प्रभाव

  1. लिंग भेद का तुलनात्मक अध्ययन
    पुरुष व महिलाओं के बीच मुख्य रचनात्मक अन्तर
    पैरामीटर्स
    पुरुष
    स्त्री
    ऊँचाई
    ज्यादा
    कम
    बॉडी मास
    ज्यादा
    कम
    बॉडी वसा
    ज्यादा
    कम
    अस्थि संस्थान
    सिर, चेहरा
    बड़ा
    छोटा
    अंग
    पेट, गुर्दे, लिवर, थायरॉयड ग्रंथि
    छोटी
    बड़ी
    शारीरिक पुष्टि के तत्व-
    शक्ति
    50% से ज्यादा
    कम
    सहनक्षमता
    ज्यादा
    कम
    गति
    ज्यादा
    कम
    लचक
    कम
    ज्यादा
    तालमेल तथा समन्वय
    कम
    ज्यादा
    शरीर क्रियात्मक (Physiological components)
    1. मांसपेशीय संस्थान
    मांसपेशी, मॉस, आकार
    ज्यादा
    कम
    चयापचय दर
    कम
    ज्यादा
    2. परिसंचरण तंत्र
    हृदय आकार
    बड़ा
    छोटा
    वाइटल कैपेसिटी, Vo2max स्ट्रोक आयतन, पुर्नवास
    ज्यादा
    कम
    रक्तचाप
    कम
    ज्यादा
    धड़कन
    कम (70-72/min)
    ज्यादा (72–80/min)
    3. शवसान तंत्र
    फेफड़ों का आकार
    बड़ा
    छोटा
    वायु कोष्ठिकांए, टाइडल वॉल्यूम अवशिष्ट वायु
    ज्यादा
    कम
  2. शारीरिक क्षमता के घटकों को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक
    शक्ति, गति, सहनक्षमता व लचक शारीरिक क्षमता के प्रमुख घटक है। इनकी शक्ति को निर्धारित करने वाले कारकों को चार्ट में दर्शाया गया है।
    शारीरिक क्षमता
    1. शक्ति
      • मांसपेशियों की मोटाई
      • मांसपेशीय संरचना
      • शरीर का भार
      • तंत्रिका आवेग की प्रबलता
      • मांसपेशी को ऊर्जा की आपूर्ति
      • मांसपेशियों का तालमेल
    2. गति
      • तंत्रिका तंत्र की गतिशीलता
      • विस्फोटक शक्ति
      • मांसपेशियों की सरंचना व तालमेल
      • लचक
      • जैव रासायनिक भण्डार व उपापचय शक्ति
    3. सहन क्षमता
      • एरोविक क्षमता
      • अनएरोविक क्षमता
      • गति मितव्यता
      • मांसपेशीय संरचना
    4. लचक
      • जोड़ो की बनावट
      • लिगामेंटस
      • मांसपेशियों का खिंचाव
      • समवन्य
      • आयु व लिंग
  3. हृदय वाहिका तन्त्र पर व्यायाम का प्रभाव- हृदय वाहिका संस्थान का कार्य मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन तथा पोषक तत्वों को पहुँचाना है। ताकि ऊर्जा का निर्माण हो सके और व्यर्थ पदार्थ निकाले जा सके।
    हृदय वाहिका तन्त्र (CVS) पर व्यायाम को प्रभाव
    1. तत्कालिक प्रभाव
      • हृदय गति में वृद्धि
      • आघात आयतन (Strock volume) में वृद्धि
      • हृदय निकास में वृद्धि
      • रक्त प्रवाह में वृद्धि
      • रक्त दाव में वृद्धि
    2. दीर्घकालीन प्रभाव
      • हृदय दर में कमी
      • आघात आयतन व हृदय निकास में वृद्धि
      • हृदय के आकार व वजन में वृद्धि
      • धमनियों व महाधमनियों के व्यास में वृद्धि
      • रक्त दाव में कमी
      • शीघ्रक्षति पूर्ति दर
      • हृदय रोगों का जोखिम कम
      • थकान का कम होना
  4. श्वसन तन्त्र पर व्यायाम के प्रभाव
    श्ववसन तत्र पर व्यायाम का प्रभाव
    1. दृढ़ इच्छा शक्ति
    2. टाइडल वायु की क्षमता में वृद्धि
    3. श्वसन क्रिया दर में कमी
    4. डायाफ्राम और मांसपेशियों में मजबूती
    5. दूसरे श्वास में देरी
    6. बीमारियों से बचाव
    7. सहन शक्ति में वृद्धि
    8. असक्रिय वायु-कौष्ठिकाएँ सक्रिय होना
    9. सहन शक्ति में वृद्धि
    10. अवशिष्ट वायु के आयतन में वृद्धि
    11. फेफड़ो और छाती के आकार में वृद्धि
    12. प्रावधार क्षमता में वृद्धि
  5. व्यायाम का मांसपेशीय तन्त्र पर प्रभाव
    • मांसपेशीयो का आकार बढ़ता है
    • ककांल पेशी अतिवृद्धि
    • मांसपेशीयों की अधिक ऊर्जा की पूर्ति
    • प्रतिक्रिया समय में सुधार
    • कोशिका नलिकाओं का निर्माण (Capillarisation)
    • वसा में कमी
    • मांसपेशीय सहन क्षमता
    • आसन
    • अतिरिकत वसा पर नियंत्रण
    • थकान में देरी
    • खाद भंडारण में वृद्धि
    • शक्ति तथा गति
  6. वृद्धावस्था के कारण शरीर क्रियात्मक परिवर्तन
    वृद्धावस्था/ बुढ़ापा उम्र की वह अवस्था है जिसमें अंगों व तन्त्रों की कार्यक्षमताओं में अत्यन्त धीमी गति से गिरावट आती है।
    • मांसपेशियों के तनाव, लम्बाई, आकार व शक्ति में कमी
    • अस्थि घनत्व में कमी
    • श्वसन प्रणाली की क्षमता में कमी
    • तन्त्रिका/स्नायु तन्त्र में शिथिलता
    • उपापचय दर में कमी
    • हृदय वाहिका तन्त्र की क्षमता में कमी
    • पाचन तन्त्र की क्षमताओं में कमी
    • उत्सर्जन तन्त्र की क्षमताओं में कमी
    • ज्ञानेन्द्रियी की क्षमताओं में कमी
    • लचक में कमी
  7. वृद्धावस्था की प्रक्रिया पर व्यायाम की भूमिका
    1. वृद्धावस्था में मांसपेशी तन्त्र में परिवर्तन
    2. अस्थि (ककाल) के घनत्व को बनाए रखना
    3. हृदयवाहिनी तथा रक्त परिसंचरण तन्त्र रोगों से रोकथाम
    4. शक्ति व लचक में सुधार
    5. श्वसन तन्त्र के कार्यक्षमता में सुधार
    6. तन्त्रिका या स्नायु तन्त्र की कार्य क्षमता में सुधार
    7. मानसिक व सामाजिक स्वास्थ्य में सुधार
    8. आयु संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करना
      1. मधुमेह
      2. मोटापा
      3. उच्च रक्त-चाप
      4. LDL - Bad Cholesterol
    9. मस्तिष्क कार्यकुशलता में वृद्धि