तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य-पुनरावृति नोट्स

                                                                 CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य
पुनरावृति नोट्स


स्मरणीय तथ्य-

  • परिचय-
    • रोम साम्राज्य काफी दूर-दूर तक फैला हुआ था। इस साम्राज्य में आज का अधिकांश यूरोप और पश्चिमी एशिया एवं उत्तर अफ्रीका का काफी बड़ा भाग सम्मिलित था।
    • रोम के इतिहासकारों के लिए पाठ्य-सामग्री, प्रलेख या दस्तावेज एवं भौतिक अवशेष स्रोत-सामग्री के रूप में विशाल भंडार उपलब्ध है।
    • वर्ष वृतांत- समकालीन व्यक्तियों द्वारा प्रतिवर्ष लिखे जाने वाले इतिहास के ब्यौरे को ‘वर्ष-वृतांत कहा जाता है।
    • पैपाइरस- पैपाइरस एक सरकंडे जैसा पौधा था, जो नील नदी के किनारे उगा करता था, इस से लेखन सामग्री तैयार की जाती थी।
  • साम्राज्य का आरंभिक काल-
    • रोम साम्राज्य में 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक गणतंत्र शासन व्यवस्था चली।
    • प्रथम सम्राट आॅगस्टस- 27 ई.पू. में आॅगस्टस ने गणतंत्र शासन व्यवस्था का तख्ता पलट दिया और स्वयं सम्राट बन गया, उसके राज्य को प्रिंसिपेट कहा गया। वह एक प्रमुख नागरिक के रूप में था, निरंकुश शासक नहीं था।
    • रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन प्रमुख खिलाड़ी- सम्राट, अभिजात वर्ग और सेना।
    • प्रांतों की स्थापना।
    • सार्वजनिक स्नानगृह।
  • तीसरी शताब्दी का संकट-
    • प्रथम और द्वितीय शताब्दियां- शांति, समृद्धि और आर्थिक विस्तार की प्रतीक थी।
    • तीसरी शताब्दी में तनाव उभरा। जब ईरान के ससानी वंश के बार-बार आक्रमण हुए। इसी बीच जर्मन मूल की जनजातियों (फ्रेंक, एलमन्नाइ और गोथ) ने रोमन साम्राज्य के विभिन्न प्रांतों पर कब्जा कर लिया जिससे साम्राज्य में अस्थिरता आई।
    • 47 वर्षों में 25 सम्राट हुए। इसे तीसरी शताब्दी का संकट कहा जाता है।
  • लिंग, साक्षरता, संस्कृति-
    • एकल परिवार का समाज में चलन।
    • महिलाओं की अच्छी स्थिति, संपत्ति में स्वामित्व व संचालन में कानूनी अधिकार होना।
    • कामचलाऊ साक्षरता होना।
    • सांस्कृतिक विविधता होना।
  • आर्थिक विस्तार-
    • रोम साम्राज्य का आर्थिक आधारभूत ढ़ाँचा काफी मजबूत था।
    • बंदरगाह, खानें, खदानें, ईंट भट्टे, जैतून का तेल के कारखाने अधिक मात्रा में व्याप्त होना।
    • असाधारण उर्वरता के क्षेत्र होना।
    • सुगठित वाणिज्यिक व बैंकिंग व्यवस्था तथा धन का व्यापक रूप से प्रयोग।
    • तरल पदार्थों की ढुलाई जिन कन्टेनरों में की जाती थी उन्हें ‘एम्फोरा’ कहा जाता था।
    • स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल ‘ड्रेसल-20’ नामक कन्टेनरों में ले जाया जाता था।
  • श्रमिकों पर नियंत्रण-
    • दासता की मजबूत जड़े।
    • इटली में 75 लाख की आबादी में से 30 लाख दास।
    • दासों को पूँजी निवेश का दर्जा।
    • क्रूरतापूर्ण व्यवहार।
    • ग्रामीण ऋणग्रस्तता।
  • सामाजिक श्रेणियांः प्रारंभिक राज्य-
    • सैनेटर, अश्वारोही, जनता का सम्मानित वर्ग, फूहड़ निम्नतर वर्ग, दास।
    • परवर्ती काल, अभिजात वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्नतर वर्ग।
    • भ्रष्टाचार और लूट-खसोट।
  • परवर्ती काल-
    • रोमवासी बहुदेववादी थे। लोग जूपिटर, जूनो, मिनर्वा तथा माॅर्स जैसे देवी-देवताओं की पूजा करते थे।
    • यहूदी धर्म रोम साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म था।
    • सम्राट काॅन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म बनाने का निर्णय लिया।
    • सम्राट डायोक्लीशियन द्वारा सीमाओं पर किले बनवाना।
