सामाजिक संस्थाओं को समझना - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

कक्षा 11 समाजशास्त्र
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ - 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना

1. ज्ञात करें कि आपके समाज में विवाह के कौन-से नियमों का पालन किया जाता है। कक्षा में अन्य विद्यार्थियों द्वारा किए गए प्रेक्षणों से अपने प्रेक्षण की तुलना करें तथा चर्चा करें।
उत्तर- भारतीय समाज में विवाह निर्धारित नियमों के द्वारा सम्पन्न किया जाता है।भारतीय समाज में विवाह, पुरुषों एवं स्त्रियों के लिए पारिवारिक जीवन में प्रवेश के लिए यह एक संस्था है। हमारे समाज में विवाह केवल अनुबंध ही नहीं हैं, अपितु यह एक समग्र संबंध है। इसमें निष्ठा, एक-दूसरे के प्रति वचनबद्धता, भावनात्मक उलझन,आर्थिक लगाव तथा उत्तरदायित्व सम्मिलित है। यह स्थायी संबंध हैं, जिसमें पुरुष और स्त्री बच्चों की प्राप्ति के लिए सामाजिक तौर पर वचनबद्ध हैं। उन्हें यौन-संबंधों के अधिकार का प्रयोग कर बच्चे प्राप्त करने का अधिकार है।
भारतीय समाज में विवाह विपरीत लिग के दो विशिष्ट व्यक्तियों के मध्य स्वीकृत हैं। जाति और धर्म के संदर्भ में पारंपरिक रूढ़िवादी परिवारों में जीवन-साथी के चुनाव पर निश्चित प्रतिबंध हैं। भारतीय समाज में व्यवस्थित विवाह का प्रचलन है। हालाँकि स्त्री-शिक्षा, समाज सुधार, भूमण्डलीकरण, शहरीकरण, औद्योगीकरण और विभिन्न कानूनी संशोधनों; जैसे-नारी सशक्तिकरण तथा सम्पत्ति अधिकार के कारण हमारे समाज में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं।
युवा पीढ़ी वैसे व्यक्ति के साथ विवाह करने में संकोच अनुभव करती है, जिसको उसने पहले कभी देखा नहीं हैं या जिससे पहले मिला नहीं है, जिसके मूल्य, अभिकल्पना, व्यवहार, विश्वास के संबंध में उसे जानकारी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में युवा वर्ग के द्वारा दवाब महसूस किया जाता हैं। समकालीन समय में एकल परिवार ने संयुक्त परिवार का स्थान ग्रहण कर लिया है और माता-पिता को सामाजिक सहायता भी उपलब्ध नहीं है। अतः जहाँ तक विवाह जैसी संस्था की बात है, भारतीय समाज में यह संक्रमण काल हैं।

2. ज्ञात करें कि व्यापक संदर्भ में आर्थिक, राजनीतिक और सास्कृतिक परिवर्तन होने से परिवार में सदस्यता, आवासीय प्रतिमान और यहाँ तक कि पारस्परिक संपर्क का तरीका कैसे परिवर्तित होता है; उदाहरण के लिए प्रवास।
उत्तर- सामाजिक संबंधों को समूह संरचना की नीव हैं। भारतीय समाज में तीव्रता से बदलाव हो रहा है तथा यही बात संरचना एवं बनावट की भी है। परिवर्तन सार्वभौमिक तथा निरतर होने वाली प्रक्रिया हैं। भूमंडलीकरण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, बिजलीऔद्योगीकरण, शहरीकरण, और इलैक्ट्रॉनिक मशीन तथा यातायात के साधन की सुगम उपलब्धता ने हमारी संचार व्यवस्था और सामाजिक प्रक्रिया को गहराई से प्रभावित किया है। आधुनिक समय में वर्तमान समाज विशेष रूप से संबंध आधारित नहीं रह गया है अब यह एक समय केंद्रित समाज बन गया है। अतः आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के बृहद् परिदृश्य में देश के अंदर तथा देश के बाहर प्रवसन (Migration) सामान्यतया एक दृश्य प्रपंच (Phenomenon) हैं और कम कीमत परस्काइप (Skype), वॉट्सएप (Whatsapp), कॉल्स (Calls), एवं अन्य स्त्रोंतों के कारण सामाजिक अंतःक्रिया को रिवाज़ बदल गया है।

