तीन वर्ग-पुनरावृति नोट्स

                                                                CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-6 तीन वर्ग
पुनरावृति नोट्स


स्मरणीय तथ्य-

  • यूरोपीय इतिहास की जानकारी के स्त्रोत- भू-स्वामियों के विवरण, मूल्यों और विधि के मुकदमों के दस्तावेज जैसे कि चर्च में मिलने वाले जन्म, मृत्यु और विवाह के आलेख। चर्च से प्राप्त अभिलेखों ने व्यापारिक संस्थाओं और गीत व कहानियों द्वारा त्योहारों व सामुदायिक गतिविधियों का बोध कराया।
  • सामन्तवाद एक तरह के कृषि उत्पादन को दर्शाता है जो सामंतों और कृषकों के संबंधों पर आधारित है। कृषक लार्ड को श्रम सेवा प्रदान करते थे और बदले में वे उन्हें सैनिक सुरक्षा देते थे।
  • सामन्तवाद शब्द जर्मन शब्द फ्यूड से बना है। फ्यूड का अर्थ है- भूमि का टुकड़ा।
  • सामन्तवाद पर सर्वप्रथम काम करने वाले फ्रांसीसी विद्वान मार्क ब्लाॅक के द्वारा भूगोल के महत्व पर आधारित मानव इतिहास को गढ़ने पर जोर, जिससे कि लोगों के व्यवहार और रूख को समझा जा सके।
  • फ्रांसीसी समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित- पादरी, अभिजात एवं कृषक वर्ग।
  • नौवीं और सोलहवीं शताब्दी के मध्य पश्चिमी यूरोप में अनेक सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिवर्तन हुए। रोमन सामाज्य के पतन के बाद पूर्वी एवं मध्य यूरोप के अनेक जर्मन मूल के समूहों ने इटली, स्पेन और फ्रांस के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था।
  • रोमन साम्राज्य का राजकीय धर्म ईसाई धीरे-धीरे मध्य और उत्तरी यूरोप में विस्तीर्ण हो गया। चर्च भी यूरोप में एक मुख्य भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा।
  •  पादरियों व बिशपों द्वारा ईसाई समाज का मार्गदर्शन- चर्च में धर्मोपदेश, अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति जो चर्च के बहार धार्मिक समुदायों में रहते थे भिक्षु कहलाते थे। भिक्षुओं की विशेषताएँ- मठों में रहना, निश्चित नियमों का पालन करना तथा आम आबादी से बहुत दूर रहना।
  • अभिजात वर्ग की विशेषताएँ- अपनी संपदा पर स्थायी नियंत्रण, अपनी सैन्य क्षमता, स्वयं न्यायालय लगाने का अधिकार तथा अपनी मुद्रा का प्रचलन कर सकना।
  • कुशल अश्वसेना की आवश्यकता के कारण नाइट वर्ग का उदय। लार्ड द्वारा नाइट को दिया जाने वाला भूमि का टुकड़ा- फ़ीफ़ कहलाया।
  • कृषक वर्ग: काश्तकार दो प्रकार के होते थे- स्वतंत्र किसान और सर्फ अर्थात् कृषिदास। स्वतंत्र किसान अपनी भूमि को लार्ड के काश्तकार के रूप देखते थे तथा कृषिदास जिन भूखण्डों पर काम करते थे वे लार्ड के स्वामित्व में थे।
  • राजा कृषकों पर कभी-कभी एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ लगाते थे। पादरी व अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे।
  • लार्ड की जागीरों पर कृषकों के परिवारों को सप्ताह के तीन या उससे अधिक कुछ दिन काम करना पड़ता था। इस श्रम से होने वाला उत्पादन ‘श्रम अधिशेष’ कहा जाता था।
  • कृषि विस्तार के कारण जनसंख्या, व्यापार और नगरों का विस्तार हुआ और एक चौथा वर्ग नगरवासी का उद्भव हुआ।
  • नगरों की स्वतंत्र हवा, वैतनिक कार्य और लार्ड के नियन्त्रण से मुक्ति के कारण सामंती सम्बंध कमजोर पड़ने लगे।
  • ग्यारहवीं शताब्दी तक यूरोप में विभिन्न प्रौद्योगिकी में बदलाव- लोहे के फालों का प्रयोग, पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार, पशुओं के खुरों में लोहे के नालों का प्रयोग, दो खेतों वाली फसली व्यवस्था से तीन खेतों वाली व्यवस्था की शुरूआत तथा वायु व जलशक्ति के उपयोग ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया।
  • राजनीतिक परिवर्तन- नए शक्तिशाली राज्यों का उदय- संगठित स्थायी सेना, एक स्थायी नौकरशाही और राष्ट्रीय कर प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ।
  • नई शासन व्यवस्था पुरानी व्यवस्था से भिन्न:- शासक अब पिरामिड के शिखर पर नहीं था जहाँ राज भक्ति विश्वास और आपसी निर्भरता पर टिकी थी। वह अब व्यापक दरबारी समाज और आश्रयदाता- अनुयायी तंत्र का केन्द्र बिन्दु था।
