संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ - पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 9 संविधान-एक जीवंत दस्तावेज़
पुनरावृति नोटस
पाठ - 9 संविधान-एक जीवंत दस्तावेज़
पुनरावृति नोटस
स्मरणीय बिंदु:-
- किसी भी अच्छे संविधान में जीवंतता होना अनिवार्य ताकि उसमें बदलते समय के अनुरूप अपने में बदलाव लाया जा सके।
- भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ है। लागू होने के समय से यह अपने आप में बदलाव लाता रहा है।
- भारतीय संविधान में अब तक 100 से अधिक संशोधन हो चुके है।
- संशोधनों के मामले में भारतीय संविधान लचीलेपन और कठोरता का सम्मिश्रण है।
- भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में दी गयी है।
- भारतीय संविधान में तीन तरीकों से संशोधन किया जा सकता है:
- संसद में सामान्य बहुमत के आधार पर
- संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग विशेष बहुमत के आधार पर
- संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग विशेष बहुमत के साथ-साथ कुल राज्यों की आधी विधायिकाओं के अनुसमर्थन के आधार पर।
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया केवल संसद में ही प्रारम्भ हो सकती है।
- संविधान संशोधन विधेयक के मामले में राष्ट्रपति को पुनर्विचार के लिए भेजने का अधिकार नहीं है।
- भारतीय संविधान में अब तक किये गये संशोधनों से निम्न भागों में बांटा जा सकता है:
- तकनीकी या प्रशासनिक
- संविधान की व्याख्याएं
- राजनीतिक आम सहमति के माध्यम से संशोधन
- संविधान की मूल संरचना का सिद्धान्त: यह सिद्धान्त सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद के मामले में 1973 में दिया था। इसके अनुसार संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है लेकिन वह संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नही कर सकती।
- संविधान समाज की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब होता है। यह एक लिखित दस्तावेज़ है जिसे समाज के प्रतिनिधि तैयार करते है। संविधान का अंगीकरण 26 नवम्बर 1949 को हुआ और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया |
संविधान में जीवंतता है क्योंकि -
- यह परिवर्तनशील हे |
- यह स्थायी या गतिहीन नहीं।
- समय की आवश्यकता के अनुसार इसके प्रावधानों को संशोधित किया जाता है।
- संशोधनों के पीछे राजनितिक सोच प्रमुख नहीं बल्कि समय की जरूरत प्रमुख |
संविधान में संशोधन-
- संशोधन की प्रक्रिया केवल संसद से ही शुरू होती है।
- संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में है। हो |
- संशोधनों के मामलें में भारतीय संविधान लचीलेपन व कठोरता का मिश्रण।
- संविधान में अबतक लगभग 100
- संशोधन संविधान संशोधन विधेयक के मामलें में राष्ट्रपति को पुर्नविचार के लिए भेजने का अधिकार नहीं है।
संविधान में इतने संशोधन क्यों ?
संशोधन करने के तरीके:-
संशोधन करने के तरीके:-
- संसद में सामान्य बहुमत के आधार पर-
प्रावधान
1. नए राज्यों का निर्माण
2. राज्यों की सीमाओं व नामों में परिवर्तन
3. राज्यों में उच्चे अदन (विधान परिषद्) का सृजन या समाप्ति - संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग विशेष बहुमत के आधार पर
- विशेष बहुमत और आधे राज्यो के समर्थन द्वारा संशोधन-
प्रावधान
1. राष्ट्रपति के निर्वाचन का तरीका
2. केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण
3. संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व
संविधान में इतने संशोधन क्यों?
- हमारा संविधान द्वितीय महायुद्ध के बाद बना था उस समय की स्थितियों में यह सुचारू रूप से काम कर रहा था पर जब स्थिति में बदलाव आता गया तो संविधान को संजीव यन्त्र के रूप में बनाए रखने के लिए संशोधन किए गए। इतने (लगभग 100) अधिक संशोधन हमारे संविधान में समय की आवश्यकतानुसार लोकतंत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए किए गए।
संविधान में किए गए संशोधनों का तीन श्रेणियों में विभाजन
- प्रशासनिक संशोधन
- संविधान की व्याख्या से सम्बंधित
- राजनीतिक अाम सहमति से उत्पन्न संशोधन
विवादस्पद संशोधन-
- वे संशोधन जिनके कारण विवाद हो। संशोधन 38वां, 39वां 42वां विवादस्पद माने जाते है। ये आपातकाल में हुए संशोधन इसी श्रेणी में आते हैं। विपक्षी सांसद जेलों में थे और सरकार को असीमित अधिकार मिल गए थे।
संविधान की मूल संरचना का सिद्धान्त-
यह सिद्धान्त सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले में 1973 में दिया था। इस निर्णय ने संविधान के विकास में निम्नलिखित सहयोग दिया |.
यह सिद्धान्त सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले में 1973 में दिया था। इस निर्णय ने संविधान के विकास में निम्नलिखित सहयोग दिया |.
- संविधान में संशोधन करने की शक्तियों की सीमा निर्धारित हुई।
- यह संविधान के विभिन्न भागों के संशोधन की अनुमति देता है पर सीमाओं के अंदर |
- संविधान की मूल सरंचना का उल्लंघन करने वाले किसी संशोधन के बारे में न्यायपालिका का फैसला अंतिम होगा।
संविधान एक जीवंत दस्तावेज-
- संविधान एक गतिशील दस्तावेज है।
- भारतीय संविधान का अस्तित्व 67 वर्षों से है इस बीच यह अनेक तनावों से गुजरा है। भारत में उतने परिवर्तनों के बाद भी यह संविधान अपनी गतिशीलता और बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार सामंजस्य के साथ कार्य कर रहा है।
- परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तनशील रह कर नई चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला करते हुए भारत का संविधान खरा उतरता है यहीं उसकी जीवतंता का प्रमाण है।