विनिर्माण उद्योग - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

Revision Notes
पाठ - 6
विनिर्माण उद्योग


सारांश:-

1. विनिर्माण का महत्व:-
विनिर्माण उद्योग सामान्यतः विकास तथा आर्थिक विकास की रीढ़ समझे जाते है।

  • कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक
  • कृषि में रोजगार की निर्भरता कम करता है।
  • गरीबी तथा बेरोज़गारी उन्मूलन में सहायक
  • क्षेत्रीय असमानताओं को कम करते हैं।
  • वाणिज्य व्यापार को बढ़ावा।
  • विकसित देश बनाने में सहायक

2. लोहा तथा इस्पात उद्योग:-
एक आधारभूत उद्योग सभी भारी, हल्के, माध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर है। इस्पात के उत्पादन तथा खपत को प्रायः एक देश के विकास का पैमाना माना जाता है। इस उद्योग के लिए कच्चा माल लौह अयस्क कोकिंग कोल तथा चूना पत्थर का अनुपात 4:2:1 है। कठोर बनाने के लिए मैगनीज़ की आवश्यकता है। निर्मित माल को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए सक्षम परिवहन की आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रम अपने इस्पात को स्टील अथोरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL) जबकि टिस्को TISCO टाटा स्टील के नाम से उत्पाद को बेचती है। लोहा इस्पात उद्योग का पूर्ण सामान्य का विकास नहीं कर पायें जिसके निम्नलिखित कारण है।

  • उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सिमित उपलब्धता
  • कम श्रमिक उत्पादकता
  • ऊर्जा की अनियमित अपूर्ति
  • अविकसित अवसंरचना

3. औद्योगिक प्रदूषण तथा पर्यावरण निम्नीकरण
यद्यपि उद्योगों की हमारी अर्थ व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है पर यह प्रदूषण को भी बढावा देते है।

  • वायु प्रदूषण:- अधिक अनुपात में गैसों की उपस्थिति सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का कारण है। वायु में निलंबित कणनुमा पदार्थ, घूले, स्प्रे, कुहासा तथा धुआँ। वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य पशुओं पौधों, इमारत तथा पूरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालती है।
  • जल-प्रदूषण:- उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों के नदी में छोडने से जल प्रदूषण फैलता है। कुछ उद्योग है जो रंग अपमार्जक अम्ल, लवण तथा भारी धातुएँ, कृत्रिम रसायन आदि जल में वांछित करते है।
  • तापीय प्रदूषण:- परमाणु ऊर्जा संयत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्रा उत्पादक कारखानों से केंसर जन्मजात विकार तथा अकाल प्रसव जैसी बिमारियां होती है।
  • ध्वनि प्रदूषण:- ध्वनि प्रदूषण से खिन्नता तथा उत्तेजना ही नही बरन् श्रवण असक्षमता, हदयगति, रक्तचाप तथा अन्य कायिक व्यथाएँ भी बढती है।

4. पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम:-
जल को दो या अधिक अवस्थाओं में पुनचक्र्रण द्वारा पुनः उपयोग।

  • पदार्थों को प्रवाछित करने से पहले उनका शोधन करें जिस के तीन चरण:-

(i) यांत्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन
(ii)जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन
(iii) जैविक, रसायनिक तथ भौतिक द्वारा तृतियक शोधन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:-
1. 
देश के आर्थिक विकास में उद्योगों का क्या योगदान है। विवेचना करें।
2. लोहा इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
3. लोहा इस्पात उद्योग में कौन सा कच्चा माल प्रयोग होता है?
4. पर्यावरणीय निम्नीकरण में औद्योगिक विकास किस प्रकार बढावा देता है अलोचनात्मक विवेचना करें।
5. पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के सुझाव दें।
6. कौन सी ऐजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाज़ार उपलब्ध करती है।

उत्तर :--

1. देश के आर्थिक विकास में उद्योगों का योगदान निम्नलिखित है:--

१. उद्योग किसी देश के अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

२.उद्योगों द्वारा देश की एक बड़ी संख्या को काम करने के अवसर प्रदान होते हैं और उनकी जीविका चलती है।

३. को देवों के द्वारा लोगों के दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं का निर्माण किया जाता है और उद्योग लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

૪. उद्योगों के द्वारा निर्मित वस्तुएं देश विदेश में भेज कर विदेशी मुद्रा कमाइ जा सकती  हैं जिससे राष्ट्रीय धन मे वृद्धि होती है।

2. लोहा इस्पात उद्योग एक मूल या आधार बहुत उद्योग है इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:--

१. लोहा और इस्पात उद्योग पर अनेक अन्य उद्योग निर्भर करते हैं जैसे चीनी उद्योग, सीमेंट उद्योग, कपड़ा आदि। बाकी सभी उद्योगों की मशीन है और कल पुर्जे लोहा और इस्पात उद्योग पर निर्भर करते हैं।

