जूझ - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिन्दी कोर वितान

पाठ – 02 जूझ


पाठ का सार- ‘जूझ’ पाठ आनंद यादव द्वारा रचित स्वयं के जीवन-संघर्ष की कहानी है। पढ़ाई पूरी न कर पाने के कारण, उसका मन उसे कचोटता रहता था। दादा ने अपने स्वार्थों के कारण उसकी पढ़ाई छुड़वा दी थी। वह जानता था कि दादा उसे पाठशाला नहीं भेजेंगे। आनंद जीवन में आगे बढ़ना चाहता था। वह जनता था कि खेती से कुछ मिलने वाला नहीं वह पढ़ेगा-लिखेगा तो बढ़िया-सी नौकरी मिल जाएगी। 

आनंद ने एक योजना बनाई कि वह माँ को लेकर गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्ति दत्ता जी राव के पास जाएगा। दत्ता जी राव ने उनकी पूरी बात सुनी और दादा को उनके पास भेजने को कहा। दत्ता जी ने उसे खूब फटकारा, आनंद को भी बुलाया। दादा ने भी कुछ बातें रखीं कि आनंद को खेती के कार्य में मदद करनी होगी। आनंद ने उनकी सभी बातें सहर्ष मान लीं। आनंद की पढ़ाई शुरू हो गई। शुरु में कुछ शरारती बच्चों ने उसे तंग किया किन्तु धीरे-धीरे उसका मन लगने लगा। उसने कक्षा के मानीटर वसंत पाटिल से दोस्ती कर ली जिससे उसे ठीक प्रकार से पढ़ाई करने की प्रेरणा मिली। कई परेशानियों से जूझते हुए आनंद ने शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा। मराठी पढ़ाने के लिए श्री सौंदलगेकर आए। उन्होंने आनंद के हृदय में एक गहरी छाप छोड़ी। उसने भी कविताओं में रूचि लेनी प्रारम्भ की। उसने खेतों में काम करते-करते कविताएँ कंठस्थ की मास्टर ने उसकी कविता बड़े ध्यान से सुनी। बालक का आत्मविश्वास बढ़ने लगा और उसकी काव्य-प्रतिभा में निखार आने लगा।