    • साम्राज्य के पश्चिमी भाग में उत्तर से आने वाले समूहों- गोथ, बैंडल तथा लोम्बार्ड आदि ने बड़े प्रांतों पर कब्जा करके रोमोत्तर राज्य स्थापित कर लिए।
    • प्रांतों का पुनर्गठन करना।
    • सैनिक और असैनिक कार्यों को अलग करना।
    • इस्लाम का विस्तार- ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रान्ति।’
  • रोम साम्राज्य को सामान्य तौर पर दो चरणों-पूर्ववर्ती काल और परवर्ती काल में विभाजित किया जा सकता है।
  • इस साम्राज्य में भाषायी विविधता थी, किंतु प्रशासन के कार्यों में लैटिन व यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग होता था।
  • प्रथम शताब्दी के मध्य तक उच्च कुल में जन्मे जूलियस सीजर के अधीन रोम साम्राज्य वर्तमान ब्रिटेन और जर्मनी तक फैल गया था। जूलियस सीजर एक सेनानायक था।
  • रोम साम्राज्य में सीनेट एक ऐसी संस्था थी जिसने रोम की गणतांत्रिक सत्ता पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
  • सम्राट और सीनेट के पश्चात सामाजिक शासन की एक दूसरी प्रमुख संस्था सेना थी।
  • इस साम्राज्य को विभिन्न प्रांतों में विभाजित किया गया था और उनसे कर वसूला जाता था।
  • अनेक नगरों में कार्थज, सिकंदरिया व एंटिऑक भूमध्यसागरीय तटों पर स्थित बड़े शहरी केन्द्र थे। ये शहरी केन्द्र साम्राज्यिक प्रणाली के आधार स्तम्भ थे।
  • तत्कालीन रोम साम्राज्य में एकल परिवार व्यवस्था का प्रचलन था। विवाह आमतौर पर परिवार द्वारा ही आयोजित होते थी।
  • रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक विविधता कई रूपों में दिखाई देती है। तीसरी शताब्दी के मध्य तक बाइबिल का कॉप्टिक भाषा में अनुवाद हो चुका था।
  • प्राचीन काल में दासों को पूँजीनिवेश की दृष्टि से देखा जाता था। रोम की अर्थव्यवस्था तो दास-श्रम पर ही आधारित थी। पहली सदी में दास प्रजनन रीति भी अपनाई गई थी।
  • इतिहासकार टैसिटस ने रोमन समाज का विस्तृत अध्ययन किया और इसे विभिन्न सामाजिक समूहों या वर्गों में विभाजित किया है।
  • कॉन्स्टैनटाइन ने सोने पर आधारित नयी मौद्रिक प्रणाली आरंभ की जोकि परवर्ती काल में भी प्रचलित रही।
  • परवर्ती रोम साम्राज्य में नौकरशाही के उच्च व मध्य वर्ग दोनों अपेक्षाकृत बहुत धनवान थे क्योंकि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में प्राप्त होता था। इसके साथ ही, इस काल में भ्रष्टाचार अत्यधिक फैल चुका था।
  • ऋतु प्रवास: ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों और नीचे के मैदानी इलाकों में भेड़-बकरियों तथा अन्य जानवरों को चराने के लिए चरगाहों की खोज में ग्वालों तथा चरवाहों का मौसम के अनुसार वार्षिक आवागमन।
  • दीनारियस- रोम का एक चांदी का सिक्का होता था जिसमें लगभग 4-5 ग्राम विशुद्ध चाँदी होती थी।
  • कॉन्स्टैनटाइन द्वारा प्रचलित सिक्के को सॉलिडस (Solidus) कहा जाता है। यह सिक्का 4.5 ग्राम शुद्ध सोने से निर्मित किया गया था।
  • पाँचवीं शताब्दी तक साम्राज्य राजनीतिक दृष्टि से विखंडित हो गया। लेकिन अपने पूर्वी आधे भाग में रोम साम्राज्य अखंड और अत्यधिक समृद्ध बना रहा।
  • सातवीं शताब्दी और पंद्रहवीं शताब्दी के मध्य पूर्वी रोम के अधिकांश भाग को अरबों द्वारा कब्जे में ले लिया गया। यही कारण है कि अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम धर्म के विस्तार को 'प्राचीन विश्व इतिहास' की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति की संज्ञा दी जाती है।
  • रोमन साम्राज्य में सास्कृतिक-विविधता थी, जैसे- धार्मिक सम्प्रदायों अनेक देवी-देवताओं, वेशभूषा, बोलचाल की भाषाएँ, तरह-तरह के भोजन और बस्तियों के अनेक रूप।