शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियाँ और कैरियर - पुनरावृति नोट्स

 CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा

पाठ - 1 शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियाँ और कैरियर
पुनरावृत्ति नोट्स


स्मरणीय बिन्दु-

  1. शारीरिक शिक्षा का अर्थ:- (Meaning of Physical Education)
    शारीरिक शिक्षा, शिक्षा पद्धति का अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य नागरिको को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से, शारीरिक गतिविधियों के माध्यमों से, जो कि उनकी गतिविधियों के परिणामों को दृष्टिगत रखकर चुनी गई हों, उन्हें योग्य बनाना है।
    शारीरिक शिक्षा की परिभाषा:- (Defination of Physical Education)
    वास्तव में शारीरिक शिक्षा शब्द बहुत कठिन एवं विस्तृत आधार वाला है। समय के साथ-साथ इसके अर्थ में भी बदलाव आया। इसके अर्थ को निम्न परिभाषाएँ स्पष्ट करती हैः-
    1. चार्ल्स ए. बुचर के अनुसार:- "शारीरिक शिक्षा, शिक्षा पद्धति का एक अभिन्न अंग हैं, जिसका उद्देश्य नागरिकों को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से, जो गतिविधियाँ उनके परिणामों को दृष्टिगत रखकर चुनी गई हों, सक्षम बनाना है।"
    2. कैसिडी के अनुसार:- "शारीरिक क्रियाओं पर केन्द्रित अनुभवों द्वारा जो परिवर्तन मानव में आते हैं वे शारीरिक शिक्षा कहलाते हैं।"
  2. शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य: (Aims & Objective of Phy. Edu.)
    "शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य प्रत्येक बालक को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ बनाना और उसमें नैतिक व सामाजिक गुगों का विकास करना चाहिए जो दूसरों के साथ खुशी से रहने व एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायक हो।"
    शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य:
    1. व्यक्तित्व का विकास
    2. मानसिक विकास
    3. शारीरिक विकास
    4. भावनात्मक विकास
    5. नाड़ी संस्थान तथा मांसपेशीय संस्थान में समन्वय
    6. स्वास्थ्य का विकास
    7. सामाजिक विकास
  3. शारीरिक शिक्षा को बदलती प्रवृत्तियों:- पृथ्वी के लोगों के लिए शारीरिक शिक्षा की धारणा नई नहीं है। ऐसा माना जाता है कि शारीरिक शिक्षा की जड़ें पुराने काल में भी मौजूद थी। उस समय इसका प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों हेतु किया जाता था। अलग-अलग व्यक्तियों के लिए इसका अर्थ भी भिन्न-भिन्न था। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि "शारीरिक शिक्षा" विस्तृत आधार वाला शब्द है। पुराने समय में शारीरिक शिक्षा जीवित रहने के लिए आवश्यक भी थी। शारीरिक शिक्षा की शुरूआत यूनान में की गई। सभ्यता में बदलाव आने के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा का अर्थ भी बदलता गया, लेकिन इसके सही अर्थ को कोई नहीं समझ पाया। कोई इसे शारीरिक प्रशिक्षण कहता, कोई खेल, कोई खेल संस्कृति और कुछ व्यक्ति स्वास्थ्य शिक्षा और मनोरंजन समझते थे। लेकिन वास्तव में शारीरिक शिक्षा इनसे कहीं अधिक है। वर्तमान समय में शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा देने के प्रयासों को शारीरिक शिक्षा कहते है।
  4. शारीरिक शिक्षा में उपलब्ध विभिन्न पाठ्यक्रम:- वर्तमान समय में अनेक विश्वविद्यालय, संस्थान, महाविद्यालय शारीरिक शिक्षा में कैरिअर की तैयारी के लिए अनेक कार्य कराते हैं, जैसे बी. पी. ई./बी. पी. एड, सी. सी. एड. एम. ए. (शारीरिक शिक्षा), एम. पी. ई./एम. पी. एड. एम. एस. ए बी. ए. (शारीरिक शिक्षा), बी. एस. सी. (खेल व शारीरिक शिक्षा), एम फिल., डाॅक्टरेट (शारीरिक शिक्षा), प्रशिक्षण में डिप्लोमा कोर्स, सी. सी. (योगा), पी. जी. डिप्लोमा इन योगा आदि। शारीरिक शिक्षा में डिग्री, डिप्लोमा व अन्य पाठ्यक्रमों संबंधी में दाखिले की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित हैः

    कोर्स का नाम

    विश्वविद्यालय / संस्थान कॉलेज का नाम

    राज्य

    दाखिले के लिए पात्रता

    कोर्स की अवधि

    मास्टर्स डिग्री इन फिजिकल एजुकेशन

    इंदिरा गाँधी इस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज, नई दिल्ली

    नई दिल्ली

    स्नातक संबंधित विषय में

    2 वर्ष

    पी. जी. डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन

    इंदिरा गांधी इस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज, नई दिल्ली

    नई दिल्ली

    स्नातक संबंधित विषय में

    1 वर्ष

    एम. पी. एड.

    अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, अन्नामलाई नगर, साऊथ एरकोट-608002

    तमिलनाडु

    बी. पी. एड. समकक्ष

    1 वर्ष

    बी. पी. एड.

    बंगलौर यूनिवर्सिटी, बंगलौर

    कर्नाटक

    स्नातक

    1 वर्ष

    एम. पी. एड.

    बंगलौर यूनिवर्सिटी, बंगलौर

    कर्नाटक

    स्नातक, शारीरिक शिक्षा की अतिरिक्त डिग्री के सहित

    1 वर्ष

    डिप्लोमा इन कोचिंग

    एस. ए. आई. नेशनल स्पोर्ट्स, साउथ सेंटर, यूनिवर्सिटी कैम्पस, बंगलौर

    कर्नाटक

    स्नातक

    2 वर्ष

    बी. पी. एड.

    एस. ए. आई. लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, कानावत्तम, तिरूअनंतपुरम-695586

    केरल

    10+2

    3 वर्ष

    एम. पी. एड.

    -उपरलिखित-

    केरल

    बी. पी. एड.

    2 वर्ष

    एम. फिल.

    -उपरलिखित-

    केरल

    एम. पी. एड.

    1 वर्ष

    पी. एच. डी.

    -उपरलिखित-

    केरल

    एम. फिल/एम. पी. एड.

    1 वर्ष

    एम. पी. एड.

    गुरू नानकदेव यूनिवर्सिटी, अमृतसर

    पंजाब

    बी. पी. एड.

    1 वर्ष

    एम. पी. एड.

    पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला

    पंजाब

    बी. पी. ई/ग्रेजुएट इन आर्ट्स/ विज्ञान/शारीरिक शिक्षा

    2 वर्ष

    डिप्लोमा इन कोचिंग

    एस. ए. आई. नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, मोतीबाग, पटियाला

    पंजाब

    ग्रेजुएशन

    2 वर्ष

    मास्टर्स डिग्री इन स्पोर्ट्स (एम. एस.)

    -उपरलिखित-

    पंजाब

    डिप्लोमा इन कोचिंग

    2 वर्ष

    एम. पी. एड.

    गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, पटियाला

    पंजाब

    स्नातक

    2 वर्ष

    बी. पी. एड.

    एस. ए. आई. लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑॅफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर

    मध्य प्रदेश

    10+2

    3 वर्ष

    एम. पी. एड.

    -उपरलिखित-

    मध्य प्रदेश

    बी. पी. एड.

    2 वर्ष

    एम. फिल.

    -उपरलिखित-

    मध्य प्रदेश

    एम. ए. (शारीरिक शिक्षा) एम. पी. एड

    1 वर्ष

    डॉक्टरेट (पी. एच. डी.)

    -उपरलिखित-

    मध्य प्रदेश

    -उपरलिखित-

    1 वर्ष

    बी. पी. एड.

    कोलकाता यूनिवर्सिटी, कोलकाता

    पश्चिम बंगाल

    10+2

    3 वर्ष

    डिप्लोमा इन कोचिंग

    एम. ए. आई. नेशनल स्पोर्ट्स ईस्ट सेंटर, साल्टलेक सिटी सेक्टर 7 ए कोलकाता

    पश्चिम बंगाल

    स्नातक

    2 वर्ष

    डिप्लोमा इन कोचिंग

    एस. ए. आई. नेशनल स्पोर्ट्स, गांधीनगर

    गुजरात

    स्नातक

    2 वर्ष

    बी. ए. (फिजिकल) एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स

    अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़-202002

    उत्तर प्रदेश

    10+2

    3 वर्ष

    एम. पी. एड.

    बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी-221005

    उत्तर प्रदेश

    बी. पी. एड.

    1 वर्ष

    एम. पी. एड.

    महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी, रोहतक

    हरियाणा

    स्नातक

    2 वर्ष

    एम. पी. एड.

    कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरूक्षेत्र

    हरियाणा

    स्नातक 45% शारीरिक शिक्षा सहित

    2 वर्ष

    बी. एस. सी. (स्पोर्ट्स)

    गुरूनानक खालस कॉलेज, यमुनानगर

    हरियाणा

    10+2

    3 वर्ष

    एम. ए. शारीरिक शिक्षा

    पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

    चंडीगढ़

    स्नातक/बी. पी. एड.

    3 वर्ष

    पी. एच. डी.

    पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

    चंडीगढ़

    एम. ए. (शारीरिक शिक्षा) एम. पी. एड.

    2 वर्ष

  5. शारीरिक शिक्षा में कैरियर विकल्प (Career options in Phy-Edu)
    1. शिक्षण संबंधित कैरियर
      1. प्राथमिक विद्यालय स्तर
      2. माध्यमिक विद्यालय स्तर
      3. वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्तर
      4. महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर
    2. प्रशिक्षण कैरियर
      1. प्रशासन संबोधित कोर्स
      2. शारीरिक शिक्षा विभाग
      3. खेल विभाग
      4. औद्योगिक मनोरंजन
      5. खेल सुविधाओं का प्रबंधन
    3. स्वास्थ्य संबंधी कैरियर
      1. हेल्थ क्लिव
      2. एथलैटिक ट्रेनिंग
    4. प्रदर्शन सम्बन्धित कैरियर
      1. खिलाड़ी के रूप में
      2. अधिकारी के रूप में
    5. संचार माध्यमों में कैरियर
      1. खेल पत्रकारिता
      2. पुस्तक लेखन
      3. खेल फोटो ग्राफी
      4. पुस्तक प्रकाशन
      5. खेल प्रसारण
  6. व्यवहार कुशलता (Soft Skill):-
    व्यवहार कुशलता वह कुशलता है जो अन्य लोगों के बारे में बताने में प्रयोग किया जाता है कि वे कैसे जीवन जी रहे है और काम के प्रति उनका दृष्टिकोण कैसा है। उनका दूसरे व्यक्तियों के साथ कैसा सम्बन्ध है। इसके लिए अनेक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे- लोगों के कौशल, पारस्परिक कौशल, सामाजिक कौशल और हस्तांतरणीयं कौशल।
    1. संचार कौशल (communication Skill):- मजबूत संचार कौशल वाले लोग रिश्तों का निर्माण कर सकते है। अच्छी तरह से सुनना और परिस्थितियों के अनुरूप संचार कौशल करना। अगर आप अपना कुछ समय संचार कौशल पर व्यतीत करते है तो वह अच्छा होता है।
    2. निर्णय लेने की विधि (Making Decisions):- जीवन में व्यक्ति द्वारा मूल्यवान निर्णय लेने में सक्षम होना महत्त्वपूर्ण है। कभी-कभी वास्तविक निर्णय का जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता, मायने यह रखता है कि आपने क्या प्राप्त किया है और उसे प्राप्त करके आगे बढ़ गए है।
    3. स्वप्रेरणा (Self Motivation):- जो लोग स्वंय से प्रेरित होते है वे खुद अपने-आप से मिलते हैं। उन्हें करीबी पर्यवेक्षण (Class Supervision) की आवश्यकता नहीं है। वे सबके साथ मिलकर काम करते हैं क्योंकि वे सकारात्मक है। यह आपके व्यक्तिगत लचीलेपन व अनुकूलनशीलता को बदलने के लिए भी काम करता है।
    4. नेतृत्व कौशल (Leadership Skill):- यह एक सॉफ्ट स्किल का सैट है जो कम से कम किसी से खुद को विकसित करने की उपेक्षा करते है। बहुत से नेतृत्व कौशल के पाठ्यक्रम उपलब्ध है जिनमें लिखा गया है कि किस प्रकार अपने नेतृत्व कौशल को विकसित किया जाए।
    5. साथ मिलकर काम करने का कौशल (Team Working Skill):- नेतृत्व कौशल की तरह ही बहुत से प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है जो टीम में अच्छी तरह से काम करना आपको सीखाते हैं। यह भी सुझाव देते है कि अच्छे संचार कौशल, विशेष रूप से अच्छे सुनने के कौशल, एक साथ मिलकर तालमेल बनाकर लम्बे समय तक कार्य करने के कौशल आदि।