3. 'कार्य' पर एक निबंध लिखिए। कार्यों की विद्यमान श्रेणी और ये किस तरह बदलती हैं, दोनों पर ध्यान केंद्रित करें।
उत्तर- कार्य केवल जीविका का साधन नही है अपितु संतुष्टि के लिए भी आवश्यक है। इसमें मुश्किल काम भी शामिल है, जिसमें मानवीय तथा मानसिक क्रिया-कलापों की जरूरत पड़ती है। कार्य का संदर्भ अदा की गई नौकरी से हैं। इसे व्यक्ति के शारीरिक या मानसिक प्रयासों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है तथा इसे अदा भी किया जा सकता है या नहीं भी किया जा सकता हैं। मानव को पूरा करने के लिए सेवाओं के रूप में कार्य को सम्पन्न किया जाता है। वस्तुओं तथा संवाओं के प्रत्यक्ष विनिमय में कार्य को पूर्ण किया जाता हैं। अन्य सामाजिक और राजनीतिक क्रिया-कलापों से हटकर आर्थिक क्रिया-कलाप मानवीय सामाजिक जीवन का एक आवश्यक स्वरूप है।
आर्थिक क्रिया-कलाप अद्यतन समाज के मुख्य आयाम हैं, जिसमें उत्पादन और खपत शामिल हैं। समाज में बस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत के संदर्भ में आर्थिक संस्थाएँ व्यक्तियों के क्रिया-कलापों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
कार्य के अनेक सोपान निर्दिष्ट हैं, जैसे-
  1. अनुबंध
  2. श्रम-विभाजन
  3. वेतन
अनेक अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जिनके द्वारा कार्य का प्रदर्शन होता है-
  1. साधारणअर्थव्यवस्था
  2. औद्योगिक अर्थव्यवस्था
  3. कृषि संबंधित अर्थव्यवस्था
कार्य निम्नवत् वर्गीकृत किया जा सकता है-
  1. अनौपचारिक क्षेत्र
  2. अनौपचारिक क्षेत्र
  3. निजी क्षेत्र
  4. राजकीय क्षेत्र
  5. सेवा क्षेत्र
  6. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप

4. अपने समाज में विद्यमान विभिन्न प्रकार के अधिकारों पर चर्चा करें। वे आपके जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर- अधिकार के प्रकार:
  1. नागरिक अधिकार-अभिव्यक्ति का अधिकार, धर्म का अनुसरण करने का अधिकार, सूचना का अधिकार, शिक्षा क्रा अधिकार, और खाद्य अधिकार विभिन्न नागरिक अधिकार हैं, जो भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में सभी लोगों को दान किए गए हैं।
  2. राजनीतिक अधिकार- अभिव्यक्ति का अधिकार और वोट डालने का अधिकार हमारे नागरिक अधिकार हैं।
  3. सामाजिक अधिकार- सभी भारतीय नागरिकों को कल्याण तथा सुरक्षा जैसे कि स्वास्थ्य लाभ के न्यूनतम मानक अधिकार के रूप में प्रदान किए गए हैं। मज़दूरी की न्यूनतम दर, वृद्धावस्था से संबंधित लाभ या बीपीएल (BPL-Below the Poverty Line) विशेषतः गरीबी-रेखा के नीचे बसर कर रहे लोगों के लिए रोजगार भत्ता।
  4. कल्याणकारी अधिकार- विकसित पश्चिमी देशों में सामाजिक सुरक्षा। भारत विश्व में सबसे बड़ा प्रजातंत्र और कल्याणकारी राज्य होने की वजह से अपने नागरिकों को उपरोक्त अधिकार प्रदान करता है।
    इन अधिकारों ने भारतीय समाज की संरचना, बनावट और कार्यविधि को रूपांतरित कर दिया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विश्वास, आज़ादी, समानता और धर्म ने सामाजिक जाल की बनावट की रूपांतरित कर दिया है। तथा लोगों को स्वयं में विश्वास है और वे राजनीतिक दृष्टिकोण से सजग और परिपक्व/प्रौढ़ हैं। सामाजिक अधिकार से गरीब लोगों को शिक्षा का अवसर अच्छा स्वास्थ्य और न्यूनतम मज़दूरी प्राप्त होती है, जिससे लोगों को शोषण से सुरक्षित रखा जाता हैं।
    वोट देने का अधिकार लोगों को वस्तुतः राज-निर्माता बना देता है, क्योंकि इसी अधिकार की वजह से भारत में सरकार को चुना जाता है।

