तुलसीदास - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिंदी कोर आरोह

पाठ – 08
कवितावली (उत्तर कांड से)


पाठ के सार - कवितावली में से तीन छंद लिए गए हैं- दो कविता और एक सवैया |

पहले छंद में उन्होने दिखलाया है कि संसार के अच्छे-बुरे समस्त लीला प्रपंचों का आधार पेट की आग का दारुण व गहन यथार्थ है। श्रम के अलग अलग रूप हैं पर सबका लक्ष्य एक मात्र पेट की भूख है। लोग अपने बेटा-बेटी  भी बेच देते हैं। इसका समाधान वे राम रूपी घनश्याम (मेघ) के कृपा जला में देखते हैं। इस प्रकार, उनकी राम भक्ति पेट की आग बुझाने वाले यानी जीवन के यथार्थ संकटों का समाधान करने वाली है, साथ ही जीवन बाह्य आध्यात्मिक मुक्ति देने वाली भी। 

दूसरे छंद में प्रकृति और शासन की विषमता से उपजी बेकारी व गरीबी की पीड़ा का यथार्थपरक चित्रण करते हुए उसे दशानन (रावण) से उपमित करते हैं। गरीबी रूपी रावण ने सबको दुखी कर रखा है और ऐसे संकट के समय सिर्फ राम ही मदद कर सकता है।

सवैये में भक्ति की गहनता और संघनता में उपजे भक्त हृदय के आत्मविश्वास का सजीव चित्रण है जिससे समाज में व्यास जात-पाँत और धर्म के विभेदक दुराग्रहों के तिरस्कार का साहस पैदा होता है | इस प्रकार भक्ति की रचनात्मक भूमिका का संकेत यहाँ है, जो आज के भेदभावमूलक सामाजिक राजनीतिक माहौल में अधिक प्रासंगिक है।

श्रीरामजी को समर्पित ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस उत्तर भारत मे बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है।


पाठ – 08
लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

पाठ के सार - रावण पुत्र मेघनाद द्वारा शक्ति बाण से मूछिंत हुए लक्ष्मण को देखकर राम व्याकुल हो जाते हैं। सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को हिमालय पर्वत पर भेजा। आधी रात व्यतीत होने पर जब हनुमान नहीं आए, तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से लगा लिया और साधारण मनुष्य की भाँति विलाप करने लगे। राम बोले तुम मुझे कभी दुखी नहीं देख सकते थे। तुम्हारा स्वभाव सदा! हे भाई... से ही कोमल था। तुमने मेरे लिए माता पिता को भी छोड़ दिया और मेरे साथ वन में सर्दी, गर्मी और विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियों को भी सहा। जैसे पंख बिना पक्षी, मणि बिना सर्प और सूँड बिना श्रेष्ठ हाथी अत्यंत दीन हो जाते हैं, हे भाई! यदि मैं जीवित रहता हूँ तो मेरी दशा भी वैसी ही हो जाएगी। मैं अपनी पत्नी के लिए अपने प्रिय भाई को खोकर कौन सा मुँह लेकर अयोध्या जाऊँगा। इस बदनामी को भले ही सह लेता कि राम कायर है और अपनी पत्नी को खो बैठा। स्त्री की हानि विशेष क्षति नहीं है, परन्तु भाई को खोना अपूरणीय क्षति है।

‘रामचरितमानस’ के ‘लंका कांड’ से गृही लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने का प्रसंग कवि की मार्मिक स्थलों की पहचान का एक श्रेष्ठ नमूना है। भाई के शोक में विगलित राम का विलाप धीरे धीरे प्रलाप में बदल जाता है- जिसमें लक्ष्मण के प्रति राम के अंतर में छिपे प्रेम के कई कोण सहसा अनावृत हो जाते हैं। यह प्रसंग ईश्वर राम में मानव सुलभ गुणों का समन्वय कर देता है। हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना करुण रस में वीर रस का उदय हो जाने के समान है।

विनय पत्रिका एक अन्य महत्वपूर्ण तुलसीदासकृत काव्य है।