समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व - पुनरावृति नोट्स

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
पाठ-3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

स्मरणीय बिन्दु-
  • शीतयुद्ध का अंत हो गया तथा अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरा, अमेरिकी प्रभुत्व या एक ध्रुवीय विश्व का युग आरंभ हुआ।
  • नयी विश्व व्यवस्था की शुरूआत हुई, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इराक के विद्ध बल प्रयोग की अनुमति दिए जाने की अमेरिकी राष्ट्रपति जार्जबुश नेनई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी।
  • दूसरों के व्यवहार को प्रभावित या नियंत्रित करने की क्षमता जिससे कि हम उनसे मनचाहा
  • काम कर सकें - वर्चस्व (आधिपत्य) कहलाता है।
  • इतिहास हमें बताता है कि विश्व में किसी भी देश का वर्चस्व स्थाई नहीं रह सकता।
  • विश्व राजनीति में विभिन्न देश या दशों के समूह ताकत पाने और कायम रखने की लगातार कोशिश करते हैं। यह ताकत सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक रुतबे और सांस्कृतिक विकास के रूप में होती है।
  • अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत सोवियत रूस के 1991 के विघटन के बाद हुई। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरा था।
  • अमेरिका द्वारा जापान के विद्ध परमाणु बम का प्रयोग।
  • युद्ध के दौरान अमेरिका का निर्यात बढ़ा व विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया।
विश्व पर वर्चस्व का प्रभाव:- इराक ने कुवैत पर हमला किया संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कुवैत को मुक्त कराने का फैसला लिया। UN ने इसे ‘आपरेश डेजर्ट स्टार्म’ सैनिक अभियान का नाम दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ की आड़ में यह अमेरिकी अभियान था इसकी सेना के प्रमुख जनरल नार्मन श्वार्जकांव थे। 34 देशों की सेना में 75 प्रतिशत सैनिक अमेरिका के थे। इराक की हार हुई इसके अतिरिक्त समुद्री मार्ग, स्वतंत्र व्यापार, उदारीकरण, सी.टी.बी.टी., विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक प्रतिबन्धों द्वारा प्रभाव डालना आदि।
  • प्रथम खाड़ी युद्ध के द्वारा अमेरिका ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया इसे ‘कम्प्यूटर युद्ध’ की संज्ञा दी तथा ‘‘वीडियो गेम वार’’ भी कहा जाता है।
  • 1992-2000 चुनावों में बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में दिलचस्पी नहीं दिखाई। 1999 में युगोस्लाविया पर सैन्य कार्यवाही की गई जबकि वहां अल्बानियाई लोगों ने आन्दोलन किया इसको दबाने के लिए नाटो सेनाओं ने कोसोवो पर अपना कब्जा किया।
  • 1998 में नैरोबी (केन्या) तथा दारे-सलाम (तंजानिया) के अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी हुई इसका जिम्मेदार अलकायदा आतंकवादी इस्लामी संगठन को माना गया। इसके प्रतिशोध में अमेरिकन राष्ट्रपति ने ‘‘आपरेशन इनपफाइनाइट रीच’’ का आदेश दिया इसके अन्तर्गत सूडान और अफगानिस्तान में अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलों से बमबारी की गई। इसकी जानकारी अमेरिका ने UN को भी नहीं दी।
  • 11 सितम्बर 2001 आतंकवादी घटना के विद्ध ‘आपरेशन एन्डयूरिंग फ्रीडम’ चलाया। इस आपरेशन में अमेरिका ने सभी देशों को विश्व से आतंकवाद का सपफाया करने में योगदान करने को कहा। इसे 9/11 की घटना से जाना जाता है। यह घटना अमेरिका की शक्ति और उसके वर्चस्व को खुली चुनौती थी।