  • इस काल में मकदूनिया, रोम, अरब, मिस्र, सीरिया, चीन, मंगोल व मौर्य प्रसिद्ध साम्राज्य थे।
  • सामंतवाद शब्द का प्रयोग मध्यकालीन यूरोप के आर्थिक, विधिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
  • इस प्रकार जनसंख्या में परिवर्तनों के फलस्वरूप यूरोप की अर्थव्यवस्था और समकालीन समाज प्रभावित हुआ।
  • चौथी सदी के अंतिम दशकों में रोम साम्राज्य का पश्चिमी भाग बिखरने लगा था।
  • पश्चिमी चर्च के अध्यक्ष पोप थे और रोम में रहते थे। कैथोलिक चर्च व पोप का महत्व सर्वत्र कायम था। कैथोलिक चर्च के अपने स्वयं के नियम थे। तेरहवीं शताब्दी के अंत तक पिछले तीन सौ वर्षों में उत्तरी यूरोप में तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तीव्र ठंडी ऋतु ने ले लिया। परिणामत: पैदावार की अवधि कम हो गई और ऊँची भूमि पर फ़सल उगाना कठिन हो गया। आस्ट्रिया व सर्बिया की चाँदी की खानों के उत्पादन में कमी के कारण धातु में कमी आई और जिससे व्यापार प्रभावित हुआ।
  • नौवीं सदी में यूरोप के स्थानीय युद्ध ने एक वर्ग को जन्म दिया जिसे नाइट्स (Knights) कहा जाता था।
  • तेरहवीं सदी में कुछ दुर्गों को विशाल बनाया गया जिसमें नाइट (Knight) परिवार के सदस्य रहते थे।
  • छठी सदी में मध्य यूरोप से एंजिल (Angles) और सैकसन (Saxons) इंग्लैंड में आकर बसने लगे थे। इंग्लैंड में सामंतवाद का विकास में ग्यारहवीं सदी से हुआ।
  • यूरोप के अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कमी होने के परिणामस्वरूप कृषि भूमि का विस्तार हुआ।
  • धर्मयुद्धों के परिणामस्वरूप यूरोपीय शासकों ने भूमध्य सागर के क्षेत्रों से मजबूत संबंध स्थापित किए और इसके परिणामस्वरूप व्यापार में आंतरिक दृष्टि से काफी सुधार आया।
  • ग्यारहवीं शताब्दी की शुरुआत तक यूरोपीय देशों के पश्चिम एशिया के मध्य नवीन व्यापार मार्ग विकसित हो रहे थे। बारहवीं सदी तक फ्रांस में वाणिज्य और विकसित होने लगा था।
  • चौदहवीं शताब्दी का संकट- चौदहवीं शताब्दी के आरंभ में यूरोप को आर्थिक विस्तार धीमा पड़ने के कारण (1) मौसम में परिवर्तन पैदावार वाले मौसम छोटे हो गये (2) गहन जुताई ने भूमि को कमजोर बना दिया (3) जनसंख्या वृद्धि से उपलब्ध संसाधन कम पड़ना (4) आस्ट्रिया व सर्बिया में चांदी की खानों के उत्पादन में कमी के कारण धातु मुद्रा में भारी गिरावट परिणामस्वरूप व्यापार प्रभावित (5) महामारियाँ।
  • पश्चिमी यूरोप 1347 और 1350 के मध्य महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ। 1315 और 1317 के मध्य यूरोप में भयंकर अकाल पड़े।
  • इटली के परिप्रेक्ष्य में चौदहवीं सदी की अवधि को पुनर्जागरण काल कहा जाता है।
  • पंद्रहवीं और सोलहवीं सदियों में यूरोपीय शासकों ने अपने सैनिकों एवं वित्तीय शक्तियों में काफी बढ़ोतरी की। बारहवीं और तेरहवीं सदी में होने वाला सामाजिक परिवर्तन राजतंत्रों की सफलता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण था।
  • नौवीं सदी तक पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप के वाणिज्यिक और शहरी केंद्र-लंदन, रोम, सियना थे।
  • पंद्रहवीं सदी के अंत तक यात्राओं व खोजों को अभूतपूर्व ढंग से बढ़ावा मिला। कोलंबस ने भारत के लिए एक पश्चिमी मार्ग खोजने का प्रयास किया। वह 1492 ई० में एक द्वीप पर पहुँचा जिसे यूरोपवासियों ने वेस्टइंडीज कहा। अन्य खोजकर्ताओं ने आर्कटिक की ओर से भारत और चीन के लिए उत्तरी मार्ग खोजने का प्रयास किया।
  • भूगोलवेत्ता एवं पर्यटक हसन-अल-वजान ने पोप लियो दराम के लिए सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में अफ्रीका का इतिहास पहली बार लिखा।
  • सोलहवीं सदी के अंत तक यूरोप के कुछ क्षेत्रों में नब्बे प्रतिशत जनसंख्या मृत्यु के आगोश में समा गई।
  • सत्रहवीं सदी में एक अंग्रेज व्यक्ति विल एडम्स (Will Adams) जापानी शोगुन, तोकोगावा ईयास (Tokugawa Ieyasu) का मित्र एवं सलाहकार बन गया।
  • 1323 में कृषकों ने फ्लैंडर्स (Flanders) में, 1358 में फ्रांस में और 1381 में इंग्लैंड में विद्रोह किए। इंग्लैंड में । विद्रोहों का दमन 1497, 1536, 1547 और 1553 में हिंसात्मक रूप में किया गया।