यात्रियों के नज़रिए समाज के बारे में उनकी समझ-पुनरावृति नोट्स
पाठ – 05 यात्रियों के नज़रिए-समाज के बारे में उनकी समझ
(लगभग दसवीं से सत्रहवीं सदी तक)
पुनरावृत्ति नोट्स
स्मरणीय बिन्दु–
- महिलाओं और पुरुषों द्वारा यात्रा करने के अनेक कारण थे। जैसे कार्य की तलाश में, प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए, व्यापारियों, सैनिको, पुरोहितों और तीर्थ यात्रियों के रूप में या फिर साहस की भावना से प्रेरित होकर।
- उपमहाद्वीप में तीन महत्वपूर्ण यात्रियों के वृतांत मिलते हैं-अल-बिरूनी (ग्यारहवीं शताब्दी) जो उज़्बेकिस्तान से इब्न बतूता (चौदहवीं शताब्दी) जो मोरक्कों से तथा फ्रांस्वा बर्नियर (सत्रहवीं शताब्दी) जो फ्रांस से भारत आये।
- यात्रियों के आने के कारण-कार्य की तलाश में, प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए, व्यापारियों, सैनिकों, पुरोहितों और तीर्थयात्रियों के रूप में या फिर साहस की भावना से प्रेरित होकर लोगों ने यात्राएँ की।
- अल-बिरूनी का जन्म-आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित ख्वारिज्म में सन् 973 में हुआ था। वह कई भाषाओं का ज्ञाता था, जिसमें- सीरियाई, फारसी, हिबू और संस्कृत शामिल है। वह यूनानी भाषा का जानकार नहीं था।
- अल-बिरूनी को भारत में अनेक अवरोधों का सामना करना पड़ा जैसे संस्कृत भाषा से वह परिचित नहीं था, धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता, जाति व्यवस्था तथा अभिमान।
- अल-बिरूनी की कृति किताब-उल-हिन्द अरबी भाषा में लिखी गई। यह एक विस्तृत ग्रंथ है-जो धर्म और दर्शन, त्यौहारों, खगोल विज्ञान, कीमिया, रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं, सामाजिक जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों के आधार पर 80 अध्यायों में है।
- 1017 ई. में सुल्तान महमूद, अलबिरूनी और अपने साथ गजनी ले गया।
- इब्न बतूता ने भारतीय शहरों का जीवंत विवरण किया है जैसे- भीड़ भाड़ वाली सड़के, चमक-दमक वाले बाज़ार , बाज़ार आर्थिक गतिविधियों के केंद्र, डाक व्यवस्था, दिल्ली एवं दौलताबाद, पान और नारियल ने इब्न बतूता को आश्चर्य चकित किया। उसने दास-दासियों के विषय में भी लिखा।
- रिह्ला-इब्न बतूता द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया यात्रा वृतांत है।
- इब्न बतूता का जन्म तैजियर में हुआ तथा यह मोरक्को का यात्री था।
- 1332-33 में भारत के लिए प्रस्थान करने से पूर्व इब्न-बतूता मक्का की तीर्थ यात्राएँ और सीरिया, इराक, फारस, यमन, ओमान तथा पूर्वी अफ्रीका के कई तटीय व्यापारिक बंदरगाहों की यात्राएँ कर चुका था।
- इब्न बतूता के विवरण के अनुसार उस काल में सुरक्षा व्यवस्था समुचित (सुरक्षित) नहीं थी सुरक्षा की दृष्टि से वह अपने साथियों के साथ कारवाँ में चलना पसंद करता था।
- फ्रास्वा बर्नियर फ्रास का रहने वाला चिकित्सक, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक तथा एक इतिहासकार था।
- इब्न-बतूता ने नारियल और पान, दो वानस्पतिक उपज, दिल्ली एवं दौलताबाद शहर, तथा मध्यकालीन भारतीय डाक व्यवस्था का विवरण विस्तार, से रिह्ला में दिया है।
- 1656 से 1668 तक फ्रांस्वा बर्नियर 12 वर्ष भारत में रहा और मुग़ल दरबार से नजदीकी से जुड़ा था।
- फ्रांस्वा बर्नियर के विवरणों की विशेषता- जो वह भारत में देखता था उसकी तुलना यूरोपीय स्थिति से करता था।
- बर्नियर को ग्रथ ‘टैवल्स इन द मुग़ल एम्पायर’ अपने गहन प्रेक्षण, आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि तथा गहन चिंतन के लिए उल्लेखनीय है।