  • इस आपरेशन में अमेरिका ने ‘अलकायदा’ और अफगानिस्तान के तालिबान को निशाना बनाया। 9/11 की घटना का प्रभुत्व अलकायदा के ओसामा बिन लादेन के द्वारा निर्देशित थी।
  • 19 मार्च 2003 इराक पर आक्रमण UN की अनुमति के बिना आक्रमण किया। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों फ्रांस, रूस और चीन ने भी इसकी आलोचना की वास्तव में अमेरिका इराक में सद्दाम हुसैन के शासन को समाप्त करना, अपनी पसन्द की सरकार स्थापित करना तथा इराक के तेल भंडार पर नियंत्रण करना था। इसे ‘आपरेशन इराकी फ्रीडम’ कहा गया। सद्दाम हुसैन को बन्दी बनाया, उस पर मुकदमा चला, दिसम्बर 2006 में उसे फांसी दे दी गई।
  • अमेरिका एक मात्रा महाशक्ति के रूप में है उसने राजनीति को अपनी इच्छानुसार चलाने के प्रयास किये, अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं, संगठनों तथा समझौतों की परवाह नहीं की अपनी बात मनवाने के प्रयास किये? परन्तु यह दादागिरी कहीं भी गांव, नगर, प्रांत, राष्ट्र तथा विश्व में अधिक दिन नहीं चलती उसे चुनौती मिलती है।
वर्चस्व से बचने के उपाय-
  1. बैंडवेगन नीति- इसका अर्थ है वर्चस्वजनित अवसरों का लाभ उठाते हुए विकास करना।
  2. अपने को छिपा लेने की नीति ताकि वर्चस्व वाले देशों की नजर न पड़े।
  3. राज्यत्तेर संस्थाएँ जैसे स्वयंसेवी संगठन, कलाकार और बुद्धिजीवी मिलकर अमेरिका वर्चस्व का प्रतिकार करें।
अमेरिकी शक्ति के रास्ते में अवरोध:-
  • अमेरिका की संस्थागत बनावट है। यहां शासन के तीन अंगों के बीच शक्ति का बंटवारा है। कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति पर अंकुश लगाने का काम करती है।
  • अमेरिकी समाज जो अपनी प्रकृति में उन्मुक्त है। अमेरिका के विदेशी सैन्य-अभियानों पर अंकुश रखने में बड़ी भूमिका निभाती है।
  • नाटो (उत्तरी अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन) इन देशों में बाजारमूलक अर्थव्यवस्था चलती है। नाटो में शामिल देश अमेरिका के वर्चस्व पर अंकुश लगा सकते हैं।
भारत-अमेरिका संबंध- सोवियत संघ के पतन के बाद भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का फैसला किया। इस नीति द्वारा आर्थिक वृद्धिदर के कारण भारत अमेरिका समेत कई देशों के लिए आर्थिक सहयोगी बन गया है। भारत-अमेरिकी संबंधों के बीच दो नई बातें उभरी इन बातों का संबंध् प्रौद्योगिकी और अमेरिका में बसे अनिवासी भारतीयों से है।
  1. सोवियत संघ का विघटन 1991 में हो गया। सोवियत संघ के विघटन के साथ ही द्वि-ध्रुवीय से विश्व व्यवस्था एक-ध्रुवीय में बदल गई।
  2. विश्व में अमेरिका के वर्चस्व की शुरुआत 1991 में हुई थी।
  3. अगस्त 1990 में इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया। पहली बार संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति दे दी। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसे 'नई विश्व व्यवस्था' की संज्ञा दी।
  4. 1992 में अमेरिका में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदार विलियम जेफसन बिल क्लिंटन से राष्ट्रपित-पद का चुनाव हार गए।
  5. बिल क्लिंटन ने विदेश-नीति की जगह घरेलू-नीति पर अधिक जोर दिया।
  6. 11 सितंबर, 2001 के दिन अमेरिका वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर आतंकवादी हमले ने अमेरिका की सुरक्षा की पोल खोल दी।
