मीरा - पुनरावृति नोट्स

 कक्षा 11 हिंदी कोर

पुनरावृति नोट्स
पाठ - 02 
मीरा के पद


पाठ का सारांश - पहले पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपनी अनन्यता व्यक्त की है तथा व्यर्थ के कार्यों में व्यस्त लोगो के प्रति दुःख प्रकट किया है | वे कहती है कि मोर मुकुटधारी गिरिधर कृष्ण ही उसके स्वामी है | कृष्ण-भक्ति में उसने अपने कुल की मर्यादा भी भुला दी है | संतों के पास बैठकर उसने लोकलाज खो दी है | आँसुओं से सींचकर उसने कृष्ण प्रेम रूपी बेल बोयी है | अब इसमें आनंद के फल लगने लगे है | उसने दही से घी निकालकर छाछ छोड़ दिया | संसार की लोलुपता देखकर मीरा रो पड़ती है और कृष्ण से अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती है |

दूसरे पद में प्रेम में डूबी हुई मेरा सभी रीति-रिवाजों और बंधनों से मुक्त होने और गिरिधर के स्नेह के कारण अमर होने की बात कर रही है |

मीरा पैरों में घुँघरू बाँधकर कृष्ण के सामने नाचती है | लोग इस हरकत पर उन्हें बावली कहते है तथा कुल के लोग कुलनाशिनी कहते है | राणा ने उन्हें मारने के लिए विष का प्याला भेजा जिसे उन्होंने हँसते हुए पी लिया | मीरा कहती है की उसके प्रभु कृष्ण सहज भक्ति से भक्तों को मिल जाते है |