२. लोहा और इस्पात उद्योग पर देश की आर्थिक प्रगति निर्भर करती है।

३. लोहा और इस्पात उद्योग और इस पर निर्भर अनेक उद्योगों से हजारों लोगों को काम धन्धा मिलता है जिसके परिणाम स्वरूप उनका जीवन सुखमय और खुशहाल हो जाता है।

3. लौह अयस्क का प्रयोग लोहा इस्पात उद्योग में कच्चे माल के तौर पर किया जाता है।

4. पर्यावरणीय निम्नीकरण में उद्योग निम्नलिखित प्रकार से बढ़ावा देते हैं:--

१. हवा में धुआं और अन्य हानिकारक गैसे छोड़ना -- अपने लाभ को बढ़ाने के उद्देश्य से कारखाने दिन रात चलते रहते हैं और हवा में कूल फ्यूम धुएं और धुंध छोड़ते रहते हैं जिससे वायु में प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण का क्षरण होता है।

२. पानी में एक बड़ी मात्रा में उद्योगों से निकला विषाक्त धातु युक्त कूड़ा करकट -- कारखाने हवा को ही नहीं वरण जेल को भी बुरी तरह से प्रदूषित कर देते हैं। वे दिन रात अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ तथा धातु युक्त कूड़ा करकट पानी में मिलते रहते हैं। जब यह पानी नदी में जा मिलता है तो वह न केवल मछलियों में पक्षियों के लिए ही हानिकारक सिद्ध होता है वरन वह मनुष्य द्वारा पीने के योग्य भी नहीं रहता। पानी पीने का तो छोडो उसमें नहाने वाला भी अनेक बीमारियों का शिकार हो जाता है।

३. भूमि का क्षरण -- कारखानों से निकलने वाले विशाल द्रव्य पदार्थ और धातु युक्त कूड़ा कचरा भूमि और मिट्टी को भी प्रदूषित किये बिना नहीं छोड़ते हैं जब ऐसा विशाला पानी किसी भी स्थान पर बहुत समय तक खड़ा रहता है तो वहां करने लगता है और अपने साथ वह भूमि के शरण का भी एक बड़ा कारण सिद्ध होता है।

૪. भूमिगत जल को भी प्रदूषित करना -- जब कारखानों का विषेैला जल एक स्थान पर खड़ा रहता है तो उसमें से कुछ भाग रही सरकार भूमि के अंदर चला जाता है इस प्रकार धरातल के नीचे का जल्दी प्रदूषित हो जाता है और जब उसे को द्वारा बाहर निकाला जाता है तो वह सभी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।

5. पर्यावरणीय निम्नीकरण के रोकथाम के उपाय निम्न लिखित है:--

१. जल शक्ति का प्रयोग -- हमें कोयले लकड़ी यानी स्टिल से पैदा की गई बिजली जो हवा को प्रदूषित करती है के स्थान पर जल्द द्वारा पैदा की गई बिजली का प्रयोग करना चाहिए ऐसे में वातावरण में कम धुआं जाएगा जिससे ही वह काफी शुद्ध रहेगा।

२. तापीय बिजली पैदा करने में अच्छी प्रकार के कोयले का प्रयोग-- बहुत से वैज्ञानिकों का ऐसा सुझाव है कि यदि कोयले से तापीय बिजली पैदा ही करनी हो तो उत्तम श्रेणी के कोयले का प्रयोग करना चाहिए जो काम दूंगा छोड़े। ऐसे में वातावरण कम प्रदूषित होगा।

३. प्रदूषित जल को नदियों में छोड़ने से पहले जेल को उपचारित करना चाहिए-- यदि फैक्ट्रियों के जल को नदियों में फेंकना ही हो तो पहले यदि उपचारित कर लिया जाए तो प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

૪. प्रदूषित जल की पुनः चक्रीय प्रक्रिया -- अच्छा हो यदि फैक्ट्री से निकले प्रदूषित जल को ही इकट्ठा कर के रासायनिक प्रक्रिया द्वारा उसे साफ किया जाए और बार बार प्रयोग में लाया जाए। ऐसे में नदियों और आस पास की भूमि का प्रदर्शन काफी हद तक रुक जाएगा।

५. ध्वनि प्रदूषण -- ध्वनि प्रदूषण भी काफी हानिकारक सिद्ध होता है इससे उत्तेजना ही नहीं वरुण निर्गत एमएम शरमन अक्षमता आदि व्यथाएं भी बढ़ती हैं।ध्वनी  प्रदूषण को कम करने के लिए जेनरेटरों पर साइलेंसर लगाया जा सकता। ऐसी मशीनरी का भी प्रयोग किया जा सकता है जो कम ध्वनी करें इसके साथ साथ कानों पर शोर नियंत्रण उपकरण भी पहने जा सकते हैं।

6. सेल नामक एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है।