वसंत ध्वनि - नोट्स

CBSE पुनरावृति नोट्स
CLASS - 8 hindi
पाठ-1
ध्वनि

- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
पाठ का सारांश- ‘ध्वनि’ नामक इस कविता में कलियों एवं पुष्पों के माध्यम से कवि ने देश के युवाओं को चुस्त एवं जागरूक बनाना चाहा हैं। प्रस्तुत कविता में कवि के अंतर्मन की आवाज़ प्रकट हुई हैं।
कवि का मानना है कि उसके जीवन रूपी उपवन में अभी-अभी वसंत का आगमन हुआ है। अभी उसके कवि-जीवन का अंत नहीं हो सकता। उसके जीवन में आनेवाला वसंत सुकुमार है। जिस प्रकार वसंत के आगमन से प्रकृति हरी-भरी हो उठती हैं, कलियाँ खिलकर पुष्प बन जाती हैं, प्रकृति में मृदुलता एवं कोमलता छा जाती है उसी तरह उसके जीवन में भी खुशियाँ भर गई हैं। कवि प्रभात काल में अलसाई कलियों पर अपना कोमल कर फेरकर उन्हें प्रातःकाल का संदेश देना चाहता है। स्वयं कवि अच्छे काम करते हुए देश के युवाओं को रचनात्मक कार्यों की ओर उन्मुख करना चाहता है। वह युवाओं में व्याप्त निराशा एवं आलस्य की भावना को खींचकर उनमें उत्साह भर देना चाहता है। इससे युवा आनेवाले लंबे समय तक अच्छे कार्य करते रहेंगे। कवि अपने जीवन के अमृत अर्थात कर्तव्य भावना तथा सौंदर्य को, वसंत में फैले सौंदर्य की भाँति चारों ओर बिखेर देना चाहता है। कवि को बार-बार ऐसा लगता है कि उसका अंत अभी निकट भविष्य में नहीं होनेवाला। कवि जीवन के प्रति आशावादी तथा कर्तव्य की भावना से भरपूर है।