दुष्यंत कुमार - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

 CBSE Class 11 Hindi Core A

NCERT Solutions
Chapter 07 Poem
Dushyant Kumar


1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।
उत्तर:-
 गुलमोहर एक फूलदार पेड़ है परंतु कविता में 'गुलमोहर' स्वाभिमान के सांकेतिक अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। कवि हमें गुलमोहर के द्वारा घर और बाहर दोनों स्थानों पर स्वाभिमान से जीने की प्रेरणा प्रदान करता है और आज़ादी से रहने का अहसास करवाना चाहता है  ।


2. पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्त्व  है?
उत्तर:-
 पहले शेर में चिराग शब्द का बहुवचन 'चिरागाँ' का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ है- अत्यधिक सुख-सुविधाएँ । दूसरी बार यह एकवचन के रूप में प्रयुक्त हुआ है जिसका अर्थ है- सीमित सुख-सुविधाओं का मिलना। दोनों का ही अपना महत्त्व है। बहुवचन शब्द कल्पना को दर्शाता है;वहीँ एकवचन शब्द जीवन की यथार्थता को दर्शाता है। इस प्रकार दोनों बार आया हुआ एक ही शब्द अपने-अपने संदर्भ में भिन्न-भिन्न प्रभाव रखता है।


3. गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?
उत्तर:-
 गज़ल के तीसरे शेर से कवि दुष्यंत का इशारा समयानुसार अपने आपको ढाल लेने वालों से हैं। कवि कहते हैं कि ये ऐसे लोग हैं जिनकी आवश्यकताएँ बहुत  सीमित होती हैं और इसलिए ये अपना सफ़र आराम से काट लेते हैं।


4. आशय स्पष्ट करें :
तेरा निज़ाम है सिल दे
 ज़ुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर:-
  प्रस्तुत पंक्तियाँ ' दुष्यंत कुमार' की ग़ज़ल 'साए में धूप ' से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि द्वारा शासक वर्ग' पर व्यंग्य  किया गया है। शासक वर्ग की सत्ता होने के कारण वे किसी भी शायर की जुबान पर पाबंदी अर्थात् अभिव्यक्ति पर पाबंदी लगा देते हैं। शासक को अपनी सत्ता कायम रखने के लिए इस प्रकार की सावधानी रखना ज़रूरी  भी होता है परंतु ये सर्वथा अनुचित है। यदि बदलाव लाना है तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है।

5. दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।
उत्तर:-
 दुष्यंत की यह गज़ल सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन की माँग करती है। तभी कवि 'मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए, यहाँ दरख्तों के साए में धूप लगती है' आदि बातें कहता है।   वह पत्थरदिल लोगों को पिघलाने में  विश्वास रखता है । वह अपनी शर्तों पर जीना चाहता है और ये तभी संभव है जब परिस्थिति में बदलाव आए।

6. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है
दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?
उत्तर:-
 दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर -
खुदा न, न सही, आदमी का ख़्वाब सही,
कोई हसीन नज़ारा  तो है नज़र के लिए।
ग़ालिब स्वर्ग की वास्तविकता से परिचित है परंतु दिल को खुश करने के लिए उसकी सुंदर कल्पना करना बुरा नहीं है।
उसी प्रकार कवि दुष्यंत भी खुदा को मानव की कल्पना मानता है परंतु दिल को खुश रखने के लिए खुदा की हसीन कल्पना करना कोई बुरी बात नहीं है।
दोनों शेरों के शायर काल्पनिक दुनिया में विचरण को बुरा नहीं समझते। दोनों के लिए खुदा और जन्नत के विचार ठीक हैं क्योंकि दोनों ही अनुभूति के विषय हैं।


7. 'यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है' यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है,जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता।
कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें।
क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, .............
ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, .............
ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, .............
घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ............

उत्तर:-
 क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है जहाँ रिश्ते-नाते प्रेम देने की बजाय दुःख देते हैं।
ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है जहाँ बच्चों को उचित ज्ञान नहीं मिलता।
ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है जहाँ उचित इलाज नहीं मिलता।
घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है जहाँ नागरिक को सुरक्षा नहीं मिलती।