- बर्नियर का मत था कि भारत में निजी भूस्वामित्व का अभाव था। मुग़ल साम्राज्य में सम्राट सारी भूमि का स्वामी होता था।
- बर्नियर अत्यधिक यकीन से कहता है कि, ‘भारत में मध्य स्थिति के लोग नही हैं।’
- अल बिरूनी को भारत में तीन अवरोधों को सामान्य करना पड़ा - भाषा, धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता तीसरा अभिमान।
- ‘हिन्दू’ शब्द लगभग छठी-पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रयुक्त होने वाले उस प्राचीन फारसी शब्द, जिसका प्रयोग सिंधु नदी के पूर्व के क्षेत्र के लिए होता था, से निकला था।
- अल-बिरूनी द्वारा वर्ण व्यवस्था का उल्लेख चार वर्णों में किया गया- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
महत्वपूर्ण बिन्दु -
1. अल-बिरूनी तथा किताब-उल-हिन्द
1.1 ख्वारिज्म से पंजाब तक
- अल-बिरूनी का बचपन, शिक्षा
- ख्वारिज्म के आक्रमण के पश्चात् सुल्तान द्वारा अल-बिरूनी को बंधक के रूप में
- गज़नी लाना
- अल-बिरूनी की भारत के प्रति रूचि उत्पन्न होना
- अल-बिरूनी के यात्रा वृत्तांत
- विभिन्न भाषाओं का ज्ञाता
1.2 किताब-उल-हिन्द
- विशिष्ट शैली का प्रयोग
- दंतकथाओं से लेकर ख्गोल विज्ञान और चिकित्सा संबंधी कृतियां
2. इब्न-बतूता का रिह्ला
2.1 रिहला इब्न-बतूता द्वारा लिखा गया यात्रा वृत्तांत
- सामाजिक तथा प्राकृतिक जीवन की जानकारियों से भरपूर
- मध्य रशिया के रास्ते सिन्ध पहुँचना
- दिल्ली आकर मुहम्मद बिन तुगलक से मिलना
- दिल्ली का काज़ी नियुक्त होना
- मध्यभारत के रास्ते मालाबार पहुँचना
- भारत के अनेक स्थानों का भ्रमण
- चीन की यात्रा
- भारत के सामाजिक, आर्थिक राजनैतिक जीवन का विवरण प्रस्तुत करना
- यात्रा मार्गों का सुरक्षित न होना
2.2 जिज्ञासाओं का उपयोग
- मोरक्को वापस जाने के बाद अनुभवां को दर्ज किए जाने का आदेश
3. फांस्वा बर्नियर
- एक विशिष्ट चिकित्सक
- एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी जौहरी
- भारत की 6 बार यात्रा
- बहुआयामी व्यक्तित्व
- मुगल दरबार से जुड़े रहना
- दाराशिकोह का चिकित्सक
3.1 पूर्व और पश्चिम की तुलना
- भारतीय स्थिति की तुलना यूरोपीय स्थिति
- भारतीय स्थिति को दयनीय बताना
- उसकी कृति का अनेक भाषाआं में अनुवाद
4. एक अपरिचित संसार की समझ
- बिरूनी तथा संस्कृतवादी परंपरा
- अनेक समस्याओं का सामना
- पहली समस्या भाषा, धार्मिक अवस्था, प्रथा में भिन्नता, तीसरा अभिमान का होना
- संस्कृत ग्रंथों का सहारा लेना
4.2 अल-बिरूनी का जाति व्यवस्था का वर्णन
- भारत में ब्राह्मणवादी व्यवस्था
- प्राचीन फारस के सामाजिक वर्गो को दर्शाना
5. इब्न बतूता तथा अनजाने को जानने की उत्कंठा: उपमहाद्वीप एक वैश्विक संचार तंत्र का हिस्सा
- नारियल और पान
- इब्नबतूता द्वारा नारियल और पान का विवरण
- इब्नबतूता और भारतीय शहर
- उपमहाद्वीप के शहरों का विवरण
- दिल्ली की प्रशंसा
- दिल्ली तथा दौलताबाद की तुलना
- बाजार विभिन्न गतिविधियां के केन्द्र
- शहरों की समृद्धि का विवरण
- भारतीय मालों का निर्यात
5.3 संचार की एक अनूठी प्रणाली
- व्यापारियां की सुविधा के लिए व्यापारिक मार्गों पर पूरी सुविधाएं
- कुशल काम प्रणाली
- कुशल गुप्तचरों का होना
6. वर्नियर तथा अपविकसित पूर्व
- वर्नियर द्वारा भारत की तुलना यूरोप की विशेषकर फ्रांस से
- वर्नियर का आलोकचनात्मक अन्तःदृष्टि तथा गहन चिन्तन
- भारत को पश्चिमी दुनिया की तुलना में निम्न कोटि का बताना