सत्ता के वैकल्पिक केंद्र - पुनरावृति नोट्स

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
पाठ-4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

स्मरणीय बिन्दु-
  1. 1990 में द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था के टूटने के बाद अमेरिकी प्रभुत्व को सीमित करने के लिए सता के कुछ वैकल्पिक केंद्र उभरकर सामने आए।
  2. यूरोप में यूरोपीय संघ और एशिया में दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) का उदय एक शक्ति के रूप म हुआ।
  3. 1948 में मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद के रूप में की गई।
  4. यूरोपीय परिषद की स्थापना 1949 में राजनैतिक सहयोग के रूप में की गई।
  5. पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के एकीकरण के लिए 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन किया गया।
  6. फरवरी 1992 में मास्ट्रिस्ट संधि के द्वारा यूरोपीय संघ की स्थापना की गई।
  7. यूरोपीय संघ का अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी मुद्रा है।
  8. यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक प्रभाव सबसे जबरदस्त है।
  9. 2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। इसका घरेलू उत्पादन 12,000 अरब डॉलर से ज्यादा था जो अमेरिका से थोड़ा-सा ज्यादा ही था।
  10. विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है।
  11. यूरोपीय संघ के ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
  12. 1957-पश्चिमी यूरोप के छ: देशों-फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने पेरिस संधि पर दस्तखत करके यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन किया।
  13. मार्च 1957-इन्हीं छह देशों ने रोम की संधि के माध्यम से यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) और यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय (Euratom) का गठन किया।
  14. जून 1979 में यूरोपीय पार्लियामेंट के गठन के बाद यूरोपीय आर्थिक समुदाय ने राजनीतिक स्वरूप लेना शुरू कर दिया था।
  15. ब्रिटेन और फ्रांस के पास करीब 550 परमाणु हथियार हैं।
  16. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
  17. आसियान-दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन जो तीसरी दुनिया के देशों में एकता कायम करने का प्रयास करता है।
  18. 1967 में दक्षिण-पूर्व एशिया के पाँच देशों- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड ने मिलकर बैंकाक घोषणा पर हस्ताक्षर कर आसियान की स्थापना की।
  19. 2003 में असियान ने आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय, आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय की स्थापना की।
  20. पूरब की ओर चलो-भारत ने 1991 में 'पूरब की ओर चलो' की नीति अपनाई। इससे पूर्वी एशिया के देशों (आसियान, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया) से उसके आर्थिक संबंधो में बढ़ोतरी हुई।
  21. चीन और भारत के बीच 1992 में 33 करोड़ 80 लाख डॉलर का व्यापार था, जो 2006 में बढ़कर 18 अरब हो गया।
  22. शीतयुद्ध के अंत के बाद यूरोपीय संघ, आसियान चीन अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने वाले सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र के रूप में उभर रहे हैं।
  23. अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत मदद की थी। इसे मार्शल योजना के नाम से जानते है।
  24. संसार से दो ध्रुव्रीय सत्ता की मुक्ति के साथ ही दो संघो की स्थापना हुई, पहली ‘यूरोपीय संघ’ व दूसरी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रो के संगठन ‘आसियान की। इन दोनों की बढ़ती शक्ति को अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने वाले वैकल्पिक केन्द्रो के रूप में देखा जा रहा है।
  25. यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनैतिक तथा सैनिक प्रभाव जबरदस्त रहा। 2005 में इसे विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखा गया।
  26. यूरोपीय संघ के दो देश फ्रांस तथा ब्रिटेन सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्य हैं तथा इनके पास बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं।
  27. अंतरिक्ष विज्ञान और संचार प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोपीय संघ का दुनिया में दूसरा स्थान है।
  28. आसियान के संस्थापकों:- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर तथा थाइलैंड ने 1967 में बैंकाक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये।
  29. आसियान के आर्थिक समुदाय का प्रमुख उद्देश्य आसियान देशों को साझा बाजार तथा सामाजिक, आर्थिक विकास के मदद करना है। इन देशों ने टकराव रहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप के उदाहरण पेश किये जिसे आसियान शैली कहा गया।
  30. विजन दस्तावेज 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई।
  31. चीन के शॉक थरैपी के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया। 1978 में चीन ने आर्थिक सुधारों और ‘खुले द्वार की नीति’ की घोषणा की। SEZ (सेज) के निर्माण से विदेशी व्यापार की बढ़ोत्तरी हुई।
  32. भारत व चीन के बीच 1962 में अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाको व लद्दाख के अक्साइ-चिन क्षेत्रों को लेकर युद्ध हुआ। 1976 तक दोनो देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त रहे। दिसम्बर 1988 में राजीव गांधी के चीनी दौरे के बाद से टकराव टालने के प्रयास बढ़े। हाल के वर्षों में भारत-चीन ने अपने विवादों को अलग रखते हुए पारस्परिक आर्थिक और व्यापारिक सम्बन्धों को बढ़ाया है।
  33. जापान ने दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात बड़ी तेजी से प्रगति की। जापान अर्थव्यवस्था की दृष्टि से विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य:-
  • एक समान विदेश व सुरक्षा नीति।
  • आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग।
  • एक समान मुद्रा का चलन।
  • वीजा मुक्त आवागमन।
उद्देश्यों की प्राप्ति:-
  1. यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोगवाली संस्था से बदलकर राजनैतिक संस्था का रूप ले लिया है।
  2. यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह कार्य करने लगा है।
  3. इसका अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा है।
  4. अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति बना ली है।
  5. यूरोपीय संघ का झंडा 12 सोने के सितारों के घेरे के रूप में वहाँ के लोगों की पूर्णता, समग्रता, एकता और मेलमिलाप का प्रतीक है।
यूरोपीय संघ को ताकतवार बनाने वाले कारक या विशेषताएँ :-
  • 2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पादन अमेरिका से भी ज्यादा था।
  • इसकी मुद्रा यूरो, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन गई है।
  • विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है।
  • इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव यूरोप, एशिया और अफ्रीका के देशों पर है।
  • यह विश्व व्यापार संगठन के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में कार्य करता है। इसके दो सदस्य देश ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है।
  • इसके चलते यूरोपीय संघ अमेरिका समेत सभी राष्ट्रों की नीतियों को प्रभावित करता है।
  • यूरोपीय संघ के दो देश ब्रिटेन और फ्रांस परमाणु शक्ति सम्पन्न है।
  • अधिराष्ट्रीय संगठन के तौर पर यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है।
यूरोपीय संघ की कमजोरियाँ :-
  1. इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति है जो कई बार एक-दूसरे के खिलाफ भी होती हैं। जैसे-इराक पर हमले के मामले में।
  2. यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी है।
  3. डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिस्स संधि और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का विरोध किया।
  4. यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमेरिकी गठबंधन में थे।
  5. ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 मे एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग हो गया है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) –
अगस्त 1967 में इस क्षेत्र के पाँच देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर ओर थाईलैंड ने बैंकॉक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान' की स्थापना की।
आसियान के मुख्य उद्देश्य :-
  1. सदस्य देशों के आर्थिक विकास को तेज करना।
  2. इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना।
  3. कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का पालन करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।
अासियान शैली:-
अनौपचारिक, टकरावरहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप का नया उदाहरण पेश करके आसियान ने काफी यश कमाया है। इसे ही 'आसियान शैली' कहा जाने लगा।
आसयान के प्रमुख स्तंभ-
1. आसियान सुरक्षा समुदाय
2) आसियान आर्थिक समुदाय
3) सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय
  • आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है।
  • आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है।
  • आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय का उद्देश्य है कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता:-
  1. आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है।
  2. आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है।
  3. अमेरिका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है।
  4. 1991 के बाद भारत ने 'पूरब की ओर’ की नीति अपनाई है।
  5. भारत ने आसियान के दो सदस्य देशों सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है।
  6. भारत आसियान के साथ भी मुक्त व्यापार संधि करने का प्रयास कर रहा है।
  7. आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशो, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है।
  8. यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है।
  9. हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने आसियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए।
माओ की नेतृत्व में चीन का विकास :-
1949 की क्रांति के द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। शुरू में यहाँ साम्यवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था। लेकिन इसके कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा-
  1. चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया।
  2. चीन अपने नागरिको को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्पन्न कर रही थी।
  3. कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहाँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी।
चीन में सुधारों की पहल:-
  1. चीन ने 1972 में अमेरिका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया।
  2. 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेवा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
  3. 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुलेद्वार की नीति का घोषणा की।
  4. 1982 में खेती का निजीकरण किया गया।
  5. 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकॉनामिक जोन-SEZ) स्थापित किए गए।
  6. चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया हैं।
चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू:-
  1. वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ।
  2. पूँजीवादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी है।
  3. वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है।
  4. गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा है।
  5. विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाई है।
  6. चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा है।
चीन के साथ भारत के संबंध:-
विवाद की क्षेत्र:-
  1. 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गये।
  2. चीन ने 1962 में लद्दाख और अरूणचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया।
  3. चीन द्वारा पाकिस्तान की मदद देना।
  4. चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है।
  5. बांग्लादेश तथा म्यांमार से चीन के सैनिक संबंध की भारतीय हिती क खिलाफ माना जाता है।
  6. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव की पेश किया। चीन द्वारा वीटो पावर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया।
  7. भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया।
  8. चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना Ones Belt One Road, जो कि POK से होती हुई गुजरेगी, उसे भारत को घेरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है।
सहयोग का दौर (क्षेत्र):-
  1. 1970 के दशक में चीनी नेतृत्व बदलने से अब वैचारिक मुद्दों की जगह व्यावहारिक मुद्दे प्रमुख हो रहे है।
  2. 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा की जिसके बाद सीमा विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने की पहल की गई।
  3. दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए गए है।
  4. 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है।
  5. विदेशों में ऊर्जा सौदा हासिल करने के मामलों में भी दोनों देश सहयोग द्वारा हल निकालने पर राजी हुए है।
  6. वैश्विक धरातल पर भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठनों के संबंध में एक जैसी नीतियाँ अपनायी है।