5. समाजशास्त्र धर्म का अध्ययन कैसे करता है?
उत्तर- इमाइल दुर्खाइम के अनुसार "धर्म पवित्र वस्तुओं से संबंधित विभिन्न विश्वासों तथा व्यवहारों की एक ऐसी संगठित व्यवस्था है, जो उन व्यक्तियों को एक नैतिक समुदाय की भावना में बाँधती है, जो उसी तरह के विश्वासों और व्यवहारों को अभिव्यक्त करते है।"
  • समाजशास्त्रीं धार्मिक प्राणियों में विश्वास के रूप में धर्म का अध्ययन करते हैं।
  • धर्म, कार्य तथा विश्वास की पद्धति एक सामाजिक प्रपंच और व्यक्तिगत जिसे अनुभूति का एक तरीका माना जाता है।
  • धर्म अलौकिक शक्ति में विश्वास करता है जिसमें जीववाद की अवधारणा शामिल है।
  • धर्म सभी ज्ञात समाजों में स्थित है। हालाँकि धार्मिक विश्वास तथा व्यवहार का स्वरूप विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग है।
  • समाजशास्त्रीय परिदृश्य में धर्म समाज के लिए विभिन्न कार्यों का निर्वाह करता है। यह सामाजिक नियंत्रण का एक स्वरूप हैं।
  • धर्म प्रथाओं तथा अनुष्ठानों का संग्रह है। धर्म की उपस्थिति की वजह से लोग प्रथाओं और प्रतिमानों का आदर करते हैं, जिसके द्वारा सामाजिक तंत्र का पोषण किया जाता हैं।
  • धर्म वस्तुतः एक व्यक्तिगत प्रपंच है, लेकिन इसका सार्वजनिक पहलू भी है, जिसका सामाजिक संस्था पर व्यापक प्रभाव हैं
  • धर्म लोगों को संतुलित, एकीकृत, स्वस्थ्य, जटिल तथा खुशहाल व्यक्तित्च के निर्माण तथा सामाजिक कल्याणकारी कार्यों में सहभागिता के लिए प्रेरित करता हैं।
    समाजशास्त्री धर्म के लोक स्वरूप का अध्ययन करता है, क्योंकि सामाजिक परिदृश्य में इसका सर्वाधिक महत्त्व है, जो समाज और सामाजिक संस्था का ध्यान रखता है।

6. सामाजिक संस्था के रूप में विद्यालय पर एक निबंध लिखिए। अपनी पढ़ाई और वैयक्तिक प्रेक्षणों, दोनों का इसमें प्रयोग कीजिए।
उत्तर- विद्यालय एक सामाजिक संस्था है, जो व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास के उद्देश्य के साथ औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करती हैं।
  • वर्ग शिक्षण तथा पाठ्यक्रम एवं सह-पाठ्यक्रम से संबधित क्रिया-कलापों के द्वारा विद्यालय छात्रों को बड़ा होने में, सृजनात्मक आत्म-विमोचन की क्रिया, पूर्ण रूप से कार्य करने में और अच्छा प्राणी बनने में मदद करता हैं।
  • विद्यालय ऐसे वातावरण की व्यवस्था करता है, जिसके द्वारा बच्चों तक सामाजिक प्रतिमानों का संचार होता है।
  • विद्यालय बच्चों के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, धार्मिक और सामाजिक विकास की व्यवस्था प्रस्तुत करता है।