  7. ऑपरेशन इराकी फ्रीडम को सैन्य और राजनीतिक धरातल पर असफल माना गया क्योंकि इसमें 3000 अमेरिकी सैनिक, बड़ी संख्या में इराकी सैनिक और लगभग 50000 निर्दोष नागरिक मारे गए।
  8. अमेरिकी की ढाँचागत ताकत जिसमें समुद्री व्यापार मार्ग (SLOC's) इंटरनेट आदि शामिल है इसके अलावा MBA की डिग्री और अमेरिकी मुद्रा डॉलर का प्रभाव इसके आर्थिक वर्चस्व को बढ़ा देते है।
  9. अमेरिकी जमीन पर 9/11 के इस हमले को अब तक का सबसे गंभीर हमला माना जाता है।
  10. 19 मार्च, 2003 को 'ऑपरेशन इराकी फ्रीडम' के नाम पर अमेरिका ने इराक पर सैन्य हमला किया।
  11. अमेरिकी वर्चस्व सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक रुतबे और सांस्कृतिक बढ़त के रूप में शीतयुद्ध के अंत के बाद विश्व में देखा जा सकता है।
  12. अमेरिका सैन्य प्रौद्योगिकी में इतना आगे है कि विश्व का कोई भी देश इस मामले में उसकी बराबरी नहीं कर सकता।
  13. जितना पैसा अमेरिका से नीचे के कुल 12 ताकतवर देश अपनी सैन्य क्षमता में खर्च करते हैं, उतना अमेरिका अकेला करता है |
  14. पेंटागन अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा रक्षा अनुसंधान और विकास तथा प्रौद्योगिकी पर खर्च करता हैं।
  15. द्वितीय विश्व से पहले ब्रिटिश नौ-सेना ने संपूर्ण विश्व पर कब्ज़ा कर रखा था और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऐसा कोई स्थान नहीं, महासागर नहीं, जहाँ अमेरिकी नौ-सेना न हो।
  16. अंतरिक्ष में अधिकांश उपग्रह अमेरिका के हैं। इंटरनेट अमेरिकी सैन्य अनुसंधान परियोजना का परिणाम है।
  17. ब्रेटनवुड प्रणाली अमेरिका द्वारा कायम की गई जो विश्व की अर्थव्यवस्था की बुनियादी संरचना है। विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन अमेरिकी वर्चस्व का परिणाम हैं।
  18. नीली जींस, मैक्डोनाल्ड आदि अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व के उदाहरण है जिसमें विचारधारा, खानपान, रहन-सहन, रीतिरिवाज और भाषा के धरातल पर अमेरिका का वर्चस्व कायम हो रहा है। इसके अंतर्गत जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि रजामंदी से बात मनवायी जाती है।
  19. अमेरिका में विश्व का पहला बिजनेस स्कूल 1881 में खुला था। अन्य देशों में इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी।
  20. एम०बी०ए० का पाठ्यक्रम 1900 से आरंभ हुआ। आज विश्व में अमेरिका का दबदबा सैन्य शक्ति या आर्थिक बढ़त के बूते पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका की सांस्कृतिक मौजूदगी भी इसका कारण है।
  21. अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में केवल नाटो ऐसा संगठन है, जो अमेरिका की ताकत पर लगाम कस सकता है।
  22. शीतयुद्ध काल में भारत सोवियत संघ के अधिक करीब था।
  23. सोवियत संघ के विघटन के बाद और विश्व-राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व के कारण भारत को अमेरिका से अपने संबंध अच्छे बनाने ही होंगे।
  24. भारत, चीन और रूस मिलकर अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं परन्तु इन देशों के बीच आपसी मतभेद हैं।
  25. अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती स्वयंसेवी संगठन, सामाजिक आंदोलन और जनमत के आपसी मेल से ही मिलेगी। मीडिया, बुद्धिजीवी कलाकार और लेखक अमेरिकी वर्चस्व के प्रतिरोध में आगे आकर एक विश्वव्यापी नेटवर्क बना सकते हैं।